FMGE परीक्षा में फेल, डॉक्टर ने मार्कशीट में छेड़छाड़ कर रचाया इंटर्नशिप का खेल
राजस्थान के करौली जिला अस्पताल में फर्जी दस्तावेज से इंटर्नशिप करने वाले युवक पीयूष कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज, चिकित्सा क्षेत्र में धोखाधड़ी की गंभीर घटना।
राजस्थान (Rajasthan) के करौली जिला अस्पताल में एक गंभीर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जिसमें एक युवक ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर अस्पताल में इंटर्नशिप करना शुरू कर दिया। यह युवक विदेश से एमबीबीएस (MBBS) की डिग्री लेकर भारत में FMGE (Foreign Medical Graduates Examination) में फेल हो गया था, लेकिन उसने परीक्षा में सफलता प्राप्त करने का दावा करते हुए अपने दस्तावेजों में छेड़छाड़ की।
एसओजी से की शिकायत
इस मामले की शुरुआत दौसा निवासी उदय पाराशर द्वारा एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) को भेजी गई शिकायत से हुई। शिकायत में बताया गया कि पीयूष कुमार त्रिवेदी नामक युवक ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करौली जिला अस्पताल में इंटर्नशिप शुरू की थी। एसओजी ने जांच में पाया कि पीयूष ने एफएमजीई (फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन) परीक्षा पास करने का दावा किया था, जबकि उस रोल नंबर पर सीरा चंदन नामक व्यक्ति ने परीक्षा पास की थी।
इस मामले में एटीएस-एसओजी के एडीजी IPS वी.के. सिंह ने पुष्टि की है कि एफआइआर दर्ज कर ली गई है और मामले की जांच जारी है। एसओजी मामले की गहनता से जांच कर रही है, ताकि इस धोखाधड़ी के मामले में पूरी सच्चाई सामने आ सके और दोषियों को सजा मिल सके।
फर्जी दस्तावेज का खुलासा
एसओजी ने इस मामले में आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। पीयूष द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों की जांच में यह स्पष्ट हुआ कि उसने एफएमजीई की फर्जी डिग्री प्रस्तुत की थी। एसओजी ने पीयूष के द्वारा प्रस्तुत किए गए सभी दस्तावेजों को जांचने के बाद यह पुष्टि की कि ये दस्तावेज़ नकली थे। इसमें आरएमसी अलॉटमेंट, शैक्षणिक योग्यता प्रमाण पत्र और 2016 की सीनियर सेकेंडरी मार्कशीट शामिल थीं।
चिकित्सा पेशे की विश्वसनीयता पर खतरा
यह मामला चिकित्सा क्षेत्र की विश्वसनीयता और मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ का गंभीर उदाहरण प्रस्तुत करता है। एक व्यक्ति जिसने चिकित्सा शिक्षा की मान्यता प्राप्त परीक्षा में असफल होने के बाद फर्जी दस्तावेज के आधार पर इंटर्नशिप शुरू कर दी, यह न केवल चिकित्सा पेशे के लिए बल्कि समाज के लिए भी खतरे की घंटी है। ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी रोकी जा सके और चिकित्सा क्षेत्र की गरिमा बनी रहे।
FMGE क्या है?
FMGE का उद्देश्य विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों को भारत में चिकित्सा का अभ्यास करने के लिए योग्य बनाना होता है।
FMGE का आयोजन राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (NBE) करता है।
भारत में मेडिकल प्रैक्टिस करने के इच्छुक सभी विदेशी मेडिकल स्नातकों के लिए यह परीक्षा पास करना अनिवार्य है।
FMGE में 300 अंकों का एक स्क्रीनिंग टेस्ट होता है। इजिसमें 300 प्रश्न होते हैं।
परीक्षा पास करने के लिए 300 में से 150 अंक प्राप्त करना आवश्यक है।
परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) या राज्य चिकित्सा परिषद में पंजीकरण कराना होता है।
यह टेस्ट भारत में चिकित्सा का अभ्यास करने के लिए एक लाइसेंस प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
अब, NMC ने FMGE परीक्षा को पास करने के लिए अधिकतम 6 अटेम्प्ट निर्धारित किए हैं।
अस्पतालों की जिम्मेदारी
इस मामले के बाद यह भी जरूरी है कि अस्पतालों में इंटर्नशिप के लिए नियुक्त सभी अभ्यर्थियों के दस्तावेज़ों की सही तरीके से जांच की जाए। एफएमजीई जैसे महत्वपूर्ण परीक्षा प्रमाणपत्रों के बिना योग्य अभ्यर्थियों को इंटर्नशिप का अवसर न दिया जाए।
FAQ
1. पीयूष कुमार त्रिवेदी ने फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल कैसे किया?
पीयूष कुमार ने एफएमजीई परीक्षा में फेल होने के बाद फर्जी दस्तावेज तैयार किए और इन दस्तावेज के आधार पर करौली जिला अस्पताल में इंटर्नशिप शुरू कर दी।
2. एसओजी ने इस मामले में क्या कार्रवाई की है?
एसओजी ने पीयूष कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है और उसकी जांच शुरू कर दी है। जांच में यह पाया गया कि पीयूष ने एफएमजीई की फर्जी डिग्री प्रस्तुत की थी।
3. इस मामले में अस्पतालों की जिम्मेदारी क्या है?
अस्पतालों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इंटर्नशिप के लिए आने वाले सभी अभ्यर्थियों के दस्तावेज़ सही और वैध हों। फर्जी दस्तावेज़ से इंटर्नशिप कराना चिकित्सा क्षेत्र की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकता है।