एलडीसी भर्ती 2013 : डिप्लोमा के फर्जी प्रमाण पत्र लगा 277 लोगों ने पाई नियुक्ति

एलडीसी भर्ती 2013 में फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए 277 कर्मचारियों को नियुक्त किया गया था। यह मामला अब सामने आया है। कर्मचारियों का बिना टाइप टेस्ट के नियमितीकरण किया गया।

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Nitin Kumar Bhal
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एलडीसी भर्ती 2013

एआइ निर्मित फोटो Photograph: (The Sootr)

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पंचायतीराज विभाग राजस्थान में कांग्रेस सरकार के तहत (2013 और 2022) एलडीसी (LDC) के लिए हुई सीधी भर्ती में एक और बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। 15,000 भर्तियों में से न केवल कर्मचारियों का बिना टाइप टेस्ट के नियमितीकरण किया गया, बल्कि बड़ी संख्या में ऐसे अभ्यर्थी भी थे जिनके अहर्ता (eligibility) और अनुभव (experience) प्रमाण पत्र भी फर्जी पाए गए थे। इस मामले में पंचायतीराज मंत्री मदन दिलावर (Madan Dilawar) ने कहा कि वे इस मामले को दिखवा कर रिपोर्ट बनावा रहे हैं।

ऐसे समझें एलडीसी भर्ती का फर्जीवाड़ा 

  • 15,000 में से सैकड़ों नियुक्तियां फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर।
  • विभागीय आदेशों का पालन नहीं हुआ, जिससे फर्जीवाड़ा जारी रहा।
  • सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद फर्जी डिप्लोमा का इस्तेमाल।
  • एसओजी और विभागीय जांच के बाद मामला फिर चर्चा में।

फर्जी प्रमाण पत्र लगाए

इस भर्ती के दौरान 277 कर्मचारियों के प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए थे, जो 2018 में उजागर हो चुके थे। इन कर्मचारियों ने फर्जी अहर्ता प्रमाण पत्र और अनुभव प्रमाण पत्र जमा किए थे। विभाग के अधिकारियों ने अन्य मामलों को दबाने की कोशिश की, लेकिन अब फर्जी नियमितीकरण के मामले के खुलासे के बाद विभाग में हड़कंप मच गया है। असल में, इन दोनों एलडीसी भर्तियों में अभ्यर्थियों को कंप्यूटर डिप्लोमा (computer diploma) के प्रमाण पत्र की आवश्यकता थी। कई अभ्यर्थियों ने राज्य के बाहर के विश्वविद्यालयों से ऑफ कैंपस डिप्लोमा प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए थे, जो कि फर्जी थे। इन प्रमाण पत्रों के आधार पर उनकी भर्ती की गई।

नजरअंदाज किए आदेश

पंचायती राज विभाग के तत्कालीन सचिवों ने फर्जी प्रमाण पत्रों के मामले में सभी जिला परिषदों के सीईओ को कार्रवाई के लिए लिखित आदेश दिए थे। हालांकि, इन आदेशों का पालन नहीं हुआ। 13 जून 2018 को भी इस मामले में आदेश जारी किए गए थे, लेकिन विभाग ने इसे नजरअंदाज कर दिया।

2022 की भर्ती में भी किए अटैच

आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, 2013 के आवेदन को 2022 की भर्ती में भी शामिल किया गया था। कुछ अभ्यर्थियों ने 2013 में अपने आवेदन में अनुभव प्रमाण पत्र को शून्य (zero) बताया था, लेकिन वह प्रमाण पत्र 2022 में उनके आवेदन में अटैच कर दिए गए। एसओजी (SOG) द्वारा अलवर जिला परिषद में एफआईआर (FIR) दर्ज करने के बाद यह मामला उजागर हुआ।

यह है टाइमलाइन

वर्षघटना/निर्णय
2005सुप्रीम कोर्ट ने ऑफ-कैंपस स्टडी सेंटर को अवैध ठहराया
2013एलडीसी की सीधी भर्ती, फर्जी प्रमाण पत्रों का प्रयोग
2018277 फर्जी प्रमाण पत्र उजागर, विभागीय आदेश जारी
20222013 के आवेदन 2022 की भर्ती में शामिल, SOG जांच शुरू
2025मंत्री मदन दिलावर द्वारा जांच और रिपोर्ट की घोषणा

सुप्रीम कोर्ट ने दिया य​ह निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने 2005 के एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था कि किसी भी विश्वविद्यालय को राज्य की सीमाओं से बाहर ऑफ कैंपस स्टडी सेंटर (off-campus study center) चलाने की अनुमति नहीं है। इस फैसले को ध्यान में रखते हुए, 2018 में पंचायती राज विभाग ने राजस्थान हाईकोर्ट में 277 कर्मचारियों के प्रमाणपत्रों को अवैध घोषित किया। इनमें माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल और सीएमजे विश्वविद्यालय मेघालय के ऑफ कैंपस डिग्री और डिप्लोमा प्रमाणपत्र शामिल थे।

इन्हें हम दिखवा रहे हैं। रिपोर्ट बनवाई जा रही है।

— मदन दिलावर, पंचायती राज्य मंत्री

FAQ

1. एलडीसी भर्ती 2013 फर्जीवाड़ा क्या है?
एलडीसी भर्ती 2013 में कुछ अभ्यर्थियों ने राज्य के बाहर के विश्वविद्यालयों से ऑफ कैंपस डिप्लोमा प्रमाण पत्र जमा किए थे, जो कि फर्जी थे। इन प्रमाण पत्रों के आधार पर उन्हें भर्ती किया गया था।
2. क्या 2022 में हुई भर्ती में भी 2013 के आवेदन शामिल थे?
हां, 2013 के आवेदन को 2022 में भी शामिल किया गया था। कई अभ्यर्थियों ने 2013 में शून्य अनुभव प्रमाण पत्र (zero experience certificate) दिया था, लेकिन वह प्रमाण पत्र 2022 के आवेदन में जोड़ दिए गए थे।
3. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में क्या फैसला सुनाया था?
सुप्रीम कोर्ट ने 2005 के एक फैसले में कहा था कि राज्य की सीमा से बाहर स्थित ऑफ कैंपस स्टडी सेंटर (off-campus study centers) द्वारा जारी किए गए प्रमाण पत्र अवैध होते हैं। इस फैसले के आधार पर, 2018 में पंचायती राज विभाग ने 277 कर्मचारियों के प्रमाण पत्रों को अवैध घोषित किया था।

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