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Photograph: (The Sootr)
राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित अमर जवान ज्योति स्मारक (Amar Jawan Jyoti Memorial) देश के वीर शहीदों की याद में स्थापित किया गया था। इस स्मारक का उद्देश्य उन शहीदों के नाम अमर करना था जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में इस स्मारक को लेकर कई सवाल उठे हैं, खासकर नए शहीदों के नाम न जोड़े जाने और कुछ शहीदों के नाम में त्रुटियों को लेकर। The Sootr के इस लेख में हम इस मुद्दे की विस्तृत चर्चा करेंगे और जानेंगे कि क्यों शहीदों के परिजन इस मुद्दे पर आवाज़ उठा रहे हैं।
शहीदों के नामों की अनदेखी
अमर जवान ज्योति स्मारक पर शहीदों के नाम जोड़ने की प्रक्रिया में लापरवाही सामने आ रही है। 19 अक्टूबर 2013 को शहीद प्रभुलाल का नाम जोड़े जाने के बाद से अब तक किसी भी नए शहीद का नाम नहीं जोड़ा गया है। पुलवामा (Pulwama) से लेकर गलवान (Galwan) तक और अन्य सीमा संघर्षों में शहीद हुए लगभग 100 जवानों के नाम अब भी स्मारक पर अंकित नहीं हुए हैं। 2005 में बनाए गए इस स्मारक पर अब तक कोई नया अपडेट नहीं हुआ है, जिससे शहीदों के परिवारों और समाज में गहरी निराशा है।
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पहले और द्वितीय विश्व युद्ध के शहीदों के नामों में त्रुटियां
स्मारक पर प्रथम (World War I) और द्वितीय विश्व युद्ध (World War II) के शहीदों के नामों में कई त्रुटियां भी पाई गई हैं। इन त्रुटियों के कारण सैन्य परिवारों और शहीदों के परिजनों में आक्रोश है। सैनिक कल्याण बोर्ड के पास इस विषय में कई शिकायतें पहुंच चुकी हैं, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि यहां आने वाले सैलानी और स्कूली बच्चे गलत जानकारी लेकर लौटते हैं।
शहीद लेफ्टिनेंट किरण शेखावत की अनदेखी
झुंझुनूं की लेफ्टिनेंट किरण शेखावत (Lieutenant Kiren Shekhawat) 26 मार्च 2015 को एक विमान हादसे में शहीद हुईं। वह देश की पहली महिला सैन्य अधिकारी थीं जो ड्यूटी के दौरान शहीद हुईं। हालांकि, आज तक उनके नाम को इस स्मारक पर अंकित नहीं किया गया। उनके परिवार ने कई बार सरकार से इस मुद्दे को उठाया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उनके पिता का कहना है कि यह राजस्थान की बेटी का अपमान है और सरकार को इस मामले में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
जयपुर का अमर जवान ज्योति स्मारकजयपुर का अमर जवान ज्योति स्मारक राजस्थान के वीर सैनिकों की याद में स्थापित किया गया है। यह स्मारक खासकर उन सैनिकों को सम्मानित करता है जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति दी। यह स्मारक जयपुर के विधान सभा भवन के पास स्थित है और यहाँ आने वाले हर व्यक्ति को शहीदों के योगदान का अहसास होता है। मुख्य बातें:
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वॉयस ऑफ एक्स-सर्विसमैन सोसायटी (Voice of Ex-servicemen Society) राजस्थान के अध्यक्ष कैप्टन (रि.) लियाकत अली खान (Captain (Retd.) Liaquat Ali Khan) ने बताया कि वह पिछले 10 वर्षों से प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के शहीदों के नाम जोड़ने के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने सैनिक कल्याण बोर्ड, जेडीए और आर्मी सब एरिया को कई बार अवगत कराया, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। यह घोर लापरवाही है और सरकार को इस बारे में ठोस कदम उठाने चाहिए।
शहीद परिजनों की चिंता
इसी तरह, शहीद परिजनों का भी कहना है कि यह उनके लिए बहुत अपमानजनक है जब उनका परिवार स्मारक पर नाम न होने के कारण शहीद को याद करने से वंचित रहता है। एक शहीद के परिजनों ने उदाहरण देते हुए बताया कि उनके दामाद, नायब सूबेदार शमशेर अली (Naib Subedar Shamsher Ali), जो 2020 में चीन सीमा (China Border) पर शहीद हुए थे, उनका नाम भी अभी तक स्मारक पर नहीं जोड़ा गया। उनका कहना है कि यह शहीदों की अनदेखी करना गलत है और सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।
ब्रिगेडियर (रि.) वी.एस. राठौड़ (Brigadier (Retd.) V.S. Rathore), जो सैनिक कल्याण बोर्ड के निदेशक हैं, ने कहा कि नाम जोड़ने का कार्य जेडीए (JDA) का है और उनकी कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने बताया कि आर्मी सब एरिया से नामों की सूची भेजी जाती है, और फिर जेडीए ही नाम अपडेट करता है।
क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
राज्य सरकार को चाहिए कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से ले और शहीदों के नामों को सही और समय पर स्मारक पर जोड़ने की प्रक्रिया को सुनिश्चित करें। इसके अलावा, शहीदों के परिजनों के साथ उचित संवाद स्थापित किया जाए ताकि वे महसूस कर सकें कि उनके प्रियजनों की कुर्बानी को सम्मान मिल रहा है। सरकार को सैनिक कल्याण बोर्ड और जेडीए के बीच समन्वय बढ़ाकर इस काम को तेजी से पूरा करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
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