राजस्थान जल जीवन मिशन घोटाला : पूर्व मंत्री महेश जोशी की याचिका पर सुनवाई पूरी, जानें हाईकोर्ट ने क्या कहा

राजस्थान में पूर्व मंत्री महेश जोशी की जल जीवन मिशन मामले में हाईकोर्ट में जमानत पर तीन दिन तक सुनवाई चली, लेकिन अभी राहत नहीं मिली। जानें पूरी जानकारी और कोर्ट के फैसले के बारे में।

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Nitin Kumar Bhal
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Photograph: (The Sootr)

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जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) घोटाले को लेकर राजस्थान में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में जलदाय मंत्री रहे महेश जोशी (Mahesh Joshi) की जमानत याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट (High Court) में सुनवाई पूरी हो गई। हालांकि, इस मामले में जोशी को फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है। जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) घोटाले में  जोशी की गिरफ्तारी के बाद जमानत के लिए की गई याचिका पर 3 दिन तक न्यायाधीश प्रवीर भटनागर ने सुनवाई की। अब इस मामले में न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा है।

यह मामला भ्रष्टाचार (Corruption) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा की गई जांच से जुड़ा हुआ है, जिसमें महेश जोशी का नाम सामने आया। 

महेश जोशी की जमानत याचिका पर कोर्ट में क्या हुआ?

महेश जोशी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वी आर बाजवा (Senior Advocate VR Bajwa) और अधिवक्ता स्नेहदीप (Advocate Snehadip) ने कोर्ट में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि पीयूष जैन, संजय बडाया, पद्म चन्द जैन, और महेश मित्तल जैसे अन्य आरोपी पहले ही सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) और हाईकोर्ट (High Court) के आदेश से जमानत पर रिहा हो चुके हैं।

इन आरोपियों के जमानत मिलने के बाद भी पूर्व मंत्री जोशी की जमानत याचिका पर फैसला फिलहाल अटका हुआ है।  जोशी के अधिवक्ताओं का कहना था कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (Anti Corruption Bureau) की ओर से दर्ज एफआइआर में पूर्व मंत्री जोशी को आरोपी नहीं बनाया गया था। फिर इसी एफआइआर के आधार पर ईडी ने मामला दर्ज कर जोशी को गिरफ्तार किया था।

ईडी का पक्ष और जमानत का आधार

ईडी की ओर से अधिवक्ता अक्षय भारद्वाज (Advocate Akshay Bhardwaj) ने इस मामले में अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि सिर्फ इसलिए कि अन्य सह आरोपियों को जमानत मिल चुकी है, इस आधार पर महेश जोशी को जमानत नहीं दी जा सकती। उनका कहना था कि जमानत का आधार अन्य आरोपियों की स्थिति से बिल्कुल अलग है।

अक्षय भारद्वाज ने यह भी कहा कि ईडी ने महेश जोशी को गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य जुटाए थे और उनकी गिरफ्तारी कानूनी रूप से सही थी। इससे यह साफ होता है कि जमानत देने का निर्णय सिर्फ इस आधार पर नहीं किया जा सकता कि अन्य आरोपियों को जमानत मिल चुकी है।

राजस्थान का जल जीवन मिशन घोटाला क्या है

  • फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र का इस्तेमाल

    • साल 2021 में श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी और मैसर्स श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी के ठेकेदार पदमचंद जैन और महेश मित्तल ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र (Fake Experience Certificates) दिखाकर जलदाय विभाग (PHED) से करोड़ों रुपए के टेंडर हासिल किए थे।

  • श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी का घोटाला

    • श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी ने फर्जी कार्य प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल कर पीएचईडी (PHED) की 68 निविदाओं (Tenders) में भाग लिया।

    • इन निविदाओं में से 31 में एल-1 (L-1) के रूप में 859.2 करोड़ रुपए के टेंडर हासिल किए थे।

  • श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी की भूमिका

    • श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी ने 169 निविदाओं में भाग लिया।

    • इनमें से 73 निविदाओं में एल-1 (L-1) का दर्जा प्राप्त किया और 120.25 करोड़ रुपए के टेंडर हासिल किए थे।

  • घोटाले का खुलासा और एसीबी की कार्रवाई

    • जब इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ, तो एसीबी (Anti Corruption Bureau) ने तुरंत जांच शुरू की।

    • कई भ्रष्ट अधिकारियों को पकड़ा गया और उनके खिलाफ कार्रवाई की गई।

  • ईडी और सीबीआई की जांच

    • ईडी (ED) ने केस दर्ज कर महेश जोशी और उनके सहयोगी संजय बड़ाया सहित अन्य के ठिकानों पर दबिश दी।

    • इसके बाद सीबीआई (CBI) ने 3 मई 2024 को केस दर्ज किया।

    • ईडी ने अपनी जांच पूरी कर 4 मई को एसीबी को सबूत और दस्तावेज सौंपे थे।

 

कोर्ट ने क्या कहा और क्या हो सकता है आगे?

कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी की और फैसला सुरक्षित रख लिया। यह भी माना जा रहा है कि कोर्ट इस मामले में बहुत जल्द अपना निर्णय सुनाएगा। महेश जोशी की जमानत याचिका पर आगामी फैसला न्यायिक प्रणाली में एक महत्वपूर्ण कदम होगा, क्योंकि यह केवल महेश जोशी के मामले से ही नहीं, बल्कि जल जीवन मिशन में हुए घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार और कानूनी प्रक्रिया से भी जुड़ा हुआ है।

जल जीवन मिशन का मामला और विवाद

जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) एक बड़ा सरकारी कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य देश के प्रत्येक घर में स्वच्छ जल (Clean Water) पहुंचाना है। इस योजना में कई बड़े घोटालों की भी खबरें सामने आई हैं, जिनमें अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत का आरोप है। महेश जोशी पर आरोप है कि उन्होंने इस मिशन के तहत बेजा लाभ उठाया और सरकारी फंड का गलत इस्तेमाल किया।

क्या महेश जोशी को राहत मिल सकती है ?

महेश जोशी को अगर जमानत मिलती है, तो यह बड़ी राहत का कारण बन सकती है। लेकिन कोर्ट का निर्णय आने तक यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें जमानत मिलेगी या नहीं। कोर्ट को इस मामले में दोनों पक्षों की दलीलों को ध्यान में रखते हुए फैसला करना होगा।

FAQ

1. जल जीवन मिशन भ्रष्टाचार मामले में पूर्व मंत्री महेश जोशी पर क्या आरोप हैं?
पूर्व मंत्री महेश जोशी पर जल जीवन मिशन में आर्थिक अनियमितता और भ्रष्टाचार जैसे संगीन आरोप हैं। ईडी ने उन्हें धनशोधन के तहत आरोपी बनाया है।
2. क्या जल जीवन मिशन भ्रष्टाचार मामले में अन्य आरोपी जमानत पर हैं?
जी हाँ, अन्य आरोपियों जैसे पीयूष जैन, संजय बडाया, पदम चन्द जैन, महेश मित्तल को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश से जमानत मिल चुकी है।
3. क्या महेश जोशी के खिलाफ मूल FIR में मामला दर्ज था?
राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) और सीबीआई (CBI) की FIR में उनका नाम नहीं था, लेकिन ईडी ने इसी FIR के आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया।
4. जल जीवन मिशन भ्रष्टाचार मामले में महेश जोशी की याचिका पर वर्तमान स्थिति क्या है?
हाईकोर्ट में तीन दिन की बहस के बाद जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा गया है। निर्णय की प्रतीक्षा है।
5. जल जीवन मिशन के मामलों में एजेंसियों की संलिप्तता क्यों ज़रूरी है?
घोटाला और सार्वजनिक धन की हानि होने पर राज्य और केंद्र की जांच एजेंसियों की भूमिका आवश्यक है, ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।

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