राजस्थान फीस एक्ट बना सिर्फ दिखावा, हर साल कट रही अभिभावकों की जेब, जानें पूरा मामला

राजस्थान में फीस एक्ट लागू नहीं हो पाया, निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वृद्धि जारी है। दिल्ली फीस एक्ट से राजस्थान की तुलना पर चर्चा। The Sootr में जानें पूरा मामला।

author-image
Nitin Kumar Bhal
New Update
rajasthan-fee-act-implementation

Photograph: (The Sootr)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

दिल्ली में फीस एक्ट (Fee Act) लागू होने के बाद अभिभावकों (Parents) को मनमानी फीस वृद्धि (Arbitrary Fee Hike) से राहत मिल गई है, लेकिन राजस्थान (Rajasthan) में यह स्थिति अब भी जस की तस है। आठ साल पहले फीस एक्ट (Fee Act) लागू हुआ था, लेकिन इसका पालन कभी नहीं हो पाया। परिणामस्वरूप, हर नए सत्र के साथ अभिभावकों की जेब पर बोझ बढ़ता जा रहा है और निजी स्कूल मनमानी तरीके से फीस बढ़ाते जा रहे हैं।

दिल्ली और राजस्थान फीस एक्ट में फर्क क्या है?

दिल्ली में दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) अधिनियम, 2025 (Delhi School Education Act 2025) लागू होने के बाद निजी स्कूलों को मनमानी फीस वृद्धि पर रोक लग गई है। इसके तहत स्कूलों को फीस निर्धारण में पारदर्शिता रखने का आदेश दिया गया है। लेकिन राजस्थान (Rajasthan) में शिक्षा विभाग अब भी तमाशबीन बना हुआ है। यहां निजी स्कूल हर सत्र में फीस बढ़ाते हैं, लेकिन अभिभावकों की शिकायतों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते।

इस बारे में पेरेंट्स वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष दिनेश कांवट ने कहा कि फीस एक्ट का असली फायदा अभिभावकों को नहीं मिला। स्कूलों की मनमानी से हर साल जेब पर बोझ बढ़ रहा है, लेकिन विभाग और सरकार खामोश हैं। अगर दिल्ली फीस एक्ट को कड़ाई से लागू कर सकती है, तो राजस्थान में क्यों नहीं?

जयपुर में स्कूल फीस वृद्धि का मुद्दा

राजधानी जयपुर में 50 से अधिक बड़े और लगभग 5,000 छोटे निजी स्कूल संचालित हो रहे हैं। इनमें से अधिकतर स्कूल हर सत्र में फीस बढ़ाते हैं। फीस एक्ट होने के बावजूद न तो अभिभावकों की सुनवाई हो रही है और न ही स्कूलों पर कोई सख्ती। अभिभावक संगठनों (Parents’ Organizations) का कहना है कि शिक्षा विभाग की ढिलाई ने फीस एक्ट को ‘बेजान कानून’ बना दिया है।

rajasthan-fee-act-implementation
शिक्षा संकुल जयपुर। Photograph: (The Sootr)

राजस्थान फीस एक्ट क्या है?

  1. फीस एक्ट का उद्देश्य

    • राजस्थान विद्यालय (फीस का विनियमन) अधिनियम, 2016 का उद्देश्य राज्य में स्कूलों द्वारा ली जाने वाली फीस को विनियमित करना है, खासकर निजी स्कूलों (Private Schools) में।

    • यह अधिनियम पारदर्शिता (Transparency) लाने और अभिभावकों (Parents) को शोषण (Exploitation) से बचाने के लिए है।

  2. स्कूल स्तरीय फीस समिति (SLFC) का गठन

    • हर स्कूल को एक विद्यालय स्तरीय फीस समिति (School Level Fee Committee - SLFC) बनानी होती है।

    • यह समिति स्कूल की फीस निर्धारित (Fee Determination) करती है और यह सुनिश्चित करती है कि फीस का निर्धारण उचित तरीके से हो।

  3. पीटीए (PTA) का गठन

    • प्रत्येक स्कूल को सत्र शुरू होने के 30 दिनों (30 Days) के भीतर पेरेंट्स-टीचर्स एसोसिएशन (PTA) का गठन करना होता है।

    • इस समिति में अभिभावकों और शिक्षकों दोनों को शामिल किया जाता है।

  4. फीस समिति का चुनाव

    • पीटीए (PTA) के सदस्यों में से, 15 अगस्त (15th August) से पहले, स्कूल स्तरीय फीस समिति (SLFC) का चुनाव लॉटरी (Lottery) द्वारा किया जाता है।

    • इसमें 10 सदस्य होते हैं, जिनमें 5 स्कूल और 5 अभिभावक होते हैं।

  5. फीस का निर्धारण

    • एसएलएफसी (SLFC) द्वारा निर्धारित फीस 3 साल (3 Years) तक लागू रहती है।

    • यह निर्धारित फीस स्कूल में पारदर्शिता (Transparency) बनाए रखती है और किसी भी अवैध बढ़ोतरी को रोकती है।

  6. सूचना का प्रकाशन

    • निर्धारित फीस (Determined Fee) की जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी (District Education Officer) को भेजी जाती है।

    • इसके अलावा, यह जानकारी सार्वजनिक रूप से (Publicly) भी प्रदर्शित की जाती है ताकि अभिभावकों को सही जानकारी मिल सके।

  7. संभागीय और राज्य स्तरीय समितियां

    • फीस निर्धारण के लिए संभागीय (Division Level) और राज्य स्तरीय (State Level) भी समितियां गठित की जानी चाहिए।

    • यह समितियां सुनिश्चित करती हैं कि राज्य भर में फीस की मानवाधिकार (Human Rights) का पालन हो और स्कूलों द्वारा उचित प्रक्रिया अपनाई जाए।

राजस्थान में फीस एक्ट के प्रावधान क्या हैं?

राजस्थान फीस एक्ट (Rajasthan Fee Act) में कई प्रावधान हैं, लेकिन इनका पालन सही से नहीं हो पा रहा है। इस एक्ट के तहत, नया सत्र शुरू होने के 30 दिन के भीतर स्कूलों को पेरेंट्स-टीचर्स एसोसिएशन (PTA) का गठन करना अनिवार्य है। इसके बाद, पीटीए में से स्कूल लेवल फीस कमेटी का चुनाव लॉटरी से किया जाना चाहिए।

स्कूलों में फीस कमेटी का गठन और भूमिका

हर स्कूल में पीटीए (PTA) के गठन के बाद, फीस कमेटी (Fee Committee) का गठन किया जाना चाहिए। इस कमेटी में 10 सदस्य (10 Members) होते हैं, जिसमें 5 स्कूल (5 School) और 5 अभिभावक (5 Parents) शामिल होते हैं। इस कमेटी द्वारा तय की गई फीस 3 साल (3 Years) तक लागू रहती है।

स्कूल फीस निर्धारण में पारदर्शिता की आवश्यकता

फीस की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए फीस निर्धारण कमेटी राज्य और संभाग स्तर पर गठित की जानी चाहिए। राजस्थान में , हालांकि कई स्कूलों ने कमेटी का गठन नहीं किया और फीस बढ़ाने के फैसले सीधे स्कूलों द्वारा किए जाते हैं। इसका परिणाम यह है कि निजी स्कूल फीस बढ़ाते हैं और अभिभावक शिकायत करते हैं, लेकिन विभाग द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते।

प्राइवेट स्कूल फीस निर्धारण में शिक्षा विभाग की भूमिका क्या है?

स्कूल शिक्षा विभाग राजस्थान ने पिछले कुछ सालों में फीस एक्ट के तहत एक्शन लिया है, लेकिन ये प्रयास काफी सीमित और निरंतर नहीं रहे हैं। राजस्थान में फीस एक्ट की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है। पिछले सत्र में, एक निजी स्कूल पर संभागीय फीस विनियामक समिति ने फीस वृद्धि को नियम विरुद्ध मानते हुए कार्रवाई की थी। लेकिन उसके बाद से, विभाग ने न तो किसी अन्य स्कूल पर सख्ती दिखाई और न ही कमेटियों की जांच की।

राजस्थान में अभिभावकों को बढ़ती स्कूल फीस से राहत कैसे दिलाई जा सकती है?

राजस्थान में फीस एक्ट (Fee Act) का कार्यान्वयन दुरुस्त नहीं है। अधिकांश स्कूलों में पीटीए (PTA) और फीस कमेटी (Fee Committee) का गठन नहीं किया जाता, जिससे मनमानी फीस वृद्धि (Arbitrary Fee Hike) पर रोक नहीं लग पाती। सरकार और शिक्षा विभाग को सख्त कदम उठाने चाहिए ताकि अभिभावकों को राहत (Relief) मिल सके। राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को  राजस्थान में मनमानी निजी स्कूल फीस वृद्धिकी इस समस्या की ओर ध्यान देना चाहिए।

FAQ

1. राजस्थान में फीस एक्ट क्यों लागू नहीं हो पाया?
उत्तर: राजस्थान फीस एक्ट (Rajasthan Fee Act) का पालन सही से नहीं किया जा रहा है क्योंकि अधिकतर स्कूलों में पीटीए (PTA) और फीस कमेटी (Fee Committee) का गठन नहीं हो रहा है, जिससे मनमानी फीस वृद्धि (Arbitrary Fee Hike) पर रोक नहीं लग पा रही है।
2. दिल्ली फीस एक्ट और राजस्थान फीस एक्ट में क्या अंतर है?
दिल्ली फीस एक्ट (Delhi Fee Act) के तहत स्कूलों को फीस वृद्धि (Fee Hike) पर रोक लगा दी गई है, जबकि राजस्थान फीस एक्ट (Rajasthan Fee Act) का पालन नहीं हो रहा है और स्कूलों को मनमानी (Arbitrary) तरीके से फीस बढ़ाने का अधिकार है।
3. राजस्थान में फीस एक्ट के तहत किस प्रकार की कार्रवाई होती है?
राजस्थान फीस एक्ट (Rajasthan Fee Act) के तहत, फीस वृद्धि (Fee Hike) पर कार्रवाई की जाती है, लेकिन इस पर अधिकांश स्कूलों में सख्ती नहीं दिखाई जाती।
4. क्या अभिभावकों को फीस वृद्धि के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार है?
हां, अभिभावक (Parents) को फीस वृद्धि (Fee Hike) के खिलाफ शिकायत करने का अधिकार है, लेकिन राजस्थान में शिक्षा विभाग का ध्यान इस पर कम है।
5. राजस्थान में फीस एक्ट लागू होने पर क्या सुधार हो सकता है?
उत्तर: राजस्थान में फीस एक्ट (Rajasthan Fee Act) के सही से लागू होने से स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वृद्धि (Arbitrary Fee Hike) पर रोक लगेगी और अभिभावकों (Parents) को राहत मिलेगी।

thesootr links

सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट केसाथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬

👩‍👦👨‍👩‍👧‍👧

स्कूल शिक्षा विभाग राजस्थान राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर राजस्थान फीस एक्ट राजस्थान में मनमानी निजी स्कूल फीस वृद्धि राजस्थान में फीस एक्ट की स्थिति पेरेंट्स वेलफेयर सोसायटी