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Photograph: (The Sootr)
राजस्थान (Rajasthan) के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा उपकरणों की कमी दिन-प्रतिदिन गहराती जा रही है। इस समस्या ने राज्य सरकार के स्वास्थ्य क्षेत्र को गंभीर चुनौती दी है। पिछले पांच महीनों से राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (RMSCL) द्वारा महत्वपूर्ण उपकरणों की खरीद प्रक्रिया अटकी हुई है। राजस्थान के अस्पतालों में चिकित्सा उपकरणों की कमी होने से आम लोगों को खासकर बच्चों के इलाज में काफी परेशानी आ रही है। मजबूरी में उन्हें प्राइवेट अस्पताल में मोटी रकम देकर इलाज कराना पड़ रहा है।
राजस्थान में नवजात शिशुओं के इलाज पर संकट
राजस्थान के विभिन्न अस्पतालों में खासकर नवजात शिशुओं के इलाज के लिए जरूरी उपकरणों की भारी कमी देखी जा रही है। इन उपकरणों में वार्मर (warmer), फोटोथेरेपी उपकरण (phototherapy), ज्वाइंडिक्स मीटर (jaundice meter), मल्टीपेरा मॉनीटर (multipara monitor), और ईसीजी मशीन (ECG machine) जैसे आवश्यक उपकरण शामिल हैं। राजस्थान में इमरजेंसी मेडिकल उपकरणों की कमी मरीजों के इलाज को प्रभावित कर रही है और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठाने के लिए मजबूर कर रही है।
स्वास्थ्य सचिव IAS गायत्री राठौड़ ने इस स्थिति पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सभी जरूरी उपकरणों के लिए खरीद आदेश प्रक्रिया में है। उन्होंने यह भी कहा कि जल्दी ही इन उपकरणों के लिए फिर से टेंडर जारी किए जाएंगे। इसके अलावा, संविदा दरों को भी शीघ्र संशोधित किया जाएगा, ताकि अस्पतालों में इन उपकरणों की आपूर्ति की जा सके।
राजस्थान में सरकारी अस्पतालों की स्थिति क्या है ?
आरएमएससीएल की ओर से पिछले कुछ महीनों से इन उपकरणों की खरीद प्रक्रिया बहुत धीमी रही है। कई उपकरणों के टेंडर हो चुके थे, लेकिन उनकी खरीद प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो सकी। कुछ उपकरणों के टेंडर जारी हो चुके थे, लेकिन उनकी खरीद प्रक्रिया में देरी के कारण अस्पतालों में इनकी कमी बनी हुई है।
आरएमएससीएल अधिकारियों ने बताया कि पिछले दो महीने से इन फाइलों का पेंडिंग होना, स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक गंभीर समस्या बन गई है। स्वास्थ्य मंत्री और सचिव ने इस मामले को लेकर नाराजगी जताई और अधिकारियों से त्वरित कार्रवाई करने को कहा है।
राजस्थान में कितने सरकारी अस्पताल हैं ?राजस्थान में कुल 63 जिला अस्पताल, 107 उप जिला अस्पताल, 28 सैटेलाइट अस्पताल, 817 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, करीब 3000 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 15,294 सब सेंटर हैं।इन सभी संस्थानों में 'मदर-हब-स्पोक' मॉडल के तहत लैब सेवाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त जांच से राज्यभर में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार होगा और मरीजों को नजदीकी केंद्रों पर ही आवश्यक जांच सेवाएं मिल सकेंगी। | |
राजस्थान में कौन से जरूरी स्वास्थ्य उपकरणों की खरीद अटकी है ?
1. वार्मर (Warmer)
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वार्मर नवजात शिशुओं के इलाज में अत्यधिक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह नवजात बच्चों के शरीर के तापमान को नियंत्रित करने और उन्हें गर्म रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यदि यह उपकरण उपलब्ध नहीं होता तो शिशुओं की जान को खतरा हो सकता है।
2. फोटोथेरेपी (Phototherapy)
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फोटोथेरेपी का उपयोग नवजात शिशुओं में पीलिया जैसी समस्या के इलाज में किया जाता है। यह उपकरण पराबैंगनी (UV) लाइट का इस्तेमाल करता है, जो बिलीरुबीन को तोड़ने में मदद करता है, जिससे पीलिया का इलाज संभव हो पाता है।
3. ज्वाइंडिक्स मीटर (Jaundice Meter)
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यह उपकरण नवजात शिशुओं में पीलिया की स्थिति का पता लगाने में मदद करता है। इसके द्वारा यह ज्ञात किया जाता है कि किसी शिशु को पीलिया है या नहीं और यदि है तो वह कितनी गंभीर है।
4. मल्टीपेरा मॉनिटर (Multipara Monitor)
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मल्टीपेरा मॉनिटर इमरजेंसी और आईसीयू जैसी स्थितियों में काम आता है। यह उपकरण मरीज के हृदय गति, रक्तचाप, ऑक्सीजन स्तर, श्वास दर और तापमान को एक ही स्क्रीन पर दिखाता है। यह एक इमरजेंसी उपकरण है, जो डॉक्टरों को तुरंत निर्णय लेने में मदद करता है।
5. ईसीजी मशीन (ECG Machine)
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ईसीजी मशीन का उपयोग हृदय के स्वास्थ्य की जांच के लिए किया जाता है। यह उपकरण हृदय की धड़कनों और विद्युत गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है, जिससे डॉक्टर को हृदय संबंधी समस्याओं का निदान करने में मदद मिलती है।
रोगी के इलाज में स्वास्थ्य उपकरणों की क्या अहमियत है ?
1. नवजात शिशुओं की देखभाल में महत्वपूर्ण
वार्मर और फोटोथेरेपी उपकरण नवजात शिशुओं के इलाज में विशेष रूप से महत्वपूर्ण होते हैं। पीलिया जैसी बीमारी के इलाज के लिए फोटोथेरेपी उपकरण और शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए वार्मर की आवश्यकता होती है।
2. इमरजेंसी में त्वरित प्रतिक्रिया
मल्टीपेरा मॉनिटर और ईसीजी मशीन जैसी मशीनें इमरजेंसी स्थिति में मरीज की स्थिति का तुरंत पता लगाने में मदद करती हैं। इन उपकरणों के बिना, डॉक्टरों के लिए त्वरित निर्णय लेना मुश्किल हो सकता है।
3. स्वास्थ्य सेवाओं का प्रभाव
इन उपकरणों की कमी से स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। अस्पतालों में इन उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करने से इलाज की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
4. उपकरणों की खरीद में देरी से संकट
आरएमएससीएल की खरीद प्रक्रिया में देरी से यह स्पष्ट हो जाता है कि सरकारी तंत्र की कुछ खामियां हैं। इन खामियों को सुधारने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस प्रकार की समस्याएं उत्पन्न न हों।
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