राजस्थान में IAS नियुक्ति को लेकर विवाद, सरकार पर लगे जातिवादी होने के आरोप, जानें पूरा मामला

केंद्र सरकार ने राजस्थान कैडर के लिए चार नए IAS अधिकारियों की नियुक्ति की है, जिसमें सभी सामान्य वर्ग से हैं, जिस पर विवाद उठे हैं। The Sootr में जानें पूरा मामला।

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Nitin Kumar Bhal
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केंद्र कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने 18 अगस्त 2025 को राजस्थान कैडर के लिए चार नए IAS अधिकारियों की नियुक्ति की घोषणा की। इन अधिकारियों का चयन राजस्थान की अन्य सेवाओं से किया गया है लेकिन, इस नियुक्ति प्रक्रिया ने जल्द ही एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। जिन चार अधिकारियों को IAS में प्रोबेशन पर नियुक्त किया गया है, वे सभी सामान्य वर्ग (General Category) से हैं। इस पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सख्त आपत्ति जताई और इसे जातिवाद से जोड़ते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं।

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राजस्थान में अन्य सेवा से IAS बने अधिकारी

इस नियुक्ति में राजस्थान के चार अधिकारी डॉ. नीतीश शर्मा, अमिता शर्मा, नरेंद्र कुमार मंघानी, और नरेश कुमार गोयल को IAS में प्रोबेशन पर नियुक्त किया गया है। इन सभी अधिकारियों का चयन अन्य सेवाओं से किया गया है, और यह सभी अधिकारी सामान्य वर्ग से हैं। राजस्थान में अन्य सेवा से IAS नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर राजस्थान में सियासी विवाद खड़ा हो गया है, जिसमें प्रदेश कांग्रेस ने सरकार पर जातिवाद का आरोप लगाया है।

इंटरव्यू के लिए भेजे गए थे 20 नाम

सूत्रों के अनुसार अन्य सेवाओं से आईएएस में नियुक्ति के लिए राजस्थान से 20 नाम भेजे गए थे। इनके इंटरव्यू 23 और 24 जुलाई 2025 को यूपीएससी में हुए। इस इंटरव्यू के आधार पर ही चार अधिकारियों का चयन किया गया। बताया जा रहा है कि चयनित अधिकारियों में वो चेहरे हैं जिनका वैचारिक झुकाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर रहा है। 

एक अधिकारी सीएमओ में रहे पदस्थ

अन्य सेवाओं से आईएएस में नियुक्ति के लिए चुने गए चार अधिकारियों में से एक अधिकारी सीएमओ में निदेशक (सांख्यिकी) निदेशक डॉ. नीतीश शर्मा हैं। वहीं, आयोजना विभाग में संयुक्त सचिव (समन्वय) नरेन्द्र कुमार मंघानी, अतिरिक्त निदेशक (कोष एवं लेखा) अमिता शर्मा और राज्य बीमा प्रावधायी निधि सेवा के अधिकारी नरेश कुमार गोयल को आईएएस बनाया गया है।

सूची में पांच अधिकारी एससी-एसटी के

सूत्रों के मुताबिक, यूपीएससी इंटरव्यू के लिए भेजी गई सूची में अनुसूचित जाति वर्ग से अनिल अंबेश, भोमाराम और सुरेश कुमार वर्मा का नाम था। जबकि अनुसूचित जनजाति वर्ग से मुकेश कुमार मीना व डॉ. पूनम प्रसाद थे। दो नाम रमजान अली और राशिद खान मुस्लिम समुदाय से थे।

देखें ... राजस्थान से इंटरव्यू के लिए यूपीएससी भेजी गई सूची

गोविंद डोटासरा ने लगाया ​जातिवाद का आरोप

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राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने राजस्थान सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), अति पिछड़ा वर्ग (MBC) और अल्पसंख्यक वर्ग (Minority) से किसी भी अधिकारी का चयन न होना भजनलाल सरकार की जातिवादी मानसिकता को उजागर करता है। डोटासरा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट लिखते हुए इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए और इसे सामाजिक न्याय की भावना के खिलाफ बताया।

पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि  राजस्थान में इस बार ऐसा हुआ है कि IAS बनने वाले चारों अधिकारी सामान्य वर्ग से हैं। यह एक गंभीर और आश्चर्यजनक बात है। सरकार ने इस बार कोई SC, ST, OBC या MBC वर्ग का अधिकारी नहीं चुना। यह जातिवाद को बढ़ावा देने वाली सोच को दर्शाता है।” डोटासरा ने आगे कहा कि यह स्थिति उस समय बनी है जब लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी जातिगत जनगणना के पक्ष में हैं, ताकि सामाजिक न्याय सुनिश्चित हो सके।

राजस्थान में IAS नियुक्ति में पहले मिला सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व

राजस्थान में पिछले कुछ वर्षों में हुए IAS चयन में विभिन्न वर्गों को प्रतिनिधित्व मिला था। उदाहरण के लिए, वर्ष 2021 में चार रिक्तियों के लिए एक सामान्य वर्ग, एक SC, और दो OBC अधिकारियों का चयन किया गया था। इसके अलावा, 2022 में दो रिक्तियों के लिए एक SC और एक OBC अधिकारी को चुना गया था।

यह पहली बार है जब 2025 में सभी चार सीटों पर सामान्य वर्ग के अधिकारियों का चयन हुआ है। इससे यह मामला और भी संवेदनशील हो गया है, क्योंकि यह सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ माना जा रहा है। राजस्थान में जातिवाद पर विवाद खड़ा हो गया है।

अन्य सेवाओं से IAS में चयन प्रक्रिया क्या है?

राजस्थान में अन्य सेवाओं से IAS में चयन के लिए एक निर्धारित कोटा होता है। चयन प्रक्रिया में तीन वरिष्ठ अधिकारी शामिल होते हैं- राज्य का मुख्य सचिव, DoPT सचिव और वरिष्ठतम IAS अधिकारी। सामान्य तौर पर, इस प्रक्रिया में सभी वर्गों के अधिकारियों को समान अवसर देने की परंपरा रही है। लेकिन इस बार, केवल सामान्य वर्ग के अधिकारियों का चयन हुआ है, जिसके कारण विवाद उत्पन्न हुआ है।

भाजपा सरकार पर जातिवादी होने का आरोप

राजस्थान IAS नियुक्ति विवाद को राजस्थान में चुनावी राजनीति से भी जोड़ा जा रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने यह आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने जानबूझकर इस प्रक्रिया में सामान्य वर्ग के अधिकारियों को ही प्राथमिकता दी है। उन्होंने इसे भाजपा की जातिवादी सोच का परिणाम बताया और कहा कि भाजपा को 36 कौम का वोट हासिल करने के बाद अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए थी। ऐसे में अब राजस्थान में IAS नियुक्ति को लेकर विवाद गहरा गया है।

FAQ

1. राजस्थान में अन्य सेवाओं से IAS के लिए चयन प्रक्रिया क्या है?
राजस्थान में IAS के लिए चयन प्रक्रिया में राज्य की अन्य सेवाओं से अधिकारियों का चयन किया जाता है। इसमें एक चयन समिति होती है, जिसमें राज्य का मुख्य सचिव, DoPT सचिव, और वरिष्ठतम IAS अधिकारी होते हैं।
2. राजस्थान के लिए IAS अधिकारियों की नियुक्ति पर विवाद क्यों हुआ है?
इस विवाद का कारण यह है कि इस बार सभी चार IAS अधिकारियों का चयन सामान्य वर्ग से हुआ है, जबकि पिछले वर्षों में विभिन्न वर्गों को प्रतिनिधित्व मिला था। इस पर कांग्रेस ने जातिवाद का आरोप लगाया है।
3. क्या राजस्थान में पहले कभी ऐसा हुआ है कि सभी पद सामान्य वर्ग के अधिकारियों से भरे गए हों?
नहीं, यह पहली बार है जब अन्य सेवाओं से IAS के सभी चार पद सामान्य वर्ग के अधिकारियों से भरे गए हैं। पहले के चयन में SC, ST, OBC और अन्य वर्गों से भी अधिकारियों का चयन हुआ था।
4. राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष डोटासरा ने IAS नियुक्ति पर किस प्रकार के आरोप लगाए हैं?
डोटासरा ने इस नियुक्ति पर जातिवाद का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि इसमें SC, ST, OBC, MBC, और अल्पसंख्यक वर्ग से किसी भी अधिकारी का चयन नहीं किया गया, जो सामाजिक न्याय के खिलाफ है।

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