सरकारी जमीन पर बना है ज्वैल्स ऑफ इंडिया, राजस्थान सरकार ने उप-किराएदार के पक्ष में दे दिया कमर्शियल पट्टा

ज्वैल्स ऑफ इंडिया विवाद, सरकारी जमीन के कमर्शियल पट्टे और भ्रष्टाचार से जुड़े मामले की पूरी जानकारी, जिसमें जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) की मिलीभगत सामने आई है।

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Nitin Kumar Bhal
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Photograph: (The Sootr)

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मुकेश शर्मा @ जयपुर

राजस्थान सरकार की मिलीभगत पर जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) ने राजधानी जयपुर में अरबों की सरकारी जमीन का ना केवल कमर्शियल पट्टा जारी कर दिया, बल्कि जमीन पर ज्वैल्स ऑफ इंडिया के नाम से आलीशान फ्लैट्स और बड़े बड़े शोरूम बन गए हैं। जेएलएन मार्ग से टोंक रोड के बीच फैली 205 बीघा 8 बिस्वा सरकारी जमीन की ऐसी बंदरबांट हुई कि सत्ताधीशों से लेकर जेडीए के छोटे-बड़े अधिकारी मालामाल हो गए। 

दरअसल, ज्वैल्स ऑफ इंडिया की आलीशान बहुमंजिला इमारत जिस जमीन पर खड़ी है, वह राजस्थान सरकार ने 1965 में कैपस्टन मीटर को इंड्रस्ट्रियल उपयोग के लिए मिली थी। इन कंपनी ने इंडस्ट्री लगाने की बजाय जमीन का कुछ हिस्सा अपने ही परिवार की कंपनी जय ड्रिंक्स को सब लीज पर दे दिया। यानी जमीन पर जय ड्रिंक्स की हैसियत किराएदार के रूप में थी। कंपनी ने समय के साथ अरबों रुपए की हुई बेशकीमती जमीन पर खेला रचा। उसने अपने रसूख का इस्तेमाल कर जेडीए से कमर्शियल पट्टा जारी करा लिया। बाद में इस जमीन पर ज्वैल्स ऑफ इंडिया के रूप में आलीशान इमारत खड़ी हो गई। इस मामले ने जेडीए में भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है।

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ज्वैल्स ऑफ इंडिया अपार्टमेंट Photograph: (The Sootr)

अपार्टमेंट में आठ करोड़ तक के फ्लैट

जेएलएन मार्ग पर मालवीय नगर पुलिया के एक तरफ बनी ज्वैल्स ऑफ इंडिया अपार्टमेंट जयपुर में छह से आठ करोड़ रुपए कीमत के फ्लैट है। बताया जा रहा है कि इसमें नेताओं और अधिकारियों के अनेक फ्लैट हैं। इनमें कुछ को उपकृत किया गया है। अपार्टमेंट में लग्जरी लाइफ के लिए तमाम सुविधाएं हैं। बड़े-बड़े शोरूम हैं। इस अपार्टमेंट में फ्लैटों की रजिस्ट्री विक्रेता के रूप में जय ड्रिंक्स के नाम ही होती है। इतना ही नहीं, ज्वैल्स ऑफ इंडिया ने पीछे जा रहे नाले पर भी अतिक्रमण कर रखा है। यह दिखाता है कि जयपुर में सरकारी जमीन का अवैध उपयोग धड़ल्ले से जारी है।

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Photograph: (The Sootr)

जमीन कैपस्टन मीटर की है या सरकारी!

आइए, अब आपको जमीन की स्थिति के बारे में अवगत कराते हैं। राजस्थान सरकार ने कैपस्टन मीटर को 23 अप्रेल, 1965 को मानपुर, झालाना डूंगर में 132 बीघा 5 बिस्वा और अक्टूबर 1965 में झालाना डूंगर की ही 73 बीघा 3 बिस्वा सिवाय चक सरकारी जमीन इंडस्ट्री लगाने के लिए 99 साल की लीज पर दी थी। दो साल बाद 21 मार्च, 1967 को कैपस्टन मीटर ने इस जमीन में से 30 एकड़ जमीन अपने परिवार की कंपनी जय ड्रिंक्स को सब-लीज पर दे दी। वर्ष 1973 में सरकार ने बजाज नगर से सांगानेर एयरपोर्ट तक जमीन अवाप्त की थी। 

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कैपस्टन मीटर के साथ सरकार की लीज Photograph: (The Sootr)

14 अप्रेल, 1986 को सरकार ने झालाना डूंगर के खसरा नंबर 525,526, 527, 528 की 7.5 एकड़ जमीन अस्पताल के लिए, मानपुर देवरी के खसरा नंबर 115/195 तथा ग्राम झालाना डूंगर के खसरा नंबर- 14,15 और 16 की कुल 20 एकड़ जमीन नीलाम करने के लिए जेडीए को देने के आदेश किए। इन्हीं खसरों की बाकी 60 एकड़ जमीन में से स्कूल के लिए 20 एकड़, अस्पताल व हार्ट फाउंडेशन के लिए पांच एकड़, वृद्ध आश्रम के लिए पांच एकड़ तथा जय ड्रिंक्स को 18 एकड़ तथा कैपस्टन मीटर को फैक्ट्री के लिए 12 एकड़ जमीन अवाप्ति से मुक्त कर दी। इसके बाद 1 दिसंबर, 1987 और 2 दिसंबर, 1987 के आदेश से सरकार ने ग्राम झालाना डूंगर की 15 एकड़ जमीन चैरिटेबल ट्रस्ट को दान में देने के लिए अवाप्ति से मुक्त कर दी। 

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जय ड्रिंक्स का सब-लीज एग्रीमेंट Photograph: (The Sootr)


जय ड्रिंक्स को कैसे मिला पट्टा

कैपस्टन मीटर को जमीन इंडस्ट्री लगाने के लिए दी गई थी, लेकिन आज तक वहां कोई इंडस्ट्री नहीं लगी। सब-लीज वाली जय ड्रिंक्स का बॉटलिंग प्लांट जरूर बरसों तक यहां चलता रहा। इंडस्ट्री लगाने के लिए जमीन कैपस्टन मीटर को अलॉट हुई थी, ना कि जय ड्रिंक्स प्रा.लि. को। उसे तो सरकार के किराऐदार ने उप-किराए पर जमीन दी थी। इसके बावजूद जय ड्रिंक्स ने झालाना डूंगर के खसरा नंबर 180, 181, 184 और 186 की 74 हजार 147 वर्गमीटर जमीन का भू-उपयोग परिवर्तन इंडस्ट्रीयल से व्यावसायिक करने का आवेदन कर दिया। राज्य सरकार ने उस समय की आवासीय रिजर्व प्राइस के पांच प्रतिशत पर ही भू-उपयोग परिवर्तन करते हुए 13 दिसंबर, 2007 को जेडीए को जय ड्रिंक्स के पक्ष में नई लीज डीड जारी करने के आदेश दिए। जय ड्रिंक्स ने 66 करोड़ 65 लाख 32 हजार 210 रुपए लीज मनी जमा करवा दिए।  

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सरकार का जय ड्रिंक्स को पट्टा देने के आदेश Photograph: (The Sootr)

जेडीए ने एक जुलाई, 2008 को जय ड्रिंक्स के निदेशक अनुराग जयपुरिया के जरिए 72,967 वर्गमीटर जमीन का कमर्शियल पट्टा जारी कर दिया। बाकी जमीन का भू-उपयोग इंडस्ट्रीयल रहने के साथ ही राजस्व रिकार्ड में कैपस्टन मीटर के नाम ही दर्ज है। ऐसे में यह समझ से बाहर है कि सरकार ने किस आधार पर जय ड्रिंक्स के पक्ष में भू-उपयोग परिवर्तन करके कमर्शियल पट्टा दे दिया! आज इस जमीन पर ज्वैल्स ऑफ इंडिया के नाम से बहुमंजिला इमारत सभी नियम-कायदों को अंगूठा दिखाते हुए खड़ा है। 

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जय ड्रिंक्स के नाम जेडीए का कर्मिशयल पट्टा Photograph: (The Sootr)

कैपस्टन मीटर ने भी की कोशिश, लेकिन...

कैपस्टन मीटर ने भी पुष्पा जयपुरिया फाउंडेशन ट्रस्ट बनाकर जमीन ट्रस्ट में शामिल कर लिया और जमीन का भू-उपयोग परिवर्तन मिश्रित करवाने का आवेदन कर दिया] लेकिन जेडीए के तत्कालीन निदेशक विधि ने मामले में भारी घोटाला बताते हुए सीबीआई या एसीबी से जांच करवाने की सिफारिश कर दी थी। इसके बाद मामले की फाइल सरकार के उच्चतम स्तर पर ऐसी गई कि अब तक वापस लौटकर जेडीए में नहीं आई है। राजस्व रिकॉर्ड में भी संबंधित संस्था के नाम अब तक जमीन दर्ज नहीं हो पाई है और ना जेडीए आज तक जमीन का डिमार्केशन ही करवा पाया है।

FAQ

1. जयपुर में ज्वैल्स ऑफ इंडिया के निर्माण में कौन सी सरकारी जमीन का इस्तेमाल हुआ था?
इस अपार्टमेंट के निर्माण में राजस्थान सरकार द्वारा दी गई सरकारी जमीन का इस्तेमाल हुआ था। यह जमीन पहले कैपस्टन मीटर को इंडस्ट्रियल उपयोग के लिए दी गई थी, लेकिन बाद में इसे जय ड्रिंक्स को उप-किराए पर दे दिया गया और फिर उसे कमर्शियल पट्टा में बदला गया।
2. जय ड्रिंक्स को जयपुर में सरकारी जमीन पर कमर्शियल पट्टा कैसे मिला?
जय ड्रिंक्स ने 2007 में भू-उपयोग परिवर्तन का आवेदन किया और कमर्शियल पट्टा प्राप्त किया। जयपुर विकास प्राधिकरण जेडीए ने इसे नियमों की अवहेलना करते हुए पट्टा जारी किया, जो एक विवाद का कारण बना।
3. ज्वैल्स ऑफ इंडिया के फ्लैट्स किन लोगों के हैं?
ज्वैल्स ऑफ इंडिया के फ्लैट्स की कई बड़े नेताओं और सरकारी अधिकारियों में बंदरबांट हुई है। इनमें से कुछ लोगों को उपकृत किया गया है और कुछ फ्लैट्स सरकारी कर्मचारियों के हैं।
4. जयपुर में सरकारी जमीन का अवैध कब्जा करने पर क्या कार्रवाई की जाती है?
सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने पर कानून के तहत कार्रवाई की जाती है। इस मामले में भी, जेडीए (JDA) द्वारा सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा किया गया था, और यह एक बड़े भ्रष्टाचार का हिस्सा था।
5. क्या ज्वैल्स ऑफ इंडिया का निर्माण सरकारी नियमों का उल्लंघन है?
हां, ज्वैल्स ऑफ इंडिया का निर्माण सरकारी नियमों और कानूनों का उल्लंघन है। सरकारी जमीन को गलत तरीके से कमर्शियल पट्टा (Commercial Lease) दिया गया, जो एक बड़ा विवाद है।

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