श्रीकृष्ण जन्माष्टमी : कन्हैया के स्वागत को तैयार राजस्थान, गोविंद देव जी मंदिर में देंगे तोपों की सलामी

जयपुर समेत पूरे राजस्थान में जन्माष्टमी के पर्व की तैयारी जोरों पर, कृष्ण मंदिरों में विशेष आयोजन और छबियों के साथ भक्तों का उमड़ा उत्साह। विशेष शृंगार और ज्योतिषीय योग का अद्भुत संयोग।

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Nitin Kumar Bhal
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Photograph: (The Sootr)

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जयपुर समेत पूरे राजस्थान (Rajasthan) में आज शनिवार यानि 16 अगस्त 2025 को भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी () का पर्व श्रद्धा और भक्ति से मनाया जा रहा है। राज्यभर के कृष्ण मंदिरों में विशेष रूप से तैयारियां चल रही हैं। मथुरा-वृंदावन की तरह छोटीकाशी यानि जयपुर में भी कान्हा के स्वागत के लिए श्रद्धालु पूरी श्रद्धा से तैयार हैं। इसके पहले 15 अगस्त 2025 को स्मार्तजन ने व्रत और पूजा अर्चना की।

जन्माष्टमी के विशेष योग और पूजा विधि

इस साल जन्माष्टमी पर वृद्धि, ध्रुव, श्रीवत्स, गजलक्ष्मी, ध्वांक्ष और बुधादित्य जैसे छह शुभ योगों का विशेष संयोग रहेगा। यह ज्योतिषीय संयोग पर्व को और भी शुभ और खास बना देता है। ये योग धन, सुख, समृद्धि और प्रेम के प्रतीक माने जाते हैं। इस अवसर पर कृष्ण भक्त एकत्रित होकर उत्सव का हिस्सा बनेंगे और पूरे दिन मंदिरों में विभिन्न पूजा विधियों का पालन करेंगे।

गोविंददेव जी मंदिर में देंगे 31 तोपों की सलामी

गोविंददेव जी मंदिर (Govind Dev Ji Temple) जयपुर में विशेष पूजा अर्चना के साथ साथ 12 बजे रात को 31 तोपों की सलामी और आतिशबाजी का आयोजन किया जाएगा। साथ ही मंदिर के अधीन तेरह अन्य मंदिरों के विग्रहों के लिए नई पोशाक तैयार की गई है। इस दिन विशेष रूप से पंचामृत अभिषेक (Panchamrit Abhishek) होगा, जिसमें 425 लीटर दूध, 365 किलो दही, 11 किलो घी, 85 किलो बूरा, और 11 किलो शहद का उपयोग किया जाएगा।

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जयपुर स्थित भगवान गोविंद देव जी। Photograph: (The Sootr)

राजस्थान के प्रसिद्ध कृष्ण मंदिर

भगवान गोविंद देव जी मंदिर जयपुर

जयपुर में स्थित भगवान गोविंद देव जी मंदिर को जयपुर का आराध्य देव माना जाता है। जिसे जयपुर के राजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने बसाया था। यहां के लोग केवल जन्माष्टमी या अन्य किसी पर्व पर नहीं बल्कि अपना कोई भी नया काम शुरू करने से पहले यहां मन्नत जरूर मांगते हैं।

मदन मोहन मंदिर करौली

राजस्थान के करौली जिले में स्थित मदन मोहन मंदिर में भी हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। 300 साल पुराने मंदिर का निर्माण भक्त गोपाल सिंह ने करवाया था, जो उस समय के राजा भी थे। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण के पोते पद्नानाभ के हाथ से तैयार की गई एक मूर्ति यहां विराजित है।

श्रीनाथ मंदिर नाथद्वारा राजसमंद

राजसमंद जिले के नाथद्वारा कस्बे में स्थित भगवान श्रीनाथ मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की बाल रूप की झांकी है। इस मंदिर की भी राजस्थान में ही नहीं बल्कि पूरे देश में लोकप्रियता है।

भगवान खाटूश्याम का मंदिर, खाटू सीकर

राजस्थान के सीकर जिले में स्थित भगवान खाटूश्याम के मंदिर में बर्बरी के शीश को भगवान श्रीकृष्ण के रूप में पूजा जाता है। मानता है कि महाभारत काल में भीष्म के पोते बर्बरीक ने अपना शीश दान दिया था। तब श्रीकृष्ण ने उन्हें कलयुग में श्याम के नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था। हर साल एक करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। फाल्गुन महीने के दौरान ही 50 लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं।

सांवरिया सेठ मंदिर, मंडफिया चित्तौड़गढ़

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के मंडफिया में स्थित सांवरिया सेठ मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र है। इन्हें सेठ इसलिए कहा जाता है क्योंकि कई व्यापारी अपने व्यापार में भगवान सांवरिया को अपना पार्टनर मानते हैं। यहां हर महीने करोड़ों रुपए का चढ़ावा और सोना—चांदी आता है।

घर-घर बालस्वरूप की सजावट

जयपुर में, जन्माष्टमी के दिन घर-घर लड्डू गोपाल (Laddu Gopal) की विशेष सजावट और शृंगार किया जाएगा। इसे धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। घरों में बालस्वरूप को सजाकर, उन्हें नए कपड़े पहनाए जाएंगे और विशेष पूजा अर्चना की जाएगी। यह दृश्य एक अद्भुत भक्ति का प्रतीक बनता है। इस दिन विशेष रूप से मंदिरों में दर्शन करने के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में इकट्ठा होंगे।

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चित्तौड़गढ़ के मं​डफिया स्थित श्री सांवरिया सेठ। Photograph: (The Sootr)

प्रमुख मंदिरों में विशेष आयोजन

गोविंददेव जी मंदिर (Govind Dev Ji Temple) के अलावा जयपुर शहर के अन्य मंदिरों में भी जन्माष्टमी की विशेष पूजा आयोजित की जाएगी। जगतपुरा कृष्ण बलराम मंदिर, मानसरोवर इस्कॉन मंदिर, अक्षरधाम मंदिर और आनंद कृष्ण बिहारी मंदिर सहित कई मंदिरों में पंचामृत अभिषेक के साथ आर्किड और रजनीगंधा के फूलों से विशेष शृंगार किया जाएगा। इन मंदिरों के प्रांगण को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया है, जिससे वातावरण पूरी तरह से दिव्य और पवित्र हो गया है।

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भगवान ​श्री खाटूश्याम। Photograph: (The Sootr)

जन्माष्टमी पर विशेष ज्योतिषीय संयोग

इस साल जन्माष्टमी (Janmashtami) का पर्व विशेष ज्योतिषीय योगों के साथ मनाया जाएगा, जिससे यह पर्व और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। विशेष योगों में वृद्धि योग (Vridhi Yog), ध्रुव योग (Dhruv Yog), और गजलक्ष्मी योग (Gajalakshmi Yog) शामिल हैं। ये योग न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी बहुत शुभ माने जाते हैं।

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भगवान श्रीनाथ जी। Photograph: (The Sootr)

शुभ योगों का महत्व

  1. वृद्धि योग: यह योग आय और समृद्धि के लिए अत्यंत लाभकारी है।

  2. ध्रुव योग: यह स्थिरता और सफलता की प्राप्ति का प्रतीक है।

  3. श्रीवत्स योग: यह सुख और आनंद को बढ़ाने वाला होता है।

  4. गजलक्ष्मी योग: यह विशेष रूप से धन और समृद्धि की प्राप्ति का संकेत देता है।

  5. ध्वांक्ष योग: यह विशेष रूप से खुशियों और सौभाग्य का योग माना जाता है।

  6. बुधादित्य योग: यह बौद्धिक कार्यों और संचार के लिए अच्छा माना जाता है।

इन योगों का असर जीवन के विभिन्न पहलुओं पर पड़ता है और इसलिए इस बार का जन्माष्टमी पर्व विशेष महत्व रखता है।

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भगवान श्री मदन मोहन जी। Photograph: (The Sootr)

FAQ

1. जन्माष्टमी कब मनाई जाएगी?
जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त 2025 (August 16, 2025) को मनाया जाएगा।
2. इस बार जन्माष्टमी पर कौन से खास योग हैं?
इस बार जन्माष्टमी पर वृद्धि, ध्रुव, श्रीवत्स, गजलक्ष्मी, ध्वांक्ष और बुधादित्य जैसे छह शुभ योग होंगे।
3. जयपुर के गोविंददेव जी मंदिर में जन्माष्टमी पर विशेष क्या आयोजन होंगे?
गोविंददेव जी मंदिर में 12 बजे रात को 31 तोपों की सलामी, आतिशबाजी, और पंचामृत अभिषेक होगा।
4. जयपुर के अन्य मंदिरों में कौन से आयोजन होंगे?
जयपुर के अन्य प्रमुख मंदिरों जैसे कृष्ण बलराम मंदिर, अक्षरधाम मंदिर और आनंद कृष्ण बिहारी मंदिर में भी विशेष पूजा और अभिषेक होंगे।
5. घर में लड्डू गोपाल की पूजा कैसे करें?
घर में लड्डू गोपाल की पूजा के लिए उन्हें सुंदर वस्त्र पहनाएं, विशेष शृंगार करें और पंचामृत का अभिषेक करें। इसके बाद उन्हें भोग अर्पित करें और आरती करें।

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