राजस्थान में कालीबाई भील का बलिदान भुलाने की तैयारी, पाठ्यक्रम से हटाई आदिवासी वीरांगना की गाथा

राजस्थान में अब बच्चे वीर बालिका कालीबाई भील की गाथा नहीं पढ़ पाएंगे। कालीबाई की गाथा पाठ्यक्रम से हटाने पर विवाद। पूरा मामला जानें The Sootr में।

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Nitin Kumar Bhal
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एक ओर राजस्थान सरकार वीर बालिका कालीबाई भील के नाम पर ‘कालीबाई भील मेधावी छात्रा स्कूटी योजना’ चला करोड़ों रुपए खर्च कर प्रदेश की मेधावी छात्राओं को उच्च शिक्षा की ओर प्रेरित कर रही है। वहीं, दूसरी ओर एक नया विवाद सामने आ गया है। दरअसल, राज्य सरकार ने पाठ्यक्रम (Curriculum) में एक महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए कालीबाई भील की गाथा को कक्षा 5वीं की अंग्रेजी (English) की किताब से हटा दिया है। सवाल उठता है कि क्यों एक आदिवासी वीरांगना की गाथा को पाठ्यक्रम से हटा दिया गया? क्या कालीबाई का योगदान और संघर्ष विद्यार्थियों तक पहुंचाना जरूरी नहीं था?

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कालीबाई भील की गाथा विद्यार्थियों तक पहुंचाना जरूरी

कालीबाई भील एक आदिवासी वीरांगना थीं, जिन्होंने अपने साहस, संघर्ष और बलिदान से इतिहास में अपना नाम दर्ज किया। कालीबाई का जीवन प्रेरणा का स्रोत था, और उनकी गाथा विद्यार्थियों तक पहुंचाना जरूरी था। कालीबाई के योगदान को न केवल राज्य सरकार ने मान्यता दी है, बल्कि उनकी प्रेरणादायक कहानी को कक्षा 5वीं के पाठ्यक्रम (Curriculum) में भी शामिल किया गया था।

लेकिन राज्य की भाजपा सरकार ने हाल ही में कक्षा 5वीं के पाठ्यक्रम में बदलाव किया है और कालीबाई की गाथा को हटा दिया। शिक्षा सत्र 2025-26 से यह गाथा पाठ्यक्रम में नहीं होगी। पाठ्यक्रम में यह बदलाव, स्थानीयता और भारतीय महापुरुषों (Indian Heroes), परंपराओं, और इतिहास (History) की जानकारी को समावेश करने के उद्देश्य से किया गया था। हालांकि, इस निर्णय के बाद से बांसवाड़ा (Banswara), डूंगरपुर (Dungarpur), और अन्य आदिवासी इलाकों में इस बदलाव के खिलाफ विरोध बढ़ गया है।

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राजस्थान के जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने इस विवाद को लेकर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में है और कालीबाई का इतिहास पाठ्यक्रम में फिर से शामिल करवाया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं।

कालीबाई भील मेधावी छात्रा स्कूटी योजना क्या है

राजस्थान सरकार द्वारा कालीबाई भील मेधावी छात्रा स्कूटी योजना की शुरुआत 1 अप्रैल 2020 से की गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य आदिवासी छात्राओं को उच्च शिक्षा (Higher Education) के प्रति प्रेरित करना और उन्हें शिक्षा की दिशा में समर्पित करना है।

राज्य सरकार ने कालीबाई के नाम पर यह योजना शुरू की, जिससे आदिवासी समुदाय की छात्राओं को विशेष रूप से लाभ हुआ। कालीबाई की वीरता और बलिदान (Sacrifice) को न केवल याद किया गया, बल्कि उस पर आधारित एक कार्यक्रम शुरू किया गया। यह योजना छात्राओं को शिक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

वर्ष 2025-26 के बजट में राजस्थान सरकार ने स्कूटी वितरण योजना का लक्ष्य 20,000 से बढ़ाकर 35,000 यूनिट करने का ऐलान किया है। 2024-25 में इस योजना के तहत 47,692 आवेदन प्राप्त हुए थे, और लगभग 198.49 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था।

कालबाई भील की गाथा क्या है

  • आजादी से पहले डूंगरपुर के महारावल अपने राज्य में शिक्षा को रोकना चाहते थे, क्योंकि उन्हें डर था कि यदि लोग शिक्षित हो जाएंगे तो वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो जाएंगे।

  • कई शिक्षकों ने स्कूलों को चालू रखने के लिए अपनी जान जोखिम में डाली। नानाभाई खांट और सेंगाभाई रोत ने महारावल के सैनिकों की चेतावनियों और हिंसक दमन के बावजूद रास्तापाल गाँव में एक स्कूल चलाया।

  • 17 जून, 1947 को एक पुलिस अधिकारी और सिपाही स्कूल में आए और स्कूल बंद करने का आदेश दिया।

  • नानाभाई और सेंगाभाई के विरोध करने पर उन्हें बेरहमी से पीटा गया। नानाभाई हिंसा के आगे झुक गए और सेंगाभाई को ट्रक से बांधकर घसीटा गया।

  • इस दौरान 13 साल की काली बाई दरांती लेकर सिपाहियों से पूछताछ करने आईं। जब उन्हें पता चला कि शिक्षकों को सजा दी जा रही है, तो वह साहस के साथ अधिकारी का सामना करने गईं और कहा, "शिक्षा कोई अपराध नहीं है।"

  • काली बाई के साहस से प्रेरित होकर, गाँववालों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।

  • गुस्से में आकर अधिकारी ने काली बाई को गोली मार दी, जिससे वह घायल हो गईं।

  • क्रोधित ग्रामीणों ने सैनिकों पर हमला किया और उन्हें भागने पर मजबूर कर दिया।

  • सेंगाभाई को बचा लिया गया और अस्पताल ले जाया गया, लेकिन काली बाई 20 जून, 1947 को शिक्षा और स्वतंत्रता के लिए शहीद हो गईं।

पाठ्यक्रम से कालीबाई की गाथा क्यों हटाई गई?

राजस्थान में पाठ्यक्रम से हटाई कालीबाई भील की गाथा पर राज्य के कई शिक्षाविदों और सामाजिक संगठनों का मानना है कि कालीबाई भील की गाथा को पाठ्यक्रम से हटाना एक विवादास्पद निर्णय था। कालीबाई को हमारे पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया था, ताकि छात्राओं को उनके अदम्य साहस और संघर्ष से प्रेरणा मिले।

जब सरकार हर साल लाखों रुपए कालीबाई के नाम पर स्कूटी योजना पर खर्च कर रही है, तो यह और भी महत्वपूर्ण है कि कालीबाई की गाथा को विद्यार्थियों तक पहुंचाया जाए। कालीबाई का योगदान एक आदिवासी महिला के रूप में न केवल अपने समुदाय के लिए था, बल्कि यह भारतीय समाज के समक्ष एक बड़ा उदाहरण प्रस्तुत करता है।

हालांकि, सरकार के अनुसार, पाठ्यक्रम में बदलाव का उद्देश्य भारतीय महापुरुषों और परंपराओं की जानकारी को अधिक प्रमुखता देना था। लेकिन कालीबाई को पाठ्यक्रम से हटाना इस उद्देश्य के विपरीत प्रतीत होता है, क्योंकि कालीबाई भील की वीरता और बलिदान भारतीय इतिहास का एक अभिन्न हिस्सा था। 

सामाजिक संगठनों और आदिवासी समुदायों का विरोध

राजस्थान में कालीबाई भील को लेकर बदलाव के खिलाफ कई स्थानों पर विरोध (Protest) देखने को मिला है, खासकर बांसवाड़ा और डूंगरपुर जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्रों में। इन क्षेत्रों में कालीबाई की गाथा बच्चों और युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत रही है।

सामाजिक संगठनों और आदिवासी समुदायों का कहना है कि जब सरकार कालीबाई के नाम पर स्कूटी योजना चला रही है, तो उनकी गाथा को पाठ्यक्रम से क्यों हटाया गया? कालीबाई का संघर्ष, उनकी वीरता और बलिदान को विद्यार्थियों तक पहुंचाना जरूरी था। स्कूल शिक्षा विभाग राजस्थान को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

FAQ

1. कालीबाई भील कौन थीं और उनका योगदान क्या था?
कालीबाई भील एक आदिवासी वीरांगना (Tribal Heroine) थीं जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी वीरता और बलिदान (Sacrifice) आदिवासी समुदाय के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।
2. कालीबाई की गाथा को क्यों हटाया गया?
कालीबाई की गाथा को कक्षा 5वीं के पाठ्यक्रम से हटाया गया क्योंकि पाठ्यक्रम में बदलाव के दौरान भारतीय महापुरुषों और परंपराओं का समावेश किया गया था।
3. कालीबाई भील मेधावी छात्रा स्कूटी योजना क्या है?
यह योजना राजस्थान सरकार द्वारा 2020 में शुरू की गई थी, जिसके तहत मेधावी छात्राओं को स्कूटी दी जाती है, ताकि वे उच्च शिक्षा में आगे बढ़ सकें।
4. कालीबाई भील मेधावी छात्रा स्कूटी योजना के तहत कितनी छात्राओं को स्कूटी दी गई है?
2024-25 में इस योजना के तहत कुल 47,692 आवेदन प्राप्त हुए थे, और सरकार ने स्कूटी वितरण का लक्ष्य 35,000 यूनिट करने का ऐलान किया है।
5. क्या कालीबाई की गाथा फिर से पाठ्यक्रम में शामिल की जाएगी?
राजस्थान के जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने कहा कि कालीबाई की गाथा को फिर से पाठ्यक्रम में शामिल करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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