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Photograph: (The Sootr)
एक ओर राजस्थान सरकार वीर बालिका कालीबाई भील के नाम पर ‘कालीबाई भील मेधावी छात्रा स्कूटी योजना’ चला करोड़ों रुपए खर्च कर प्रदेश की मेधावी छात्राओं को उच्च शिक्षा की ओर प्रेरित कर रही है। वहीं, दूसरी ओर एक नया विवाद सामने आ गया है। दरअसल, राज्य सरकार ने पाठ्यक्रम (Curriculum) में एक महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए कालीबाई भील की गाथा को कक्षा 5वीं की अंग्रेजी (English) की किताब से हटा दिया है। सवाल उठता है कि क्यों एक आदिवासी वीरांगना की गाथा को पाठ्यक्रम से हटा दिया गया? क्या कालीबाई का योगदान और संघर्ष विद्यार्थियों तक पहुंचाना जरूरी नहीं था?
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कालीबाई भील की गाथा विद्यार्थियों तक पहुंचाना जरूरी
कालीबाई भील एक आदिवासी वीरांगना थीं, जिन्होंने अपने साहस, संघर्ष और बलिदान से इतिहास में अपना नाम दर्ज किया। कालीबाई का जीवन प्रेरणा का स्रोत था, और उनकी गाथा विद्यार्थियों तक पहुंचाना जरूरी था। कालीबाई के योगदान को न केवल राज्य सरकार ने मान्यता दी है, बल्कि उनकी प्रेरणादायक कहानी को कक्षा 5वीं के पाठ्यक्रम (Curriculum) में भी शामिल किया गया था।
लेकिन राज्य की भाजपा सरकार ने हाल ही में कक्षा 5वीं के पाठ्यक्रम में बदलाव किया है और कालीबाई की गाथा को हटा दिया। शिक्षा सत्र 2025-26 से यह गाथा पाठ्यक्रम में नहीं होगी। पाठ्यक्रम में यह बदलाव, स्थानीयता और भारतीय महापुरुषों (Indian Heroes), परंपराओं, और इतिहास (History) की जानकारी को समावेश करने के उद्देश्य से किया गया था। हालांकि, इस निर्णय के बाद से बांसवाड़ा (Banswara), डूंगरपुर (Dungarpur), और अन्य आदिवासी इलाकों में इस बदलाव के खिलाफ विरोध बढ़ गया है।
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राजस्थान के जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने इस विवाद को लेकर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में है और कालीबाई का इतिहास पाठ्यक्रम में फिर से शामिल करवाया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं।
कालीबाई भील मेधावी छात्रा स्कूटी योजना क्या है
राजस्थान सरकार द्वारा कालीबाई भील मेधावी छात्रा स्कूटी योजना की शुरुआत 1 अप्रैल 2020 से की गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य आदिवासी छात्राओं को उच्च शिक्षा (Higher Education) के प्रति प्रेरित करना और उन्हें शिक्षा की दिशा में समर्पित करना है।
राज्य सरकार ने कालीबाई के नाम पर यह योजना शुरू की, जिससे आदिवासी समुदाय की छात्राओं को विशेष रूप से लाभ हुआ। कालीबाई की वीरता और बलिदान (Sacrifice) को न केवल याद किया गया, बल्कि उस पर आधारित एक कार्यक्रम शुरू किया गया। यह योजना छात्राओं को शिक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
वर्ष 2025-26 के बजट में राजस्थान सरकार ने स्कूटी वितरण योजना का लक्ष्य 20,000 से बढ़ाकर 35,000 यूनिट करने का ऐलान किया है। 2024-25 में इस योजना के तहत 47,692 आवेदन प्राप्त हुए थे, और लगभग 198.49 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था।
कालबाई भील की गाथा क्या है
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पाठ्यक्रम से कालीबाई की गाथा क्यों हटाई गई?
राजस्थान में पाठ्यक्रम से हटाई कालीबाई भील की गाथा पर राज्य के कई शिक्षाविदों और सामाजिक संगठनों का मानना है कि कालीबाई भील की गाथा को पाठ्यक्रम से हटाना एक विवादास्पद निर्णय था। कालीबाई को हमारे पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया था, ताकि छात्राओं को उनके अदम्य साहस और संघर्ष से प्रेरणा मिले।
जब सरकार हर साल लाखों रुपए कालीबाई के नाम पर स्कूटी योजना पर खर्च कर रही है, तो यह और भी महत्वपूर्ण है कि कालीबाई की गाथा को विद्यार्थियों तक पहुंचाया जाए। कालीबाई का योगदान एक आदिवासी महिला के रूप में न केवल अपने समुदाय के लिए था, बल्कि यह भारतीय समाज के समक्ष एक बड़ा उदाहरण प्रस्तुत करता है।
हालांकि, सरकार के अनुसार, पाठ्यक्रम में बदलाव का उद्देश्य भारतीय महापुरुषों और परंपराओं की जानकारी को अधिक प्रमुखता देना था। लेकिन कालीबाई को पाठ्यक्रम से हटाना इस उद्देश्य के विपरीत प्रतीत होता है, क्योंकि कालीबाई भील की वीरता और बलिदान भारतीय इतिहास का एक अभिन्न हिस्सा था।
सामाजिक संगठनों और आदिवासी समुदायों का विरोध
राजस्थान में कालीबाई भील को लेकर बदलाव के खिलाफ कई स्थानों पर विरोध (Protest) देखने को मिला है, खासकर बांसवाड़ा और डूंगरपुर जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्रों में। इन क्षेत्रों में कालीबाई की गाथा बच्चों और युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत रही है।
सामाजिक संगठनों और आदिवासी समुदायों का कहना है कि जब सरकार कालीबाई के नाम पर स्कूटी योजना चला रही है, तो उनकी गाथा को पाठ्यक्रम से क्यों हटाया गया? कालीबाई का संघर्ष, उनकी वीरता और बलिदान को विद्यार्थियों तक पहुंचाना जरूरी था। स्कूल शिक्षा विभाग राजस्थान को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
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