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राजस्थान सरकार के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने बताया कि अब राज्य के शिक्षा विभाग, पंचायती राज विभाग, और संस्कृत शिक्षा विभाग में किसी भी प्रकार की विदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। तीन विभागों में विदेशी वस्तुओं की खरीद पर प्रतिबंध का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "मेक इन इंडिया" अभियान को साकार करने के उद्देश्य से लिया गया है।
विदेशी वस्तु खरीदने वाले पर होगी वसूली
मदन दिलावर ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर इन तीन विभागों में कोई भी अधिकारी या कर्मचारी विदेशी वस्तु खरीदता है, तो उस व्यक्ति से खरीद की गई वस्तु की कीमत वसूली जाएगी और उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मंत्री ने यह भी बताया कि भविष्य में केवल भारत में निर्मित वस्तुओं की ही खरीद की जाएगी।
"मेक इन इंडिया" अभियान की ओर एक कदम
मंत्री मदन दिलावर ने बताया कि यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "मेक इन इंडिया" अभियान के अंतर्गत लिया गया है। इस पहल से भारतीय निर्मित सामानों का उपयोग बढ़ेगा और भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। दिलावर ने कहा कि अगर कोई ऐसी वस्तु हो, जो केवल विदेश में निर्मित होती है और उसकी खरीद हमारी आवश्यकता हो, तो मंत्री स्तर पर अनुमति के बाद ही वह खरीदी जा सकती है।
चीनी राखी का बहिष्कार करने की अपील
मदन दिलावर ने राखी के पर्व के दौरान भी स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल की अपील की। उन्होंने कहा कि रक्षाबंधन पर सभी महिलाओं और बेटियों को स्वदेशी राखियां खरीदनी चाहिए और चीन से निर्मित राखियों का बहिष्कार करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि स्वदेशी राखी खरीदने से भारत के लोगों को रोजगार मिलेगा और इससे भारत की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा।
क्या आगे बढ़ेगा यह अभियान
मंत्री दिलावर Madan Dilawar ने कहा कि यह कदम केवल सरकार के तीन विभागों और राखी के पर्व तक सीमित नहीं रहेगा। उन्होंने आम जनता से भी अपील की कि वे अपने दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली विदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल बंद करें। उन्होंने उदाहरण दिया कि हम शेविंग ब्लेड से लेकर कोलगेट तक विदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल करते हैं, जबकि इनकी जगह भारतीय उत्पादों का इस्तेमाल करना चाहिए।
विदेशी वस्तुओं की खरीद से क्या होता है नुकसान
मदन दिलावर Education Minister Madan Dilawar ने कहा कि विदेशों के देश अपनी वस्तुओं को भारतीय बाजार में बेचकर मुनाफा कमाते हैं, जबकि उनका धन पाकिस्तान जैसे देशों की मदद करने में इस्तेमाल हो रहा है। उन्होंने यह भी उदाहरण दिया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने पाकिस्तान की मदद की थी, जबकि वही चीन भारतीय बाजार में अपने उत्पाद बेचकर मुनाफा कमा रहा था।
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