राजस्थान में बदहाल हाइवे बने मौत का सबब, टोल बूथ पर हिंसा, फिर भी भारी-भरकम टोल देने की मजबूरी

सुप्रीम कोर्ट ने खराब राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल वसूली को गलत बताते हुए कार्रवाई की मांग की है। राजस्थान में सड़क हादसों, टोल हिंसा और खराब सड़कों की स्थिति के बारे में विस्तार से जानें।

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Nitin Kumar Bhal
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Photograph: (The Sootr)

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राजस्थान में राष्ट्रीय राजमार्गों (National Highways) की स्थिति बेहद चिंताजनक है। पूरे देश में राजस्थान खराब एनएच के मामले में दूसरे स्थान पर है। सड़क परिवहन मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और आईआईटी दिल्ली के 2024 के संयुक्त शोध के अनुसार राजस्थान में लगभग 1,950 किलोमीटर सड़कें खस्ता हालत में हैं। इन खराब सड़कों के कारण राज्य में 6,500 से अधिक सड़क हादसे हो चुके हैं। जिनमें 2,400 से अधिक लोगों की मौत और 6,000 से ज्यादा घायल हुए हैं। खस्ताहाल सड़कों और दुर्घटनाओं में सैकड़ों लोगों की मौत के बावजूद राजस्थान में टोलकर्मियों की दादागीरी बरकरार है। राजस्थान में 2024 में टोल बूथ पर मारपीट के 400 मामले सामने आए। उत्तर प्रदेश के बाद यह संख्या देश में सर्वाधिक है।

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राष्ट्रीय राजमार्गों पर हादसों में गई 17 हजार से ज्यादा जान

राष्ट्रीय राजमार्गों पर बढ़ते हादसों ने इस पूरे मुद्दे को और गंभीर बना दिया है। 2024 में 48,000 हादसों में 17,200 मौतें और 46,000 चोटें दर्ज की गईं। इन आंकड़ों के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर सड़क सुरक्षा की स्थिति चिंताजनक है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश और सख्त कदम बेहद जरूरी हो गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने NHAI को फटकार क्यों लगाई?

भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों पर बढ़ते हादसों और टोल बूथ पर हिंसा के कारण सुप्रीम कोर्ट ने लगाई एनएचएआई को फटकार लगाई है। पिछले पांच वर्षों में हुए सड़क हादसों और टोल बूथों पर हुई हिंसा ने गंभीर चिंता उत्पन्न की है, जिस पर कोर्ट ने त्वरित कार्रवाई की मांग की है। सड़क परिवहन मंत्रालय और वित्त मंत्रालय की 2020-24 की रिपोर्ट के अनुसार, देश के राष्ट्रीय राजमार्गों पर 2.5 लाख हादसे हुए, जिनमें 80,000 लोगों की मौत हो गई और 2.3 लाख लोग घायल हो गए। इस दौरान लगभग 1.2 लाख वाहन 50% से अधिक क्षतिग्रस्त हो गए।

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राष्ट्रीय राजमार्गों पर 85 हजार करोड़ की टोल वसूली

2024-25 में भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल वसूली से करीब 85,000 करोड़ रुपये की आय हुई, जो कि वित्त वर्ष 2023-24 में 64,810 करोड़ रुपये थी। यह आंकड़ा दर्शाता है कि टोल वसूली से सरकार को काफी बड़ी आय हो रही है, लेकिन यह आय राष्ट्रीय राजमार्गों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों से मेल नहीं खा रही है। इन राजमार्गों पर हादसों की बढ़ती संख्या और टोल बूथों पर हिंसा से यह साबित होता है कि सुरक्षा इंतजामों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

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हादसों वाले शीर्ष पांच राष्ट्रीय राजमार्ग कौनसे हैं?

सड़क हादसों की स्थिति को लेकर प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों पर चिंता जताई गई है। इनमें से पांच राजमार्ग प्रमुख रूप से हादसों से प्रभावित हुए हैं:

  1. एनएच-44 (उत्तर प्रदेश-तमिलनाडु) - 25,000 हादसे

  2. एनएच-48 (महाराष्ट्र-गुजरात) - 20,000 हादसे

  3. एनएच-1 (हरियाणा-पंजाब) - 18,000 हादसे

  4. एनएच-2 (उत्तर प्रदेश-बिहार) - 15,000 हादसे

  5. एनएच-8 (राजस्थान-गुजरात) - 12,000 हादसे

इनमें से कुछ क्षेत्र जैसे जयपुर के एनएच-8 पर औरंगपुरा और दिल्ली के एनएच-44 पर कश्मीरी गेट क्षेत्र सबसे खतरनाक साबित हुए हैं।

देश के हाइवे पर हादसों के कारण क्या हैं?

2024 में सड़क परिवहन मंत्रालय और आईआईटी दिल्ली की एक स्टडी के अनुसार, 75.2% हादसों का कारण ओवरस्पीडिंग था, जबकि 2.5% हादसों के कारण शराब के नशे में गाड़ी चलाना और 10% हादसों के कारण खराब सड़क स्थितियां जैसे पोथोल्स, टूटी डिवाइडर और खराब साइनेज थीं।

विशेष रूप से राजस्थान में सड़क दुर्घटनाएं एनएच-8 पर जयपुर-उदयपुर खंड और एनएच-11 पर सीकर में पाथहोल्स और खराब क्रैश बैरियर्स की वजह से 3,000 हादसे हुए। इसके अलावा, जोधपुर और अलवर में शराब के नशे में गाड़ी चलाने के मामलों की संख्या अधिक थी।

हाइवे पर 80-100 किमी/घंटा की रफ्तार भी असुरक्षित

देश में 1.46 लाख किमी राष्ट्रीय राजमार्गों में से 20% (29,200 किमी) पर 80-100 किमी/घंटा की रफ्तार असुरक्षित है, खासकर खराब सड़कों, संकरे मोड़ों और अपर्याप्त साइनेज के कारण। उत्तर प्रदेश में 8,000 किमी राष्ट्रीय राजमार्गों में से 30% (2,400 किमी) की स्थिति खराब है। इसी तरह राजस्थान में 7,800 किमी राष्ट्रीय राजमार्गों में से 25% (1,950 किमी) खराब हैं, विशेष रूप से जयपुर, अजमेर और बीकानेर के खंडों पर।

राजस्थान में टोल बूथ पर हिंसा की 900 घटनाएं

सड़क सुरक्षा की स्थिति के अलावा टोल बूथों पर हिंसा भी एक गंभीर मुद्दा है। 2020 से 2024 तक एनएच पर टोल बूथों पर 4,500 मारपीट की घटनाएं दर्ज हुईं, जिनमें उत्तर प्रदेश (1,200), राजस्थान (900) और हरियाणा (800) प्रमुख रहे। इन हिंसा की घटनाओं में जयपुर के एनएच-8 पर दौलतपुरा टोल बूथ और जोधपुर के एनएच-62 पर मोगरा टोल बूथ पर सबसे ज्यादा मामले सामने आए। कुल 4,500 मामलों में से केवल 1,800 मामलों में एफआईआर दर्ज हुई और 1,200 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई।

राजस्थान में 500 से अधिक लोग हिरासत में लिए गए, लेकिन 70% मामले बिना सजा के लंबित हैं। टोल बूथ पर हो रही हिंसा ने इस क्षेत्र में असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है, जिससे राहगीरों और टोल कर्मियों के लिए खतरा बढ़ गया है।

खराब राष्ट्रीय राजमार्गों और हादसों से प्रभावित शीर्ष 10 राज्य 

2024 में राष्ट्रीय राजमार्गों पर हादसों और टोल हिंसा की स्थिति

राज्यखराब एनएच (किमी)हादसेमौतेंघायलटोल (करोड़ रु)टोल हिंसा
उत्तर प्रदेश2,40012,0004,20011,00012,000500
राजस्थान1,9506,5002,4006,0005,000400
तमिलनाडु1,8009,0003,5008,5007,000200
महाराष्ट्र1,6008,0003,0007,5008,000250
कर्नाटक1,4007,5002,8007,0006,000150
मध्य प्रदेश1,3007,0002,6006,5005,500120
गुजरात1,2006,0002,2005,5004,500100
हरियाणा1,0005,5002,0005,0004,000300
बिहार9005,0001,8004,5003,50080
आंध्र प्रदेश8004,5001,6004,0003,00070

FAQ

1. राष्ट्रीय राजमार्गों पर सड़क हादसों का प्रमुख कारण क्या है?
सड़क हादसों के प्रमुख कारणों में ओवरस्पीडिंग, खराब सड़क स्थिति, और शराब के नशे में गाड़ी चलाना शामिल हैं।
2. एनएच पर टोल बूथों पर हिंसा क्यों बढ़ रही है?
टोल बूथों पर हिंसा का कारण टोल शुल्क में वृद्धि, भ्रष्टाचार और असंतोष है, जिससे हिंसक घटनाओं में वृद्धि हुई है।
3. भारत में सबसे खतरनाक राष्ट्रीय राजमार्ग कौन से हैं?
एनएच-44, एनएच-48, एनएच-1, एनएच-2 और एनएच-8 पर सबसे ज्यादा हादसे होते हैं, जो सबसे खतरनाक साबित हुए हैं।
4. राष्ट्रीय राजमार्गों पर हादसों को कम करने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं?
सड़कों की स्थिति सुधारने, स्पीड लिमिट का पालन करवाने और शराब पीकर गाड़ी चलाने पर सख्त कार्रवाई करने के उपाय किए जा रहे हैं।
5. एनएच पर टोल वसूली से सरकार को कितनी आय होती है?
2024-25 में टोल वसूली से सरकार को लगभग 85,000 करोड़ रुपये की आय हुई है।

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