राजस्थान में 456 करोड़ रुपए के टेंडर में घोटाला, फर्जी बैंक गारंटी के एवज में दिए करोड़ों, जानें पूरा मामला

राजस्थान में 456 करोड़ रुपए के सोलर पैनल टेंडर में बड़ा घोटाला सामने आया है। फर्जी बैंक गारंटी के जरिए कंपनी ने 60 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की। The Sootr में जानें पूरा मामला।

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Nitin Kumar Bhal
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Photograph: (The Sootr)

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राजस्थान में एक बड़ी धोखाधड़ी सामने आई है। राज्य सरकार ने सरकारी इमारतों पर सोलर पैनल लगाने के लिए एक कंपनी को काम सौंपा। 456 करोड़ रुपए का टेंडर हुआ। लेकिन इस कंपनी ने 60 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी जमा की, इस गारंटी के आधार पर निगम ने कंपनी को 46 करोड़ रुपये की एडवांस राशि जारी कर दी ताकि परियोजना का कार्य शुरू किया जा सके। लेकिन जब सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की तो यह पता चला कि यह बैंक गारंटी पूरी तरह से फर्जी थी। निगम ने हेम मॉडल (HAM Model) में तीर्य नोपीकोन फर्म को यह काम सौंपा था। इसमें वे सभी अधिकारी संदेह के घेरे में हैं, जो इस प्रोजेक्ट से जुड़े रहे। कंपनी को इस वर्ष मार्च-अप्रैल में 100 मेगावाट के रूफटॉप सोलर प्रोजेक्ट का काम दिया गया था।

राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम ने कंपनी को थमाया नोटिस

सीबीआई की एंट्री के बाद जांच ने तेजी पकड़ी। राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम ने कंपनी को नोटिस जारी किया और उसे ब्लैकलिस्ट करने के साथ एफआईआर दर्ज करने की तैयारी शुरू कर दी है। निगम के अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की कि मामले में कई अधिकारी संदेह के घेरे में हैं, जो इस प्रोजेक्ट से जुड़े रहे थे। राजस्थान फर्जी बैंक गारंटी के जरिए सोलर पैनल कंपनी ने की 60 करोड़ की धोखाधड़ी की जांच की जा रही है।

राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक आईएएस रोहित गुप्ता ने मामले को गंभीरता से लिया और कहा कि बैंक गारंटी के मामले का खुलासा होने के बाद कंपनी को तुरंत नोटिस जारी किया गया है। उन्हें एडवांस राशि वापस लौटाने के लिए कहा गया है। इसके अलावा, निगम ने कंपनी के खिलाफ आगे की कानूनी कार्रवाई की योजना बनाई है।

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Photograph: (The Sootr)

राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम में फर्जी बैंक गारंटी की पोल कैसे खुली?

इस घोटाले की असली हकीकत तब सामने आई जब निगम ने बैंक से गारंटी की पुष्टि के लिए ईमेल भेजा। पहले तो बैंक ने गारंटी की सही होने की पुष्टि की, लेकिन सीबीआई के दस्तावेज़ मांगने के बाद, निगम ने फिर से बैंक से लिखित में पुष्टि मांगी। इस बार बैंक ने यह स्पष्ट किया कि ऐसी कोई बैंक गारंटी जारी नहीं की गई थी, जिससे पूरा मामला उजागर हो गया।  राजस्थान सोलर कंपनी फर्जी बैंक गारंटी की जांच जारी है।

हेम मॉडल क्या है?

हेम मॉडल का मतलब

  • हेम मॉडल का पूरा नाम हाइब्रिड एन्युइटी मॉडल है। यह भारत में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के तहत बुनियादी ढांचे, खासकर राजमार्गों के निर्माण के लिए एक वित्तीय मॉडल है। इसे इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (EPC) और बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (BOT) मॉडल का मिश्रण माना जा सकता है।

सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP)

  • हेम मॉडल सरकार और निजी कंपनियों के बीच एक साझेदारी है। इस साझेदारी में दोनों मिलकर बुनियादी ढांचे का निर्माण करते हैं। सरकार और निजी कंपनियां मिलकर काम करती हैं, जिससे यह मॉडल दोनों पक्षों के लिए लाभकारी होता है।

वित्तपोषण

  • हेम मॉडल में परियोजना की कुल लागत का 40% सरकार द्वारा और 60% निजी कंपनियों द्वारा वहन किया जाता है। यह वित्तीय वितरण दोनों पक्षों को उनके हिस्से का जोखिम और जिम्मेदारी बांटने में मदद करता है।

भुगतान (एन्युइटी)

  • इस मॉडल में सरकार निजी कंपनियों को एक निश्चित अवधि में वार्षिक भुगतान करती है, जिसे एन्युइटी कहा जाता है। यह भुगतान तय किया जाता है और यह सुनिश्चित करता है कि निजी कंपनी को लंबे समय तक स्थिर आय प्राप्त होती रहे।

जोखिम का वितरण

  • हेम मॉडल में सरकार और निजी कंपनियों के बीच जोखिमों को साझा किया जाता है। इसका उद्देश्य निजी कंपनियों के जोखिम को कम करना है, जिससे वे बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए अधिक इच्छुक हों।

परियोजना वितरण

  • हेम मॉडल का मुख्य उद्देश्य समय पर परियोजनाओं को पूरा करना और निजी निवेशकों को आकर्षित करना है। इस मॉडल से सरकारी प्रोजेक्ट्स तेजी से पूरे होते हैं, और निजी निवेशकों का भरोसा भी बढ़ता है।

बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत पर नजर

सूत्रों के मुताबिक, यह मामला केवल बैंक कर्मचारियों तक सीमित नहीं हो सकता है। इसमें कंपनी के कर्मचारियों की भी मिलीभगत हो सकती है। ठेका लेने वाली कंपनी को प्रोजेक्ट राशि का 10 प्रतिशत बैंक गारंटी के रूप में जमा करना होता है, और इसके आधार पर इतनी ही राशि एडवांस के तौर पर ली जाती है। जांच में राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम घोटाला से कई राज खुल सकते हैं।

FAQ

1. राजस्थान के सोलर पैनल टेंडर में क्या घोटाला हुआ है?
राजस्थान में सोलर पैनल लगाने के लिए हुए 456 करोड़ रुपये के टेंडर में कंपनी ने 60 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी जमा की, जिससे राज्य को भारी नुकसान हुआ।
2. राजस्थान के सोलर पैनल टेंडर में फर्जी बैंक गारंटी मामले में कौन सी कार्रवाई की गई है?
सीबीआई ने जांच शुरू की और कंपनी को नोटिस जारी कर दी। साथ ही, कंपनी को एडवांस राशि वापस लौटाने के लिए कहा गया और कानूनी कार्रवाई की तैयारी चल रही है।
3. राजस्थान के सोलर पैनल टेंडर में बैंक गारंटी फर्जी होने का पता कैसे चला?
निगम ने बैंक से गारंटी की पुष्टि के लिए ईमेल भेजा, लेकिन बाद में सीबीआई की जांच के बाद बैंक ने लिखित में पुष्टि की कि ऐसी कोई गारंटी जारी नहीं की गई थी।
4. राजस्थान के सोलर पैनल टेंडर फर्जी बैंक गारंटी मामले में किसकी भूमिका संदिग्ध है?
कंपनी के कर्मचारियों के साथ-साथ निगम के अधिकारियों की भी संलिप्तता हो सकती है। यह मामला पूरी तरह से एक जटिल वित्तीय घोटाले का प्रतीक बन चुका है।
5. इस घोटाले को लेकर राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम का क्या रुख है ?
निगम ने मामले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए कंपनी को नोटिस जारी किया और अग्रिम राशि को वापस लेने का आदेश दिया। इसके साथ ही एफआईआर और ब्लैकलिस्ट करने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है।

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