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Photograph: (The Sootr)
अमेरिका में भारतीय नागरिकों को अवैध प्रवासी मानकर निर्वासित किया गया, जिसमें उन्हें कड़ी स्थिति में रखा गया। यह घटना 5 फरवरी 2025 को अमेरिका से वापस किए गए भारतीय नागरिकों के साथ घटी थी। इनमें कुछ महिलाएं भी शामिल थीं, जिन्हें भी हथकड़ी और बेड़ियों में भेजा गया था। राजस्थान में सीकर से सांसद अमराराम के सवाल पर केन्द्र सरकार ने लिखित जवाब दिया।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया
सीकर के सांसद अमराराम ने इस मुद्दे पर सवाल उठाया, जिसके जवाब में विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत सरकार अमेरिकी अधिकारियों से इस मुद्दे पर लगातार संपर्क में थी। विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने यह बताया कि यह निर्वासन अभियान केवल उन व्यक्तियों के लिए था, जिन्होंने अमेरिकी इमिग्रेशन कानूनों का उल्लंघन किया था।
इसके अलावा, विदेश मंत्रालय ने बताया कि अमेरिकी प्रशासन से 15 फरवरी 2025 के बाद से भारत आने वाली उड़ानों में किसी महिला या बच्चे को बेड़ियों में नहीं बांधा गया। मंत्रालय ने यह भी बताया कि अमेरिका से कोई शिकायत नहीं आई है।
महिलाओं को भी नहीं बख्शा
अमेरिका में भारतीय नागरिकों को निर्वासित करने के दौरान महिलाओं को भी बेड़ी और हथकड़ी में रखा गया। कई भारतीय नागरिकों ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि यात्रा के दौरान उन्हें ऐसी स्थिति में रखा गया था, जिसमें उन्हें वॉशरूम तक जाने की अनुमति नहीं थी।
उन्हें यह भी कहा गया था कि वे अपनी सीट से नहीं उठ सकते, और यदि किसी को वॉशरूम जाने की आवश्यकता थी, तो वह भी क्रू के साथ ही जा सकता था। इसके बावजूद, यह स्थिति भारतीय नागरिकों के लिए बहुत कठिन और अपमानजनक साबित हुई।
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डंकी रूट क्या है?
डंकी रूट एक अवैध रास्ता है, जिसके माध्यम से लोग बिना वैध वीजा या दस्तावेज के विदेशों में प्रवेश करते हैं, खासकर अमेरिका में।
बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान की फिल्म ‘डंकी’ में इस रूट को दिखाया गया है। पंजाब में “डंकी” का मतलब होता है किसी जगह से दूसरी जगह कूदना या उछलना, और इसी कारण भारत से विदेश जाने वाले रूट को "डंकी रूट" कहा जाता है।
यह रूट आमतौर पर कई देशों से होकर गुजरता है और मुख्य रूप से लोग इसे अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन जैसे देशों में अवैध रूप से प्रवेश करने के लिए अपनाते हैं। पहले यह रूट खासकर अपराधियों के लिए था, लेकिन अब विदेश जाने के सपने को पूरा करने के लिए हजारों लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
यह रूट पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। इस रास्ते को अपनाने वालों को हर कदम पर जान का खतरा रहता है। कई बार सीमा पार करते वक्त इन्हें सख्त सुरक्षा बलों द्वारा गोली का शिकार भी होना पड़ता है।
इसके अलावा, इस रूट को अपनाने वाले लोग भयानक ठंड, भूख और कमजोरी के कारण भी अपनी जान गंवा देते हैं।
अमेरिका में अवैध रूप से रहने वाले लोगों की संख्या 1 करोड़ 10 लाख से भी ज्यादा बताई जाती है, और डंकी रूट इसका एक प्रमुख कारण है।
ट्रंप सरकार अब इस समस्या से निपटने के लिए सख्त कदम उठा रही है और अवैध रूप से रहने वालों को वापस भेजने की प्रक्रिया चला रही है। |
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भारत ने महिलाओं से अमानवीय व्यवहार पर जताई थी चिंता
अमेरिकी प्रशासन के अनुसार, इस प्रकार के निर्वासन अभियान का उद्देश्य अवैध प्रवासियों को उनके देशों में वापस भेजना था, ताकि वे अपने देशों के नागरिकता सत्यापन के आधार पर सही प्रक्रिया का पालन कर सकें। अमेरिका ने यह भी कहा कि उनका यह कदम केवल उन लोगों के लिए था, जो अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे थे और जिनका इमिग्रेशन कानूनों के उल्लंघन में हाथ था।
भारत सरकार ने इस मुद्दे पर स्थिति को और स्पष्ट करने के लिए अमेरिकी अधिकारियों से बातचीत की थी, और उनके सामने चिंता जाहिर की थी, खासकर महिलाओं के साथ किए गए इस अमानवीय व्यवहार पर।
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अमेरिका से भारतीय नागरिकों की वापसी
5 फरवरी 2025 को अमेरिका से 104 भारतीय नागरिकों को वापस भारत भेजा गया था। अमेरिकी मिलिट्री का C-17 प्लेन पंजाब के अमृतसर एयरपोर्ट पर लैंड किया था, जिसमें इन नागरिकों के पैरों में चेन और हाथों में बेड़ियां जड़ी गई थीं। यह एक सख्त और कष्टकारी स्थिति थी, जो न केवल भारतीय नागरिकों के लिए बल्कि उन महिलाओं के लिए भी बहुत दर्दनाक थी, जिन्हें इस प्रक्रिया के दौरान अमानवीय स्थिति में रखा गया।
अन्तरराष्ट्रीय कानून और निर्वासन नीति
भारत सरकार ने यह स्पष्ट किया कि अवैध प्रवासियों को वापस भेजना न केवल भारत की नीति है, बल्कि यह एक अन्तरराष्ट्रीय मानक है। यह प्रक्रिया सभी देशों में समान रूप से लागू होती है, जहां प्रत्येक देश का यह दायित्व है कि वह अवैध रूप से अपने देश में रह रहे व्यक्तियों को उनके मूल देश में वापस भेजे।
भारत ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और भविष्य में ऐसे घटनाओं को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग की आवश्यकता को भी महसूस किया है।
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