जब- जब चुनाव हुए तब- तब फाइलों से बाहर आया राम वन गमन पथ, भाजपा हो या कांग्रेस DPR से आगे कुछ नहीं हुआ

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Chakresh
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जब- जब चुनाव हुए तब- तब फाइलों से बाहर आया राम वन गमन पथ, भाजपा हो या कांग्रेस DPR से आगे कुछ नहीं हुआ

Ram Van Gaman Path Madhya Pradesh Chitrakoot - भगवान राम ने अपने वनवास का ज्यादातर समय UP, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के चित्रकूट में बिताया था। जब वे सीताजी की खोज में लंका की तरफ गए तो मध्यप्रदेश के कई रास्तों से होकर गुजरे थे। इस रास्ते को ही राम वन गमन पथ कहा जाता है। राम वन गमन पथ के विकास का मुद्दा MP की सियासत में घोषणाओं से आगे कभी निकल ही नहीं पाया। 2007 से यह प्रोजेक्ट केवल फाइलों में ही दौड़ रहा है। 15 साल में भी इसे लेकर जमीन पर कोई काम नहीं हुआ है। बस, जब-जब चुनाव का मौका आया, राम वन गमन पथ का प्रोजेक्ट फाइलों से बाहर निकल आया। अब डॉ मोहन यादव की सरकार में भी आज पहली बार 16 जनवरी को चित्रकूट में राम वन गमन पथ न्यास की पहली बैठक होने जा रही है। आइए राम वन गमन पथ के पूरे मामले को समझते हैं…

आज अधिकारी देंगे डवलपमेंट का प्रजेंटेशन

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में चित्रकूट में आज होने वाली बैठक में अधिकारी इस प्रोजेक्ट का प्रेजेंटेशन देंगे। बता दें कि जबकि उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में ये प्रोजेक्ट जमीन पर उतर चुका है। वहीं मप्र में राम वन गमन पथ का ये प्रोजेक्ट फाइलों में ही अटका रहा। दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2007 में राम वन गमन पथ के निर्माण और विकास का ऐलान किया था। उस समय यह प्रोजेक्ट आध्यात्म एवं आनंद विभाग के पास था। 2015 में केंद्र सरकार ने रामायण सर्किट का ऐलान किया, तब इस प्रोजेक्ट को केंद्र की इस योजना में मर्ज कर संस्कृति विभाग को सौंप दिया गया, लेकिन 2018 में BJP मप्र में चुनाव हार गई और कांग्रेस की सरकार बनी। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस प्रोजेक्ट को धर्मस्व विभाग को सौंप दिया और राम वन गमन पथ के लिए 22 करोड़ रु. का टोकन अमाउंट भी आवंटित किया गया। प्रोजेक्ट पूरा हो पाता, उससे पहले ही कांग्रेस की सरकार गिर गई थी। इसके बाद एक बार फिर भाजपा ने सत्ता में वापसी की। प्रोजेक्ट एक बार फिर संस्कृति विभाग को सौंप दिया गया। 2023 में चुनाव से पहले राम वन गमन पथ ट्रस्ट बनाने का शिवराज सरकार ने ऐलान किया। अब गठन के 7 महीने बाद ट्रस्ट की पहली बैठक चित्रकूट में होने जा रही है।

अब तक क्या हुआ

2008 में पहली बार संस्कृति विभाग ने एक बैठक बुलाई थी। इसमें 11 विद्वानों की समिति बनाकर 'राम वन गमन पथ" योजना पर शोध का काम शुरू किया गया। इसके लिए गठित शोध समिति ने इस पथ में आने वाले जिलों का दो चरणों में सर्वेक्षण किया। यह काम मार्च 2009 से दिसंबर 2010 तक चला। इसके बाद सरकार भूल गई और अधिकारियों के बदलने के बाद किसी ने इसमें रुचि नहीं दिखाई।

मोदी सरकार ने प्रोजेक्ट रामायण सर्किट में शामिल किया

2014 में जब नरेंद्र मोदी PM बने, उसके बाद 2015 में केंद्र सरकार ने रामायण सर्किट नाम से एक परियोजना बनाकर भगवान राम से जुड़े 21 स्थानों को पर्यटन के एक कॉरिडोर से जोड़ने और तीर्थों के विकास की योजना बनाई गई। इसमें UP में 5, मप्र में तीन, छत्तीसगढ़ में दो, महाराष्ट्र में तीन, आंध्र प्रदेश में दो, केरल में एक, कर्नाटक में एक, तमिलनाडु में दो और श्रीलंका में एक स्थान शामिल किया गया। केंद्र ने इस प्रोजेक्ट के लिए 13 हजार करोड़ रुपए आवंटित किए थे। इधर, तत्कालीन शिवराज सरकार ने भी अपने प्रोजेक्ट को रामायण सर्किट में शामिल करा लिया था, ताकि 40% राशि केंद्र सरकार से मिल सके।

कांग्रेस के एजेंडे में शामिल हुआ

केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने रामायण सर्किट प्रोजेक्ट में 2017 में चित्रकूट में वनवासी राम पथ के साथ- साथ ओरछा के रामराजा लोक को इस सर्किट में शामिल किया था। 2018 के चुनाव में भाजपा की हार हुई और कमलनाथ सरकार सत्ता में आई। कमलनाथ सरकार ने 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इस प्रोजेक्ट को नए सिरे से अमली जामा पहनाने का फैसला लिया, क्योंकि विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में कांग्रेस ने इस प्रोजेक्ट को शामिल किया था। नए सिरे से DPR बनाने के लिए सरकार ने 22 करोड़ रुपए भी स्वीकृत कर दिए थे। 6 मार्च 2020 में कमलनाथ सरकार ने कैबिनेट में 600 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के साथ ही निर्माण के लिए एक ट्रस्ट बनाने का फैसला किया लेकिन 20 मार्च को सरकार गिर गई।

2023 में राम वन गमन पथ ट्रस्ट को मंजूरी

विधानसभा चुनाव से ठीक 6 महीने पहले 4 मई को सरकार को एक बार फिर इस प्रोजेक्ट की याद आई। शिवराज कैबिनेट ने श्री राम वन गमन पथ न्यास के गठन को मंजूरी दी। इसके साथ ही न्यास के संचालन के लिए 33 नए पदों को भी स्वीकृति मिली। कामकाज के लिए न्यास काे सालाना एक करोड़ 57 लाख रुपए का बजट दिया गया, लेकिन इसके बाद प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी।

पहली बार सात महीने बाद ट्रस्ट की पहली बैठक

अब जबकि लोकसभा चुनाव में अब महज तीन महीने का ही वक्त है। डॉ. मोहन सरकार ने एक बार फिर इस प्रोजेक्ट की तरफ कदम बढ़ाया है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 16 जनवरी को श्री रामचंद्र वन गमन पथ न्यास की पहली बैठक होने जा रही है। इसकी तारीख भी 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले चुनी गई है।

इन रास्तों से गुजरे थे भगवान राम

  • मध्यप्रदेश के अनूपपुर से राम छत्तीसगढ़ की सीमा में दाखिल हुए। सरगुजा के रामगढ़ में भगवान का पड़ाव हुआ।
  • सरगुजा क्षेत्र को पार कर भगवान शिवरीनारायण पहुंचे। मान्यता है कि भगवान ने यहीं पर शबरी के जूठे बेर खाए। छत्तीसगढ़ सरकार ने यहां भगवान राम की 25 फीट ऊंची प्रतिमा लगाई है।
  • यहां से भगवान राम आगे बढ़कर बलौदा बाजार-भाटापारा जिले के तुरतुरिया पहुंचे। यहां कई ऋषियों के आश्रम थे।
  • राजिम में छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध महानदी, पैरी और सोंढुर नदी का संगम है। यहां भगवान ने महादेव की पूजा-अर्चना की थी।
  • धमतरी जिले स्थित सिहावा में विभिन्न ऋषियों का आश्रम है। मान्यता है कि भगवान इन ऋषियों से मिलते हुए आगे बढ़े थे। यहां उन्होंने कई राक्षसों का संहार भी किया था।
  • जगदलपुर बस्तर संभाग का मुख्यालय है। उस समय यह दंडकारण्य का सबसे घनघोर क्षेत्र रहा होगा। यहां से आगे बढ़कर भगवान रामाराम पहुंचे और वहां से गोदावरी नदी की ओर चले गए।


Q & A

प्रश्न 1: राम वन गमन पथ का क्या महत्व है?

उत्तर: राम वन गमन पथ का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। भगवान राम हिंदू धर्म के सबसे पूजनीय देवताओं में से एक हैं। उनका वनवास का समय हिंदू धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कालखंड माना जाता है। इस दौरान भगवान राम ने कई ऐसे कार्य किए, जिन्होंने हिंदू धर्म की स्थापना और प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राम वन गमन पथ इन सभी महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ा हुआ है। इसलिए, यह पथ हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।

प्रश्न 2: मध्य प्रदेश में राम वन गमन पथ का क्या महत्व है?

उत्तर: मध्य प्रदेश में राम वन गमन पथ का बहुत महत्व है। भगवान राम ने अपने वनवास का सबसे ज्यादा समय मध्य प्रदेश में बिताया था। उन्होंने चित्रकूट में 11 वर्षों तक वनवास किया था। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्य किए, जिनमें से कुछ प्रमुख कार्य हैं:

  • उन्होंने चित्रकूट में शबरी से भेंट की।
  • उन्होंने चित्रकूट में हनुमान जी से भेंट की।
  • उन्होंने चित्रकूट में लक्ष्मण जी की जान बचाई।
  • उन्होंने चित्रकूट से लंका की यात्रा शुरू की।

इन सभी महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़े हुए कई धार्मिक स्थल मध्य प्रदेश में हैं। इसलिए, मध्य प्रदेश में राम वन गमन पथ एक महत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन स्थल है।

प्रश्न 3: मध्य प्रदेश में राम वन गमन पथ के विकास में क्या चुनौतियां हैं?

उत्तर: मध्य प्रदेश में राम वन गमन पथ के विकास में कई चुनौतियां हैं। इनमें से कुछ प्रमुख चुनौतियां हैं:

  • पथ का अधिकांश हिस्सा जंगलों से होकर गुजरता है। इसलिए, इस पथ के विकास में पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
  • पथ का कुछ हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों से होकर गुजरता है। इसलिए, इस पथ के विकास में स्थानीय लोगों की सहमति और सहयोग प्राप्त करना एक चुनौती है।
  • पथ के विकास में पर्याप्त धन की आवश्यकता है।

इन चुनौतियों को दूर करने के लिए सरकार को व्यापक योजना बनाकर कार्य करना होगा।

प्रश्न 4: मध्य प्रदेश में राम वन गमन पथ के विकास के लिए सरकार क्या कर रही है?

उत्तर: मध्य प्रदेश सरकार राम वन गमन पथ के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार ने 2023 में श्री राम वन गमन पथ न्यास का गठन किया है। यह न्यास पथ के विकास के लिए योजना बना रहा है। सरकार ने पथ के विकास के लिए 600 करोड़ रुपए का बजट भी आवंटित किया है।

सरकार पथ के विकास के लिए निम्नलिखित कार्यों पर ध्यान दे रही है:

  • पथ को सुगम और सुरक्षित बनाया जाएगा।
  • पथ के किनारे धार्मिक स्थलों का विकास किया जाएगा।
  • पथ के आसपास बुनियादी सुविधाओं का विकास किया जाएगा।

सरकार का मानना है कि राम वन गमन पथ के विकास से मध्य प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।


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