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संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर के सबसे बड़े रियल एस्टेट ग्रुप में से एक अपोलो के प्रमुख निर्मल अग्रवाल और अनिल अग्रवाल के साथ गोयल डेवलपर्स के प्रमुख और होटल कारोबारी प्रेम गोयल के खिलाफ ईओडब्ल्यू में शिकायत की खबर द सूत्र ने 7 अगस्त को ब्रेक की थी। अब इस खबर पर ईओडब्ल्यू की मुहर लग गई है। जांच एजेंसी ने औपचारिक तौर पर शिकायत पंजीबद्ध कर ली है और जांच शुरू कर दी है।
प्रोजेक्ट बिक्री के दौरान डायरियों पर लिए 55 करोड़
ये मामला इस ग्रुप द्वारा साल 2011-12 में अपने प्रोजेक्ट की बिक्री के दौरान करीब 55 करोड़ रुपए राशि डायरियों पर लेने का है, जिसमें शिकायत हुई थी। डायरियों पर सौदे होने की जानकारी हाईकोर्ट इंदौर बेंच में 2016 में हुए एक आदेश में भी सामने आई थी, जिसमें ग्रुप ने भी माना था कि उन्होंने ऑन मनी (ऊपर से ब्लैक मनी) अलग से ली है। इनकमटैक्स ट्रिब्यूनल में भी 1 साल पहले एक केस में ये मुद्दा उठा है।
शिकायतकर्ता ने ग्रुप की सभी कॉलोनियों के ऑडिट की मांग की
शिकायतकर्ता ने EOW से शिकायत में कहा कि अपोलो ग्रुप पर सितंबर 2013 में आयकर छापा हुआ था, इसमें डायरियों पर सौदे कर ब्लैकमनी लेने की बात आई थी। ये राशि करीब 55 करोड़ रुपए थी जिसे ग्रुप ने सेटलमेंट कमीशन में मान्य भी किया था। तब ग्रुप को इस राशि पर बनने वाली स्टांप ड्यूटी जो करीब 5 करोड़ बनती है वो भरना थी, लेकिन नहीं भरी। तब इस ड्यूटी के साथ ही 10 गुना पेनल्टी का प्रावधान है जो 50 करोड़ बनती है। शिकायतर्ता ने मांग की है कि इस तरह अपोलो ग्रुप जिन्होंने दिव्यादेव डेवलपर्स के नाम से इस कॉलोनी के लिए काम किया था, उनके निर्मल और अनिल अग्रवाल के साथ प्रेम गोयल पर मप्र शासन के साथ चार सौ बीसी का केस होना चाहिए। साथ ही अपोलो ग्रुप की अपोल क्रिएशंस, हाई स्पीड, निरंजनपुर प्रोजेक्ट, गढ़ा गोल्फ क्लब प्रोजेक्ट आदि को ऑडिट में लिया जाना चाहिए, क्योंकि ये ग्रुप यहां पर भी इस तरह ऑन मनी लेकर सौदे कर सकता है।
ये है मामला
अपोलो ग्रुप पर इंदौर में 21 सितंबर 2013 में इनकम टैक्स सर्च हुई थी। ये ग्रुप निर्मल अग्रवाल और अनिल कृष्णदास अग्रवाल का है। मेसर्स दिव्यादेव डेवलपर्स और अपोलो क्रिएशन्स प्रालि फ्लेगशिप ऑनर्सशिप ने निपानिया का प्रोजेक्ट किया। छापे के बाद जांच में स्वीकार किया कि ऑन मनी लेते हैं। निपानिया प्रोजेक्ट रेशो डील पर हुआ था। अपटाउन अपोलो में जमीन मेसर्स गोयल डेवलपर्स की थी। डेवलपमेंट के लिए ये दिव्यादेव को दी थी। कंस्ट्रक्शन और डेवलपमेंट प्लॉट के बदले में दिव्यदेव को 45 फीसदी विकसित एरिया मिलेगा। इनकम टैक्स छापे में आया कि कुल ऑन मनी (यानी ब्लैक में) 55.50 करोड़ रुपए मिले। ये भी क्लेम गया कि निर्मल और अनिल अग्रवाल ने इसमें से 35.81 करोड़ रुपए गोयल डेवलपर्स को दिए जो लैंड ऑनर्स थे और 19.69 करोड़ रुपए अग्रवाल के पास रहे। साल 2010-11 में 17.16 करोड़ और 2011-12 में 22.78 करोड़ रुपए ऑन मनी थी। ये मनी दिव्यादेव डेलवपर्स ने प्राप्त की। इसमें से 17.16 और 18.64 करोड़ मेसर्स गोयल को दी। हालांकि सेटलमेंट कमीशन और हाईकोर्ट के सामने प्रेम गोयल ने किसी भी राशि के मिलने से इनकार किया था।
1.70 करोड़ की प्रॉपर्टी केवल 46 लाख में दिखाई थी
इसी सर्च में मिली हार्ड डिस्क के आधार पर इनकम टैक्स ने खरीदारों को भी इनकम टैक्स चोरी के नोटिस दिए थे, इसमें एक ज्योति गर्ग को भी 1.32 करोड़ की राशि को लेकर नोटिस गया था। इसमें कहा गया कि ये प्रॉपर्टी 1.78 करोड़ रुपए में खरीदी गई, लेकिन रजिस्ट्री केवल 46.43 लाख रुपए की हुई। बाकी राशि ब्लैक में दी गई, तो क्यों ना इस पर इनकम टैक्स लगाया जाए। गर्ग ने प्लॉट नंबर डी 48 ब्रोकर सचिन द्वारा खरीदा था, सौदा 5663 वर्ग फीट का वास्तव में 3151 रुपए प्रति वर्ग फीट के भाव हुआ होकर कुल 1.78 करोड़ में हुआ था, लेकिन इसे केवल 46.43 लाख का बताया गया। हालांकि 30 अगस्त 2022 को इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल ने गर्ग के हक में फैसला सुनाया और इनकम टैक्स द्वारा ग्राहक पर निकाली गई टैक्स डिमांड खारिज कर दी।