INDORE. संजय गुप्ता, इंदौर में गुरुवार (15 जून) की रात बजरंग दल और पुलिस के बीच में भारी हंगामे के बाद पलासिया थाने में पुलिस ने बजरंग दल के अज्ञात ढाई सौ कार्यकर्ताओं के खिलाफ केस दर्ज किया है। यह केस आईपीसी की बलवा सहित अन्य धाराओं में दर्ज किया गया है। धारा 332, 341, 188 और 147 की धाराएं लगाई गई हैं। हालांकि यह सभी धाराएं जमानती हैं। वहीं देर रात पुलिस ने पहले ही 11 लोगों को नामजद गिरफ्तार किया था जिन्हें अलसुबह जमानत दे दी गई थी। यह सभी बजरंग दल के मुख्य पदाधिकारी हैं जिन पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था।
इनकी हुई थी गिरफ्तारी
पुलिस ने इस घटना में जितेंद्र जाट, विकास, लोकेश प्रजापत, अमन रोकड़े, अभिषेक उदेनिया, राजेश, यश, धर्मेद्र, आकाश, चंद्रेश और तन्नु शर्मा कुल 11 लोगों को गिरफ्तार किया था। इन्हें अलसुबह मुचलके पर छोड़ दिया गया। घटना में कुछ सिपाही भी घायल हुए हैं। हालांकि बजरंग दल की तरफ से क्रॉस एफआईआर का आवेदन नहीं गया है।
पुलिस ने FIR में क्या लिखा
पलासिया थाने में में हुई FIR में 250 अज्ञात कार्यकर्ताओं द्वारा अपराधिक कृत्य करने की बात लिखी गई है। इसमें लिखा गया है कि करीब 7:30 बजे यह लोग मांग लेकर आए थे कि हम पर बेवजह केस दर्ज हो रहे हैं और शहर में नशाखोरी बढ़ रही है। इस मांग को लेकर यह चौराहे पर जाकर जमा हो गए और ट्रैफिक जाम कर दिया। कई बार इनको समझाइश दी गई अनाउंसमेंट किया गया, लेकिन लोग परेशान होते रहे ट्रैफिक जाम बढ़ता चला गया। इस दौरान कुछ लोगों ने पुलिस के साथ झूमाझटकी की और पत्थर भी फेंके। कुछ लोगों ने आवाज भी लगाई कि पुलिस को मारो-मारो, समझाइश के बाद भी ये लोग नहीं हटे इसके बाद ट्रैफिक जाम को देखते हुए भीड़ को तितर-बितर करने के आदेश दिए गए।
कांग्रेस ने साधा निशाना
इस घटना के बाद से प्रदेश का राजनीतिक माहौल भी गर्मा गया। बजरंग दल कार्यकर्ताओं पर हुए लाठीचार्ज के बाद कांग्रेस ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। कांग्रेस नेताओं मे कहा कि जो बजरंग दल कर्नाटक चुनाव के समय राष्ट्रीय विचारधारा वाला बताया जा रहा था वो मध्यप्रदेश में अराजकता फैलाने वाले दल में कैसे बदल गया। आपको बता दें कि कर्नाटक में कांग्रेस के घोषणा पत्र में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के कांग्रेस के वादे के बाद राष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे की गूंज सुनाई दी थी। खुद पीएम मोदी ने कर्नाटक में हुई एक जनसभा में कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए इस चुनावी घोषणा पर जमकर कोसा था। हालांकि बीजेपी को इस मुद्दे से कुछ खास फायदा नहीं हुआ था और कर्नाटक चुनाव में उसे मुंह की खाना पड़ी थी।