BHOPAL. मध्यप्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण यानी रेरा ने एक आदेश पारित कर एजी8 वेन्चर्स यानी आकृति बिल्डर की परियोजना आकृति एक्वासिटी, भोपाल में कौशलेंद्र नाम से हुए प्लॉट के आवंटन को निरस्त कर दिया है। रहवासी सोसायटी आकृति एक्वासिटी में पवई-117 प्लाट का आवंटन कौशलेन्द्र के नाम पर था। द सूत्र ने इस पूरे मामले का खुलासा 13 अप्रैल 2023 को अपनी खबर में किया था। जिसके बाद 22 मई 2023 को सुनवाई के दौरान भी यह मुद्दा नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) दिल्ली में उठा था। अपीलकर्ता एक्वासिटी वेलफेयर सोसायटी की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने ट्रिब्यूनल के सामने कौशलेंद्र के नाम को लेकर हुए अजीब संयोग का जिक्र किया, जिसका खुलासा द सूत्र ने ही किया था। अब रेरा ने कौशलेंद्र के नाम से आवंटित प्लाट का आवंटन निरस्त कर दिया है।
तीन संपत्ति, अभी कार्रवाई हुई सिर्फ एक पर
आकृति बिल्डर के आकृति एक्वासिटी प्रोजेक्ट में कौशलेंद्र के नाम पर तीन प्रॉपर्टी है। द सूत्र के हाथ लगे दस्तावेज के आधार पर 34वे नंबर पर पीओ 98, 35वे नंबर पर पीओ 99 और 44वे नंबर पर पीओ 117 के आगे जो नाम लिखा है वो है मिस्टर कौशलेंद्र, इनके नाम से यहां तीन प्रॉपर्टी है। नाम तो लिखा है मगर न तो मोबाइल नंबर है और न ही एड्रेस, न ही बुकिंग अमाउंट लिखा गया है। इसलिए कहा जा रहा है कि ये बेनामी संपत्ति है। रेरा ने अभी सिर्फ पीओ 117 का ही आवंटन निरस्त किया है। आने वाले समय में दो और प्रॉपर्टी पर कार्रवाई हो सकती है।
रेरा ने कौशलेंद्र को क्यों कहा कथित VIP!
रेरा ने अपने आदेश में कौशलेंद्र के नाम के आगे VIP शब्द लिखा है और इनके लिए कथित वीआईपी शब्द का इस्तेमाल किया है। इसका पहला कारण है आकृति बिल्डर ने ही अपनी इस बेनामी प्रॉपर्टी में कौशलेंद्र को वीआईपी बताया था। दूसरा कारण द सूत्र का वह खुलासा जिसमें इस नाम को लेकर तीन संयोग द सूत्र ने बताए थे। एक ही नाम कौशलेंद्र और तीन अलग—अलग कैरेक्टर और नाम के सिवाए तीनों का आपस में कोई संबंध है या नहीं, ये द सूत्र नहीं कह सकता। द सूत्र ने जब इस संयोग को उजागर किया था तब हम पहले ही स्पष्ट कर चुके थे कि द सूत्र कोई आरोप नहीं लगा रहा बस बता रहे हैं कि ये संयोग निकलकर सामने आया है। इसके बाद ये मामला नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) दिल्ली तक भी जा पहुंचा।
गजब संयोग, नाम एक और केरेक्टर तीन
दैनिक भास्कर ने NCLT इंदौर बेंच में जब आकृति के खिलाफ याचिका लगाई तब सुनवाई के कोरम में टेक्निकल मेंबर के रूप में कौशलेंद्र सिंह को शामिल किया ये कौशलेंद्र नाम के पहले कैरेक्टर हैं। दैनिक जागरण में 30 जनवरी 2014 को दो बिल्डरों पर इनकम टैक्स के छापे की खबर छपी थी। हैडिंग थी राजधानी के दो बिल्डर्स के यहां इनकम टैक्स की छापामार कार्रवाई। इसी खबर में लास्ट की दो लाइन से पहले लिखा है कि 10 महीने पहले सर्वे की कार्रवाई इन दोनों बिल्डर्स के यहां की गई थी और जुलाई 2008 से जून 2013 तक मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के महत्वपूर्ण पदों पर थे कौशलेंद्र सिंह। ये कौशलेंद्र दूसरे कैरेक्टर है। अब तीसरा कैरेक्टर भी कौशलेंद्र ही है। आकृ़ति एक्वासिटी में बुकिंग करवाने वालों के जब नाम खंगाले गए तो इसमें 34वे नंबर पर पीओ 98, 35वे नंबर पर पीओ 99 और 44वे नंबर पर पीओ 117 के आगे जो नाम लिखा है वो है मिस्टर कौशलेंद्र, इनके नाम से यहां तीन प्रॉपर्टी है। नाम तो लिखा है मगर न तो मोबाइल नंबर है और न ही एड्रेस, न ही बुकिंग अमाउंट लिखा गया है। इसलिए कहा जा रहा है कि ये बेनामी संपत्ति है।
आकृति बिल्डर हेमंत सोनी ने टायपिंग एरर बताने की कोशिश की
कौशलेंद्र के नाम पर बेनामी संपत्ति के मामले में जब आकृति बिल्डर हेमंत सोनी फंसता हुआ नजर आया तो उसने आवंटन के नाम में कौशलेंद्र का नाम होना एक टायपिंग एरर बता दिया। कौशलेंद्र के नाम पर प्लाट नंबर पीओ 117 को 13 अप्रैल 2012 को ही थॉमस फिलिप एवं श्रीमती मिनी फिलिप के नाम पर होने की बताने की कोशिश भी की गई। बता दें कि थॉमस फिलिप के नाम पर कौशलेंद्र के साइड का ही प्लाट नंबर पीओ 116 आवंटित है। हेमंत सोनी के द्वारा पूर्व में जितनी भी जानकारियां प्रस्तुत की गई थीं, उनमें थॉमस फिलिप को पवई 116 का ही आवंटन किए जाने का उल्लेख था।
बाद में दोनो प्लाट को जोड़ा गया, लेकिन स्टॉम्प ड्यूटी का ही पता नहीं
रेरा ने यह पाया कि वर्ष 2010 के मूल आवंटन में थॉमस फिलिप को पवई 116 एवं कौशलेन्द्र कथित वीआईपी को पवई 117 का आवंटन किया गया, जो संदिग्ध था। बाद में पवई 117 के साथ पवई 116 जोड़ा गया है, जिससे दोनों इकाईयों की चतुरसीमा संदेहास्पद हो गई। आकृति बिल्डर हेमंत सोनी यह भी स्पष्ट नहीं कर सके कि थॉमस फिलिप द्वारा इकाई 117 के संबंध में जो दस्तावेज प्रस्तुत किया गया है, उसमें कितनी स्टाम्प ड्यूटी भुगतान की गई है।
थॉमस फिलिप का भी आवंटन हुआ निरस्त
रेरा ने अपनी जांच में यह पाया कि पूर्व में पवई-116 का आवंटन थॉमस फिलिप को 25 लाख 58 हजार रूपये में किया गया था। यदि पवई 116 एवं 117 दोनों का ही आवंटन थॉमस फिलिप एवं मिनी फिलिप को होता तो न्यूनतम विक्रय मूल्य एक करोड़ रूपये से कम नहीं होता। रेरा ने निष्कर्ष में पाया कि पवई 117 के आवंटन के लिए कोई विधिक विक्रय अनुबंध किए बिना इस इकाई के साथ पवई 116 का आधिपत्य अनुचित एवं अवैध रूप से थॉमस फिलिप एवं मिनी फिलिप को सुपुर्द किया गया। जिसके बाद थॉमस फिलिप का भी आवंटन निरस्त करते हुए दोनों इकाईयों का आधिपत्य तत्काल सम्प्रवर्तक यानी बिल्डर को सौंपने के आदेश दिए हैं।
कई और नाम के आगे लिखा वीआईपी
एक्वासिटी वेलफेयर सोसायटी के भानु यादव ने बताया कि रेरा ने 10 अक्टूबर 2022 को आकृति बिल्डर से बेनामी संपत्तियों की जानकारी मांगी थी, बावजूद इसके न तो आईआरपी अनिल गोयल और न ही बिल्डर हेमंत सोनी ने आज तक यह जानकारी सबमिट की है। भानु यादव ने बताया कि केवल कौशलेंद्र ही नहीं बल्कि रेरा के पास जो सूची है उनमें जीडी सोनी और शेरा के नाम के आगे भी वीआईपी लिखा हुआ है।
104 संपत्तियों की जुटाई जा रही जानकारी
आकृति बिल्डर के दीवालिया होने के आदेश के खिलाफ रेरा ने एनसीएलएटी में याचिका दायर कर स्टे इसलिए ही लिया था क्योंकि रेरा को शुरू से यह लग रहा था कि आकृति बिल्डर के पास बेनामी प्राॅपर्टीज है, बावजूद इसके वह प्रोजेक्ट पूरा करने की जगह दीवालिया हो रहा है। रेरा अब ऐसी 104 प्राॅपर्टी की जानकारी जुटा रहा है। ये वे प्राॅपर्टीज है जिनके संबंध में दस्तावेज नहीं मिले हैं या पैसों का लेनदेन नहीं हुआ है, बस किसी के नाम पर बुक हो गई है। रेरा ने इस सूची को सार्वजनिक भी कर दिया है और लोगों को सुनवाई का अवसर भी दिया है, यदि निर्धारित समय पर इन प्राॅपर्टीज के संबंध में दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए जाते हैं तो रेरा इनका आवंटन निरस्त कर देगा।
हाउसिंग बोर्ड टेकओवर करेगा प्रोजेक्ट
रेरा की जांच में बेनामी प्राॅपर्टीज सामने आ रही हैं, ऐसे में वह अब आवंटन निरस्त करने लगा है। ऐसी प्राॅपर्टीज जो बेनामी डिक्लेयर हो जाएंगी उनका आवंटन निरस्त कर उन्हें सेल किया जाएगा और उससे जो राशि मिलेगी वह प्रोजेक्ट को पूरा करने में लगाई जाएगी। आकृति एस्टर सीरिज, आर्चिड हाइट्स और आकृति एक्वासिटी प्रोजेक्ट को हाउसिंग बोर्ड पूरा करेगा। इस संबंध में रेरा की हाउसिंग बोर्ड से फाइनल बात हो चुकी है। हालांकि मामला अभी एनसीएलएटी में विचाराधीन है, ऐसे में जैसे ही फैसला आता है, उस हिसाब से रेरा आगामी आदेश जारी कर देगा।