संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर गुरूसिंघ सभा के 24 सितंबर को संभावित चुनाव के पहले भारी उलटफेर हो गया है। वर्तमान प्रधान रिंकू भाटिया और सचिव जसबीर सिंह उर्फ राजा गांधी के रास्ते अलग हो गए हैं और खंडा पैनल टूट गई है। राजा गांधी के साथ त्रिलोचन सिंह बासु, दानवीर सिंह छाबड़ा भी मोनू भाटिया के साथ चले गए हैं। नए समीकरण के अनुसार दोनों पक्षों में पदों को लेकर समझौता हुआ है। इसके अनुसार मोनू अध्यक्ष यानी प्रधान पद के लिए और दानवीर सचिव पद के लिए चुनाव लड़ेंगे। वहीं इस समझौते के चलते मोनू के साथी चरणजीत सिंह खानूजा ने मोनू का अब साथ छोड़ दिया है और चार मिनट का वीडियो जारी कर कई आरोप लगाए हैं।
किन पदों को लेकर क्या हुआ है समझौता
चरणजीत सिंह खनूजा द्वारा जारी किए गए वीडियो और समाज से आई खबरों के अनुसार मोनू भाटिया, राजा गांधी और दानवीर छाबड़ा, त्रिलोचन सिंह बासु के साथ बनाए गए नए गुट में अध्यक्ष पद के लिए दावेदार होंगे। इसे फतेह पैनल नाम दिया जा रहा है। इस पदों के सौदे में अभी तक मोनू के साथ सचिव पद के दावेदार के रूप में उनके साथ चल रहे सुरजीत सिंह टूटेजा दावेदारी से बाहर हो गए हैं। दानवीर सिंह छाबड़ा सचिव पद के दावेदार होंगे। राजा गांधी ने एक पद अपने बेटे देवेंद्र सिंह गांधी के लिए और बासु ने एक पद अपने बेटे कैप्टन यानी राजिंदर सिंह बासु के लिए तय कराया है। मनमोहन टूटेजा भी इसी पैनल से लड़ेंगे। खनूजा ने वीडियो में इन सौदों का खुलासा भी किया है और बताया कि गुरूद्वारे में राजा गांधी ने इस समझौते की घोषणा की है।
रिंकू भाटिया और बॉबी के पास क्या रास्ते
रिंकू भाटिया अब अपने साथी जगजीत सिंह टूटेजा उर्फ सुग्गा को लेकर नई टीम बनाकर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। इस पैनल का नाम वह खंडा पैनल ही रखकर मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। उधर, बॉबी छाबड़ा की खालसा पैनल भी मैदान में आएगी और इसके लिए वह अध्यक्ष पद के लिए प्रितपाल सिंह उर्फ बंटी भाटिया का नाम घोषित कर चुके हैं, बाकि पदों के लिए अभी उनकी ओर से दावेदार सामने नहीं आए हैं।
मोनू पहले बॉबी, फिर रिंकू के पास जा चुके थे समझौते के लिए
इस समझौते के पहले मोनू भाटिया ने सबसे पहले बॉबी की खालसा पैनल से सुलह की कोशिश की थी और गुरुद्वारे में घोषणा भी करा दी थी कि उन्हें खालसा पैनल का साथ है और वह अध्यक्ष पद के लिए लड़ेंगे जिसका एक घंटे बाद ही बॉबी पैनल ने खंडन जारी कर दिया। इसके बाद वह रिंकू भाटिया से भी मिले थे लेकिन वहां से उनको ज्यादा तवज्जो नहीं मिली। उधर, रिंकू और सचिव राजा गांधी के बीच मतभेद चल रहे थे, जिसका लाभ मोनू को मिला और उन्होंने राजा गांधी गुट को अपने साथ ले लिया और सभी के बीच पदों का बंटवारा कर दिया।
मोनू के पिता और राजा गांधी के बीच रही है टकराहट
इस समझौते को लेकर कहा जा मोनू और गांधी खालसा कॉलेज में सुधार और समाजहित में एक हुए हैं। लेकिन समाज में इस बात को लेकर खासी चर्चा है कि जिन राजा गांधी और मोनू भाटिया के पिता जीएस भाटिया के बीच 20 साल तक राजनीतिक लड़ाई रही और जिसे पूरी पैनल ने निभाया, इनके बीच में समझौता आखिर कैसे हो सकता है। खनूजा ने भी जारी विडियो में इस समझौते को व्यक्तिगत हित की राजनीति बताकर मोनू भाटिया का साथ छोड़ दिया है और कहा है कि जिनके साथ मोनू ने समझौता किया है वह गंदे और घाघ लोग है, मैं इनके साथ खड़ा नहीं हो सकता हूं। खनूजा पहले बॉबी छाबड़ा के साथ थे। बाद में वे मोनू भाटिया की केंद्रीय मप्र-छग गुरूसिंघ समिति में जुड़ गए थे, लेकिन नए समझौते के बाद अब बाहर हो गए हैं।
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