RPSC मेंबर ने तीन एग्जाम के 6 सेट लीक किए, पेपर कौनसा आएगा नहीं पता था, इसलिए 480 सवाल 60 लाख में बेच दिए

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BP Shrivastava
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RPSC मेंबर ने तीन एग्जाम के 6 सेट लीक किए, पेपर कौनसा आएगा नहीं पता था, इसलिए 480 सवाल 60 लाख में बेच दिए

JAIPUR. सीनियर टीचर भर्ती पेपर लीक मामले में राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) ने देर रात सामान्य ज्ञान का ग्रुप ए और ग्रुप बी का पेपर भी कैंसिल कर दिया है। दरअसल, एसओजी की चार्जशीट में सामने आया कि इन दोनों सब्जेक्ट के पेपर भी आरोपियों के पास मिले थे। जो 21 और 22 दिसंबर को आयोजित की गई थी। आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा ने सभी सेट के कुल 480 सवाल लीक किए थे। फिर इन्हें शेर सिंह मीणा को 60 लाख रुपए में बेच दिया। बेचे गए पेपर में सवालों का क्रम बदलने के साथ कुछ सवाल और जोड़ दिए थे।





कटारा ने 21-22 दिसंबर का पेपर भी बेचा था





उदयपुर की कोर्ट में बाबूलाल कटारा सहित तीन के खिलाफ एसओजी ने चार्जशीट में शुक्रवार (16 जून) को चालान पेश किया गया था। पेश की गई चार्जशीट में बताया है कि आारपीएससी मेंबर बाबूलाल कटारा ने 24 दिसंबर का ही नहीं, उससे पहले 21 और 22 दिसंबर की परीक्षा का पेपर भी बेचा था। कटारा ने तीनों परीक्षा के लिए 2-2 सेट तैयार कराए थे। एक परीक्षा के दो सेट में से कौन-सा पेपर प्रिंट होगा, यह कटारा को भी पता नहीं था।





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कटारा ने तीनों परीक्षा के 6 सेट 60 लाख में शेर सिंह को दिए थे 





कटारा ने तीनों परीक्षा के लिए तैयार सभी छह सेट 60 लाख रुपए लेकर आरोपी शेर सिंह मीणा को दे दिए थे। शेर सिंह मीणा ने पेपर का 1 करोड़ रुपए में भूपेन्द्र सारण से सौदा कर रखा था। भूपेन्द्र सारण के कहने पर शेर सिंह ने पेपर सुरेश ढाका को दिया। शेर सिंह ने ही अरुण शर्मा और अन्य को भी पेपर उपलब्ध करवाया था।





80 प्रतिशत सवालों का मिलान, षडयंत्र के तहत कुछ और सवाल भी जोड़ दिए





एसओजी ने शेर सिंह को अरेस्ट करने के बाद उसके मोबाइल को खंगाला। मोबाइल से बरामद किए पर्चे का एग्जाम पेपर से मिलान किया गया। तीनों परीक्षाओं के 80 प्रतिशत सवाल हू-ब-हू शेर सिंह के मोबाइल में मिले। पकड़ में आने से बचने के लिए भी पूरी षड्यंत्र रचा गया था। साजिश के तहत शेर सिंह ने अभ्यर्थियों को बेचने से पहले पेपर टाइप करवाया। टाइप करवाए पेपर में मेन पेपर के सवाल के साथ कई और सवाल शामिल किए गए। सभी सवालों के क्रम भी बदल दिए। जिसके कारण पकड़ में आने पर पेपर आउट होने की जगह मॉडल पेपर कह सकेंगे।





पुलिस ने पकड़ने पर मिलान किया तो पेपर में आने वाले सवालों का क्रम बदला हुआ था, लेकिन सवाल मुख्य पेपर की तरह लिखे हुए थे। 24 दिसम्बर की तरह 21 दिसम्बर के पेपर के 78 सवाल और 22 दिसम्बर के पेपर के 80 सवाल हू-ब-हू मिले।





एसओजी के कहने पर पेपर निरस्त हुए





पड़ताल में आए तथ्यों का हवाला देते हुए एसओजी ने RPSC से पेपर निरस्त करने की मांग की थी। लेटर में लिखा कि इससे आम अभ्यर्थी का राज्य सरकार और राजस्थान लोक सेवा आयोग में विश्वास बना रहेगा। सही अभ्यर्थियों के साथ न्याय होगा। साथ ही अनुचित साधनों से परीक्षा देने वालों और पेपर लीक करने वाले गिरोह का गठजोड़ भंग होगा। एसओजी की पड़ताल में सामने आने के बाद RPSC ने दोनों पेपर निरस्त कर दिए हैं। 8 लाख 25 हजार 16 अभ्यर्थियों को अब दोबारा परीक्षा देनी होगी। अब यह परीक्षा 30 जुलाई को दो परियों में करवाई जाएगी।





480 सवाल किए गए थे लीक





सीनियर टीचर भर्ती परीक्षा के पेपर में बाबूलाल कटारा ने 480 सवाल लीक किए थे। सामान्य ज्ञान का एक पेपर 100 सवालों का था। इनमें से 80 सवाल सामान्य ज्ञान के थे, बाकी 20 सवाल मनोविज्ञान के थे। कटारा के पास 80 सवालों को लेकर ही जिम्मेदारी थी। एक परीक्षा के तैयार हुए दो सेट में कटारा को नहीं पता था कि किसी एक पेपर को प्रिंट कराना था। पेपर प्रिटिंग के आखिरी निर्णय का जिम्मा उसके पास नहीं था। सभी छह सेट के पेपर घर ले जाकर उसमें शामिल 480 सवाल भांजे से रजिस्टर में लिखवा लिए। कटारा ने 60 लाख रुपए लेकर शेर सिंह को पेपर बेच दिया। शेर सिंह ने गिरोह के साथ मिलकर पेपर को कई अभ्यार्थियों को बेच दिया।





यह था मामला





उदयपुर पुलिस ने 24 दिसंबर को बेकरिया (उदयपुर) थाने के बाहर 49 अभ्यर्थियों से भरी बस को पकड़ा था। ये सभी चलती बस में आरपीएससी के सेकेंड ग्रेड शिक्षक भर्ती के जीके का लीक पेपर सॉल्व कर रहे थे। पुलिस की सूचना पर आरपीएससी ने पेपर को रद्द कर दिया था।





कौन है बाबूलाल कटारा





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डूंगरपुर के बाबूलाल कटारा ने 15 अक्टूबर 2020 में राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) के मेंबर का कार्यभार संभाला था। कटारा का चयन राजस्थान लोक सेवा आयोग के सांख्यिकी अधिकारी, आयोजना विभाग के पद पर हुआ था। इसके बाद उसने जिला सांख्यिकी अधिकारी डूंगरपुर और बाड़मेर में काम किया था। 1994 से 2005 तक भीम, राजसमंद, खैरवाडा, डूंगरपुर, सागवाडा, सुमेरपुर और उदयपुर में काम किया। वर्ष 2013 में सचिवालय में आयोजना विभाग संयुक्त निदेशक रहा। इसके बाद आरपीएससी के मेंबर के रूप में सरकार ने नियुक्ति दी।





कौन है शेर सिंह मीणा





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जयपुर के चौमूं में दोला का बास निवासी अनिल मीणा उर्फ शेर सिंह मीणा पिछले 10 साल से भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक करवाने और नौकरियां लगाने के काम में सक्रिय है। 5 साल पहले अपने गांव से दूरी बना ली थी। शेर सिंह पहले रेलवे में नौकरी लगाने के नाम पर लोगों से पैसे कमाता था। फिर उसने भर्ती परीक्षाओं से करोड़ों रुपए कमाने का प्लान बनाया। उस समय शेर सिंह मीणा फागी के सरकारी स्कूल में पोस्टेड था। उसने पहले जगदीश विश्नोई के जरिए कॉन्स्टेबल, जीएनएम भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक करने वाले गिरोह के सरगना भूपेंद्र सारण से दोस्ती की। इसके बाद आरपीएसी में अपने कनेक्शन से भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक करके करोड़ों रुपए कमाने का प्लान बनाया। 2019 में शेर सिंह का ट्रांसफर सिरोही जिले के भावरी गांव के सरकारी स्कूल में हुआ था।





शेर सिंह के दो भाई सरकारी नौकरी करते हैं। वहीं एक छोटा भाई गांव में किराना स्टोर चलाता है। गांव में शेर सिंह मीणा की मां और छोटा भाई रहते हैं, लेकिन शेर सिंह पिछले कई सालों से वहां नहीं जा रहा था।





गांव से दूरी बनाने का सबसे बड़ा कारण यह था कि कोई भी शख्स उसके सहयोगी और उसकी प्रॉपर्टी के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल नहीं कर सकें। पेपर लीक में नाम आने के बाद उसे सस्पेंड कर दिया गया था।



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