डीजीपी की नियुक्ति के नियम हुए सख्त, सिनियरिटी-बेस्ड सीआर के बल पर नहीं होगी नियुक्ति

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BP Shrivastava
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डीजीपी की नियुक्ति के नियम हुए सख्त, सिनियरिटी-बेस्ड सीआर के बल पर नहीं होगी नियुक्ति

हरीश दीवेकर, BHOPAL. अब डीजीपी बनने के लिए केवल सिनियर होना या फिर सीआर अच्छा होना ही पर्याप्त नहीं होगा। यूपीएससी ने डीजीपी के चयन प्रक्रिया में बदलाव कर दिया है, इसके चलते अब वही डीजीपी बन सकेगा जो कम से कम 10 साल तक मैदानी पोस्टिंग पर रहा हो या फिर राज्य की जांच एजेंसियों में पदस्थ रहा हो, इसके अलावा दो अन्य पैरामीटर भी हैं। जिनमें कानून और व्यवस्था, अपराध शाखा, आर्थिक अपराध शाखा या खुफिया विंग जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में न्यूनतम दस वर्ष का अनुभव और दूसरा विशिष्ट क्षेत्रों के साथ-साथ दिशानिर्देश इंटेलिजेंस ब्यूरो, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग या केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो जैसे केंद्र में पदस्थ रहे हों।

  • नए मापदंड के अनुसार मैदान में 10 साल की पोस्टिंग जरुरी
  • जांच एजेंसी में 10 साल का अनुभव जरुरी
  • केन्द्र सरकार के अहम पदों पर लंबा अुनभव होने पर ही डीजीपी बन सकेंगे


नए नियम पर अजय शर्मा और उपेंद्र जैन के लिए मुफीद

डीजीपी की दौड़ में शामिल होने वाले जो आईपीएस अफसर इन मापदंडों को पूरा करेंगे, उनका नाम ही डीजीपी पद के पैनल में जाएगा। मध्यप्रदेश के संदर्भ में बात की जाए तो आने वाले डीजीपी की नियुक्ति में ईओडब्ल्यू डीजी अजय शर्मा और हाउसिंग बोर्ड के एमडी उपेन्द्र जैन इन मापदंडों पर खरे उतरते नजर आते हैं। डीजीपी पद के लिए पहले न्यूनतम सेवा 30 साल निर्धारित थी, इसे कम करके 25 साल कर दिया है।

यूपीएससी के नए नियमों के चलते कई सिनियर अफसर डीजीपी की दौड़ से ही बाहर हो जाएंगे। दरअसल, यूपीएससी का मानना है कि जो आईपीएस अपने लंबे सेवाकाल में अहम पदों पर पदस्थ रहा है और उसकी सीआर बेहतर रही है, वही डीजीपी पद के काबिल है। अब तक डीजीपी का चयन वरिष्ठता और सीआर के आधार पर होता रहा है।

यूपीएससी का मानना है कि नए नियमों से डीजीपी की नियुक्ति में पक्षपात पर तो अंकुश लगेगा ही साथ में अनुचित नियुक्तियां नहीं होंगी। इसके पहले यूपीएससी ने नियमों में बदलाव कर कहा था कि रिटायरमेंट में कम से कम 6 माह का समय होने पर ही संबंधित अफसर के नाम पर डीजीपी के​ लिए विचार किया जा सकेगा।

इसलिए बना नया नियम

 दरअसल, ये नियम ​इसलिए बनाया गया था कि राज्य सरकारें रिटायरमेंट के अंतिम पड़ाव पर अपने पसंदीदा अफसरों को डीजीपी बनाकर उपकृत करती थीं, जिसके बाद वे कानून के हिसाब से कम और सरकार के हिसाब अनुचित काम भी करने में संकोच नहीं करते थे।

ये समिति करती है डीजीपी का चयन

राज्य के DGP की नियुक्ति करने वाली समिति की अध्यक्षता संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष करते हैं और इसमें केंद्रीय गृह सचिव, राज्य के मुख्य सचिव एवं DGP तथा गृह मंत्रालय द्वारा नामित केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के प्रमुखों में से एक शामिल होता है।

चयन की प्रक्रिया

संबंधित राज्य सरकारों को मौजूदा DGP के सेवानिवृत्त होने से तीन महीने पूर्व संभावितों के नाम यूपीएससी को भेजते हैं। यूपीएससी DGP बनने लायक तीन अधिकारियों का पैनल तैयार कर वापस भेजेगी। इसके बाद संबंधित राज्य इस पैनल में से किसी एक आईपीएस को डीजीपी के लिए नियुक्त करता है।

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