Raipur. सतनाम पंथ के गुरु बालदास बीजेपी में शामिल हो गए है। सतनाम पंथ के गुरु बालदास ने सैकड़ों समर्थकों के साथ बीजेपी में प्रवेश किया है। गुरु बालदास ने इसके साथ ही अपने बेटे गुरु खुशवंत के लिए आरंग विधानसभा से टिकट मांगी है।बीजेपी ने प्रदेश कार्यालय में समारोह की तरह आयोजन कर गुरु बालदास की वापसी की है।
2013 में सतनाम सेना बनाकर कांग्रेस को दिया था झटका
गुरु बालदास का सतनाम पंथ के अनुयायियों पर गहरा प्रभाव है।गुरु बालदास प्रदेश की 11 सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाने वाले सतनाम समाज के गुरु हैं। गुरु बालदास की 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सत्ता में वापसी में अहम भूमिका मानी जाती है। गुरु बालदास ने तब सतनाम सेना के बैनर तले सतनाम बाहुल्य या कि सतनाम प्रभाव रखने वाली सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए थे। इस का नतीजा यह हुआ कि, बीजेपी ने 9 सीटों पर क़ब्ज़ा कर लिया। रविंद्र चौबे धर्मजीत सिंह जैसे कई क़द्दावर तब चुनाव हारे और वजह सतनाम सेना को माना गया।
राजनीतिक महत्वाकांक्षा ने कांग्रेस और फिर बीजेपी में प्रवेश कराया
गुरु बालदास की अब तक की भुमिका यह संकेत देती है कि, उनमें राजनीतिक महत्वाकांक्षा बेहद ज़्यादा है।2013 में उन्हें अपनी राजनीतिक ताक़त का अंदाज़ा भी सटीक लग गया। लेकिन बीजेपी से उन्हें वैसा कुछ हासिल नहीं हुआ जो उनकी महत्वाकांक्षा को संतुष्ट करता। 2018 में गुरु बालदास कांग्रेस की तरफ़ चले गए। कांग्रेस ने परंपरागत सतनाम सीटों पर वापसी की, लेकिन कई मौक़े आए जबकि गुरु बालदास ने कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व से अपना असंतोष ज़ाहिर किया। खबरें आई कि, वे राज्यसभा की टिकट चाहते थे, साथ ही अपने बेटे गुरु ख़ुशवंत के लिए सम्मानजनक पद। लेकिन दोनों ही नहीं हुआ। अब गुरु बालदास फिर से उसी बीजेपी के पास सार्वजनिक रुप से चले गए हैं जिस बीजेपी को 2013 में उन्होंने कम से कम सतनाम बाहुल्य कुछ सीटों पर सुनिश्चित जीत दी थी।
कीमियागर जोगी का जादू था सतनाम सेना
यह मूलतः रहस्य ही है कि, सतनाम सेना का आख़िरकार प्रादुर्भाव हुआ कैसे। सियासत के भीतरखाने खबरें जादुई नेता अजीत जोगी का हवाला देती हैं। इसकी कोई पुष्टि नहीं है लेकिन क़िस्सा यह जरुर है कि,2013 में सतनाम सेना के पीछे अजीत जोगी ही थे। वे कांग्रेस के भीतर अपनी उपेक्षा और अपमानजनक स्थितियों को देखते हुए बेहद क्षुब्ध थे। यही वह समय था जब बीजेपी याने सीएम डॉ रमन सिंह और उनके करीबी सलाहकारों को वापसी चाहिए ही चाहिए थी।सतनाम समाज के बीच ठीक ऐसे ही वक्त सतनाम सेना के बैनर तले हैलीकाप्टर उड़ा और हैलीकाप्टर पर गुरु बालदास सवार थे।