/sootr/media/post_banners/3eb3bf33e8bcad1b419c9a34e62a346ece15b466fb7863c9698949e2faa92961.jpeg)
BASTER. छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर के कई गांव आज भी विकास से काफी अछूते हैं, इन गांवों में बच्चों को आज भी स्कूली शिक्षा की जानकारी नहीं हैं, लेकिन नक्सलियों को चुनौती देते हुए प्रशासन ने बीते कुछ साल इन क्षेत्रों में विकास कार्य किए है। इसका परिणाम है कि इन क्षेत्रों में स्कूल भवन बनाने के साथ आसपास के बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया जा रहा है, बस्तर जिले के घोर नक्सल प्रभावित गांव चांदामेटा में भी आजादी के 75 साल बाद स्कूल भवन बनाया गया है। इस स्कूल भवन का बच्चे और सरपंच ने कलेक्टर, एसपी की मौजूदगी में उद्घाटन किया।
CRPF कैंप खुलने के बाद बढ़ा ग्रामीणों का भरोसा
बस्तर और ओडिशा राज्य की सीमा पर बसे चांदामेटा गांव को नक्सलियों का गढ़ कहा जाता है। चांदामेटा तुलसी डोंगरी इलाका बेहद ही दुर्गम नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। लेकिन कुछ साल पहले यहां CRPF कैंप खुलने के बाद लगातार एंटी नक्सल ऑपरेशन चलाए जा रहे है। सुरक्षाबल के कारण नक्सली बैकफुट पर हैं। इसके बाद इस गांव में आजादी के 75 साल बाद आंगनबाड़ी केंद्र, सड़क और गांव तक बिजली पहुंचाने का काम शुरू किया गया। नक्सल प्रभावित इस गांव में CRPF कैंप खुलने के बाद प्रशासन और पुलिस के प्रति ग्रामीणों का भरोसा बढ़ा है। यही कारण है आजादी के 75 साल के बाद 15 अगस्त 2022 को चांदामेटा में पहली बार देश का तिरंगा शान से लहराया था।
सुरक्षाबल के कैंप में चल रहा था बच्चों के लिए स्कूल
नक्सल प्रभावित क्षेत्र चांदमेटा में पहले स्कूल नहीं था, जब बस्तर के कलेक्टर ने इस क्षेत्र में दौरा किया तो लोगों ने स्कूल की मांग की, क्योंकि बच्चों के लिए स्कूल सुरक्षाबल के कैंप में चल रहा था, ग्रामीणों की मांग पर कलेक्टर ने स्कूल भवन बनाने की घोषणा की फिर महज 2 महीने में ही स्कूल भवन का निर्माण करवा दिया। इस स्कूल के निर्माण के लिए सबसे बड़ा योगदान सुरक्षाबलों का है जिन्होने दिन रात सुरक्षा के बीच भवन निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चांदामेटा में बने नए प्राथमिक स्कूल भवन का स्कूली बच्चे, ग्रामीण, कलेक्टर, एसपी और अन्य विभागीय अधिकारियों की मौजूदगी में उद्घाटन किया गया है। इसके साथ ही स्कूल भवन के लिए जमीन दान करने वाले ग्रामीण आयता मरकाम को कलेक्टर विजय दयाराम ने पुष्पहार देकर सम्मानित किया। इसके अलावा स्कूल में भर्ती बच्चों को गणवेश और पाठ्यपुस्तक का वितरण किया गया।
स्कूल भवन निर्माण में पुलिस जवानों ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में नक्सली दहशत की वजह से आंगनबाड़ी केंद्र, बिजली, स्कूल भवन कुछ भी नहीं था, ग्रामीणों को डर के साए में जीना पड़ता था, लेकिन अब पुलिस कैंप खुलने के बाद उनके गांव तक आजादी के 75 साल बाद सड़क बनी है. बिजली पहुंची है और अब उनके बच्चों के लिए स्कूल भवन बनकर तैयार हुआ है। कलेक्टर विजय दयाराम ने बताया कि इस स्कूल बनाने में सबसे बड़ा योगदान पुलिस के जवानों का रहा है, जिन्होंने पूरी तरह से निर्माण कार्य के दौरान सुरक्षा मुहैया कराई, इस दौरान कलेक्टर ने ग्रामीणों से निवेदन किया कि सभी लोग अपने बच्चों को प्रतिदिन पढ़ाई के लिए स्कूल भेजें। साथ जो बच्चे गलत रास्ते में चले गए हैं उन्हें भी समाज के मुख्यधारा में जुड़ने के लिए ग्रामीणों को प्रेरित करने का निवेदन किया है। गांव में पहली बार स्कूल भवन में पढ़ाई शुरू होने से बच्चों के साथ-साथ उनके परिवार वालों में भी काफी खुशी है।