संजय गुप्ता, INDORE. मप्र कर्मचारी चयन मंडल (ईएसबी) द्वारा कराई गई पटवारी चयन परीक्षा की जांच रिपोर्ट मंगलवार शाम को हाईकोर्ट के रिटायर जस्टिस व जांच कमेटी प्रमुख राजेंद्र वर्मा ने सामान्य प्रशासन विभाग को सौंप दी है। इसमें किसी तरह का घोटाला नहीं पाया गया है और सूत्रों के अनुसार चयनित पटवारियों पर किसी तरह की उंगली नहीं उठाई गई है। यानि अब नौ हजार पटवारियों के चयन का रास्ता साफ हो गया है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि इस तरह के कोई तथ्य सामने नहीं आए कि किसी सेंटर के टॉप 10 में सात मेरिट होल्डर आने से पूरी परीक्षा को रद्द कर दिया जाए।
पहले देखते है कमेटी के प्रमुख बिंदु
- कमेटी का साफ कहना है कि जो भी टॉपर्स है उन्होंने अलग-अलग समय पर दस्तावेज भरे, परीक्षा दी, ऐसे में यह संदेह नहीं किया जा सकता है कि किसी गड़बड़ी से वह टॉपर्स बने
- एक ही सेंटर से 114 चयन होने पर भी शंका नहीं की जा सकती, क्योंकि उम्मीदवार लाखों में थे और कई सेंटर से 200-200 भी चयन हुए हैं।
- एक ही सेंटर से टॉपर अधिक आने से पूरी परीक्षा पर संशय नहीं कर सकते
- जो दिव्यांग है उनके दस्तावेज सही या गलत, यह तो नियुक्ति के समय दस्तावेज सत्यापन से ही पता चलेगा, इसलिए इस पर शक नहीं कर सकते
- जिन्होंने हिंदी में हस्ताक्षर किए और मेरिट में आए, उन्हें अंग्रेजी में पूरे अंक नहीं आए हैं, तो केवल हिंदी हस्ताक्षर के कारण चयन पर सवाल नहीं उठता।
अब सीएम, जीएडी को लेना है आगे फैसला
इस पूरे मामले में गेंद अब सीएम डॉ. मोहन यादव के पाले में ही है। सीएम इस रिपोर्ट के आधार पर जीएडी के साथ और ईएसबी के साथ चर्चा करेंगे कि आगे रिजल्ट को लेकर क्या करना है? रिजल्ट को किस तरह मान्य करना है, क्या किसी सेंटर के उम्मीदवारों को अलग रखना है या चयन को मान्य किया जाना है। रिजल्ट मान्य है तो फिर इन्हें नए सिरे से क्या 87-13 फीसदी से जारी करना है या इस पर 87 फीसदी फार्मूला लागू नहीं करना है, क्योंकि यह हाईकोर्ट के ओबीसी आरक्षण मामले में रोक लगाने से पहले जारी हुआ रिजल्ट है। यदि ऐसा है तो फिर पटवारी रिजल्ट सौ फीसदी ही मान्य किया जाएगा और इसमें 87 फीसदी लागू नहीं होगा, क्योंकि हाईकोर्ट का 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण पर रिजल्ट रोकने का आदेश अगस्त का है और पटवारी रिजल्ट जुलाई माह का है। इन सभी मुद्दों पर हाई लेवल कमेटी की बैठक में सभी बिंदुओं पर चर्चा कर फैसला होगा।
कब तक फैसला संभव
फरवरी माह में ही विधानसभा सत्र है, माना जा रहा है कि सीएम बैठक कर यह रिपोर्ट सत्र में पेश कर सकते हैं और फिर इस पर अंतिम मुहर लगाकर रिजल्ट व नियुक्ति पर हरी झंडी मिल सकती है। पूरी संभावना है कि फरवरी माह में ही पटवारियों को उनका नियुक्ति का हक मिल जाए।
अभी तक यह हुआ
नवंबर 2022 में पटवारी सहित ग्रेड-3 के 9200 पदों के लिए कर्मचारी चयन आयोग ने नोटिफिकेशन जारी किया था। 15 मार्च से 26 अप्रैल तक 78 परीक्षा सेंटर पर परीक्षाएं हुईं। इस परीक्षा के लिए 12 लाख 7963 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। इसमें 9 लाख 78 हजार 270 उम्मीदवार परीक्षा में शामिल हुए। 30 जून को रिजल्ट आया। 8617 पदों के लिए मेरिट लिस्ट जारी हुई। बाकी पदों के रिजल्ट रोके गए, लेकिन इसी दौरान ग्वालियर के एक ही सेंटर एनआरआई कॉलेज से 10 में 7 टॉपर के नाम सामने आने के बाद परीक्षा पर सवाल उठे तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 13 जुलाई की शाम को परीक्षा की जांच कराने की घोषणा कर दी। 19 जुलाई को जस्टिस राजेंद्र वर्मा की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया गया। आयोग को जांच के लिए 31 अगस्त तक का समय दिया गया, लेकिन इसके बाद जांच आयोग का कार्यकाल पहले 31 अक्टूबर और फिर 15 दिसंबर तक बढ़ गया। इसके बाद नई सरकार में कार्यकाल 31 जनवरी तक बढ़ा दिया गया।
ग्वालियर का एनआरआई सेंटर के चयन संकट में
जस्टिस वर्मा ने ग्वालियर के एनआरआई कॉलेज सहित कुछ दूसरे परीक्षा सेंटर्स की भी जांच की। इसमें व्यापमं से मांगी गई जानकारी से यहां की पूरी पक्रिया को वेरिफाई किया गया। इसमें बताया गया है कि किसी खास सॉफ्टवेयर की मदद से यदि कोई सिस्टम को रिमोट पर ले ले, बस यही धांधली की आशंका है। बाकी सिक्योरिटी प्रोटोकॉल में कहीं कोई गड़बड़ी नजर नहीं आ रही है, लेकिन सिस्टम को रिमोट पर लिए जाने के संबंध में कोई पुख्ता साक्ष्य उपलब्ध नहीं हो सका है। हालांकि ग्वालियर का यह सेंटर विवादों में हैं और यहां से चयनित व टॉपर्स पटवारियों पर क्या फैसला होना है यह सीएम और जीएडी ही तय करेंगे।