मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन आशुतोष तिवारी पर बोर्ड को 29 करोड़ की चपत लगाने का आरोप, कमिश्नर चंद्रमौली शुक्ला पर भी शक

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Rahul Garhwal
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मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन आशुतोष तिवारी पर बोर्ड को 29 करोड़ की चपत लगाने का आरोप, कमिश्नर चंद्रमौली शुक्ला पर भी शक

BHOPAL. मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष आशुतोष तिवारी, कमिश्नर चन्द्रमौली शुक्ला सहित तकनीकी सलाहकार बीके अग्निहोत्री और ग्वालियर संभाग-2 के कार्यपालन यंत्री सूर्यकांत शर्मा बोर्ड को 29 करोड़ की चपत लगाने की तैयारी कर रहे हैं। मामला ग्वालियर में न्यू थाटीपुर में आवासीय और कमर्शियल कॉम्पलेक्स निर्माण से जुड़ा है। इस मामले में EOW में शिकायत की गई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए EOW AIG पल्लवी त्रिवेदी ने सरकार से जीएसटी के नाम पर बोर्ड को चपत लगाने के बारे में जानकारी मांगी है।

WhatsApp Image 2023-12-19 at 9.13.36 PM.jpegशिकायत पत्र

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शिकायत में क्या है ?

शिकायत में कहा गया है कि हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी और अध्यक्ष ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए बोर्ड को 29 करोड़ की चपत पहुंचा रहे हैं। यही वजह है कि नियमों के विरुद्ध जाकर 160 करोड़ के ठेके पर 18 प्रतिशत जीएसटी जो कि 29 करोड़ रुपए की होता है, अलग से ठेकेदार को देने की तैयारी की है।

टेंडर में क्या लिखा था ?

शुरुआत में बोर्ड ने जो टेंडर जारी किया था उसमें साफ लिखा था कि ठेकेदार को ही जीएसटी देना होगा, लेकिन बाद में अफसरों ने टेंडर खोलने के ठीक पहले उसमें संशोधन कर जीएसटी की राशि अलग से ठेकेदार को देने की बात कही। इस प्रावधान से बोर्ड को 29 करोड़ रुपए की चपत लग रही है।

प्रमुख सचिव को गुमराह करना चाहते हैं कमिश्नर !

ग्वालियर के हाउसिंग प्रोजेक्ट का ये टेंडर दिल्ली की श्रीवर्धनम इन्फ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर खुला है। सूत्रों की माने तो बोर्ड के कमिश्नर चन्द्रमौली शुक्ला विभाग के प्रमुख सचिव को गुमराह कर इस टेंडर को मंजूर करवाना चाहते हैं। बोर्ड ने टेंडर को पास करने प्रमुख सचिव को भेज दिया है।

शिकायतकर्ता ने क्या कहा ?

शिकायतकर्ता ने कहा है कि ग्वालियर में एक ओर हाउसिंग प्रोजेक्ट अटल कुंज टावर जिसकी लागत 60 करोड़ रुपए की है, उसमें जीएसटी ठेकेदार से ही ली जा रही है। ऐसे में न्यू ठाटीपुर के प्रोजेक्ट में जीएसटी की राशि ठेकेदार से लेने की बजाय बोर्ड के खजाने से देकर बोर्ड को करोड़ों रुपए की चपत लगाई जा रही है। शिकायतकर्ता ने ये भी आरोप लगाया है कि ठेके से पहले योजना का रेरा में पंजीयन नहीं कराया और न ही नगर निगम से अनुमति नहीं ली है। इतना ही नहीं टेंडर जारी करने से पहले संपत्ति बेचने, बुकिंग और विज्ञापन देने की कार्यवाही भी नहीं की गई।

प्रमुख सचिव क्या बोले ?

नगरीय विकास और आवास विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने कहा कि मेरी जानकारी में अभी टेंडर की फाइल नहीं आई है। मेरे पास आते ही इसे दिखवाता हूं। यदि नियम विरूद्ध टेंडर जारी किए गए होंगे या शर्तें बदली गई होंगी तो जरूरी कार्रवाई की जाएगी।

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