राजस्थान में सात जिले ऐसे जहां नहीं बनते OBC के प्रमाण-पत्र, वसुंधरा सरकार में भी थे यही हाल मगर अब हक दिलाने कमर कसी

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Chakresh
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राजस्थान में सात जिले ऐसे जहां नहीं बनते OBC के प्रमाण-पत्र, वसुंधरा सरकार में भी थे यही हाल मगर अब हक दिलाने कमर कसी

JAIPUR.  2023 के विधानसभा चुनावों में अगर भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार राजस्थान में बनती है तो टीएसपी यानी ( Tribal Sub Plan) वाले 7 जिलों में ओबीसी समुदाय को आरक्षण देने का रास्ता साफ करेगी। राजस्थान के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में ओबीसी सर्टिफिकेट नहीं बनने के मुद्दे को पिछले दिनों बीजेपी ने जोर-शोर से उठाया था और अब इसे चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी भी कर ली है। बुधवार को दिल्ली में इस मुद्दे पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपनी स्थिति साफ कर दी है। इस दौरान बीजेपी नेताओं ने राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर इस मामले में कुछ नहीं करने का आरोप भी लगाया। बता दें कि राजस्थान के जिन जिलों को लेकर ओबीसी प्रमाण पत्र दिलाने की बात BJP कर रही है, वहां भाजपा की पूर्व की सरकारों के दौरान भी ऐसी स्थिति थी। दरअसल बीजेपी ने इन जिलों में ओबीसी प्रमाण पत्र दिलाने के लिए आंदोलन करने का फैसला ओबीसी कमिशन की रिपोर्ट में इस बिंदु के आने के बाद लिया है। 



भाजपा सत्ता में आई तो 7 जिलों में मिलेगा ओबीसी को आरक्षण



राजस्थान में होने वाले विधानसभा व लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा प्रदेश के ओबीसी वर्ग को साधने में जुट गई है। ओबीसी वर्ग को चुनावों से पहले अपने पक्ष में करने को लेकर राजस्थान प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने नई दिल्ली में बुधवार को भाजपा मुख्यालय से प्रेस कान्फ्रेंस कर 7 जिलों में ओबीसी प्रमाण-पत्र बनाने की घोषणा की। वहीं जयपुर स्थित भाजपा प्रदेश कार्यालय से राष्ट्रीय मंत्री अलका गुर्जर ने कहा कि ओबीसी वर्ग के लिए प्रदेश की भाजपा सड़कों पर उतरेगी। उन्होंने कहा कि हम राज्य सरकार से मांग करते हैं कि वो इन सात जिलों में भी ओबीसी के सर्टिफिकेट बनाएं। नहीं तो भाजपा इस मांग को लेकर आंदोलन करेगी।



पिछड़ा वर्ग आयाेग की रिपाेर्ट पर सक्रिय हुई बीजेपी



दरअसल राजस्थान सहित राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने 6 प्रदेशों के दौरे किए थे। राजस्थान को लेकर आयोग ने रिपोर्ट दी थी कि राजस्थान के कुछ जिलों में ओबीसी के सर्टिफिकेट नहीं बनाए जा रहे हैं। इससे उन जिलों में रहने वाले ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को केन्द्र व राज्य की नौकरियों के साथ-साथ ओबीसी वर्ग को मिलने वाली अन्य सुविधाओ का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस मामले में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी राजस्थान सरकार काे घेरा था। 



ये 7 जिले, जहां नहीं मिलता OBC आरक्षण



राजस्थान के डूंगरपुर, प्रतापगढ़, उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, पाली और सिरोही जिलों में ओबीसी के सर्टिफिकेट नहीं बनाए जाते हैं। दरअसल इन जिलों काे टीएसपी यानि ट्राइबल सब प्लान (Tribal Sub Plan) क्षेत्र में शामिल किया गया है। इस कारण यहां केवल एससी और एसटी आरक्षण ही दिया जाता है। यहां ओबीसी आरक्षण का प्रावधान नहीं है, लेकिन इन जिलों में करीब 67 लाख ओबीसी की आबादी है और 40 लाख अन्य जातियां हैं। ऐसे में इस जिलों में निवास कर रहे ओबीसी वर्ग के लोगों को आरक्षण देने की मांग उठती रही है। 



 TSP (Tribal Sub Plan)  Area किसे कहते हैं



ऐसे क्षेत्र जहां पर 50 प्रतिशत से अधिक आदिवासी जनजाति निवास करती है और जहां पर भारत सरकार द्वारा जनजातीय उप योजना को लागू किया गया है उस क्षेत्र को TSP क्षेत्र कहते हैं। ठीक इसी प्रकार जिन जिन क्षेत्रों में आदिवासी जनजाति की आबादी कम है, वह क्षेत्र Non TSP Area में आते हैं। दरअसल TSP भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक जनजातीय उप योजना है, जिसे मुख्य रूप से देश के सभी वर्गों के संतुलित आर्थिक विकास के लिए शुरू किया गया है। इस योजना को मुख्य रूप से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्गों के विकास और बराबर अधिकार दिलाने के लिए शुरू किया गया है। 1974 से 1979 के बीच पांचवी पंचवर्षीय योजना के दौरान इसकी अवधारणा रखी गई। इसके बाद 17 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में इसे लागू किया गया था। टीएसपी क्षेत्र में आने वाले लोगों को सरकार द्वारा विशेष सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। सरकारी योजनाओं में विशेष छूट दी जाती है। इसके अलावा टीएसपी क्षेत्र में आने वाले क्षेत्र के विधार्थियों को प्रतियोगी परीक्षा में आरक्षण भी मिलता है। 



नाराज न हाे जाए आदिवासी वाेटर 



बहुत संभावना है कि मेवाड़ क्षेत्र में ओबीसी आरक्षण की यह मांग बीजेपी के लिए ओबीसी वोटों को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है, लेकिन यह आशंका भी है कि आदिवासी वोटर इससे छिटक सकते हैं। राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में से 25 एसटी यानी आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित हैं। इनमें से 10 सीटें बीजेपी के खाते में हैं और 13 सीटें कांग्रेस के पास हैं। इसके अलावा 2 सीटें निर्दलीय विधायकों के पास भी हैं। आंकड़ों  पर नजर डाली जाए तो आदिवासी वोटों का वितरण लगभग बराबर ही रहता है। ऐसे में बीजेपी की यह मांग आदिवासी समुदाय किस तरह से लेता है यह तो भविष्य के गर्भ में ही है, लेकिन ओबीसी समुदाय इसका स्वागत जरूर करेगा।


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