मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित ढाई दिन का झोपड़ा को लेकर विवाद की स्थिति बनती नजर आ रही है। जयपुर के सांसद रामचरण बोहरा का दावा है कि यह मूलतः एक मंदिर और संस्कृत शिक्षा का केंद्र था। जिसे मोहम्मद गौरी के निर्देश पर कुतुबुद्दीन ऐबक ने तुड़वाकर यहां ढाई दिन का झोपड़ा बना दिया।
जयपुर के सांसद रामचरण बोहरा ने मंगलवार को राजस्थान विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के अवसर पर भी यह कहा था कि वह दिन दूर नहीं जब अजमेर के ढाई दिन का झोपड़ा में संस्कृत मंत्र कर एक बार फिर सुनाई देंगे।
सांसद बोहरा ने केंद्रीय पर्यटन मंत्री को लिखा पत्र
अब उन्होंने केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने दावा किया है कि ढाई दिन का झोपड़ा मूलतः महाराज विग्रह राज द्वारा बनवाया गया मंदिर और संस्कृत शिक्षा केंद्र है। बोहरा का कहना है कि यह केंद्र पूर्व में प्रचार और संस्कृत शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। बोहरा ने कहा कि मुगलों के आतंक की दास्तान के ये चिन्ह भारतीय समाज पर कलंक है। इसे मूल स्वरूप में लाने के लिए यह पत्र भेज रहा हूं।
यह है ढाई दिन का झोंपड़ा
अजमेर में बनी यह ऐतिहासिक इमारत एक मस्जिद है। यह केवल 60 घंटे यानी ढाई दिन में बनी है। यह इमारत भारतीय मुस्लिम वास्तुकला का नायाब नमूना है। इस इमारत के प्रत्येक कोने में चक्राकार और बांसुरी के आकार की मीनारें निर्मित हैं। इसका निर्माण 1194 ईस्वी में किया गया।
संस्कृत महाविद्यालय के सबूत मौजूद
इतिहासकारों के मुताबिक मोहम्मद गौरी ने तराईन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को हरा दिया था। बाद में मोहम्मद गौरी की सेना ने पृथ्वीराज की राजधानी तारागढ़ अजमेर पर हमला किया था। उन्हीं दिनों अजमेर के संस्कृत विद्यालय को ध्वस्त करके उसे मस्जिद के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। संस्कृत महाविद्यालय पर हुए मस्जिद निर्माण के सबूत इस ढाई दिन के झोपड़े पर आज भी देखे जा सकते हैं। झोंपड़े के मुख्य द्वार पर लगे एक शिलालेख में यहां विद्यालय होने का उल्लेख किया गया है।