Shivpuri. शिवपुरी में जनपद पंचायत के निजी कंप्यूटर ऑपरेटर की कारस्तानी के चलते 26 लोग कागजों में मर गए, उनकी अंत्येष्टि अनुग्रह राशि विभाग से निकाल ली गई। कुल रकम करीब-करीब 1 करोड़ रुपए थी। वहीं जब असल में जिंदा लोगों को अपनी कागजी मौत के बारे में पता चला तो उनके सामने यह संकट खड़ा हो गया कि अब उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ कैसे मिलेगा? इस मामले में 21 जून को एफआईआर हो चुकी है, जब इस मामले के तह तक जाने की कोशिश की गई तो पता चला कि शिवपुरी जनपद पंचायत में पदस्थ निजी कंप्यूटर ऑपरेटर सीईओ का इतना मुंह लगा था, कि अधिकारी ने अपने सारे अधिकार कंप्यूटर ऑपरेटर शैलेंद्र परमार को दे डाले थे। उसके पास भुगतान का भी अधिकार था तो उसने इसका फायदा उठाया और जिंदा लोगों को मरा बताकर उनके कफन-दफन की अनुग्रह राशि निकालता रहा।
10 हजार के वेतन में गजब के ठाठ-बाट
यूं तो आरोपी शैलेंद्र परमार की सैलरी महज 10 हजार रुपए है लेकिन इतने कम पैसों में उसका ठाठ-बाट जनपद पंचायत के सीईओ से कमतर नहीं है। उसने ढाई लाख रुपए की बाइक ले रखी है और उसके पास 3-3 लग्जरी कारें भी हैं। रूबाब ऐसा कि मानो वह खुद ही जनपद पंचायत चला रहा था। दरअसल बीते 4 साल से परमार अनुग्रह राशि में हेरफेर करता रहा और करीब 1 करोड़ रुपए निकालकर बैठ चुका था। साल 2022 तक किसी को इस घपले की भनक भी नहीं लगी, वह तो 2022 में तत्कालीन कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने मामले की जांच बैठाई तो घोटाला परत दर परत खुलता चला गया। जांच अधिकारियों का तो मानना है कि असल में घोटाला 5 करोड़ से भी ज्यादा का हो सकता है।
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डिजिटल सिग्नेचर तक दे रखे थे
मामले में आरोपी निजी कंप्यूटर ऑपरेटर शैलेंद्र परमार को मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने अपना डोंगल यानि डिजिटल सिग्नेचर दे रखा था। इससे वह मनमाने तरीके से जिंदा मजदूरों को मरा बताकर उनके नाम से आवेदन खुद स्वीकृत करता रहा। उसके पास भुगतान का भी अधिकार था तो उसने अनुग्रह राशि को साजिशन खोले गए बैंक खातों में रकम ट्रांसफर करना शुरू कर दिया। इस गफलत में उसकी ऐसी चांदी कटने लगी कि 4 साल में उसने 3 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति खड़ी कर ली। शैलेंद्र के पास अकेले कारें ही 78 लाख रुपए कीमत की हैं, इसके अलावा बेनाम संपत्ति का तो अभी पता लगाया जा रहा है। फिलहाल शैलेंद्र पुलिस रिमांड पर है। जिससे पुलिस पूछताछ कर रही है।
5 लोगों के नाम पर एफआईआर
21 जून को शिवपुरी जनपद पंचायत के सीईओ गिरिराज शर्मा ने दो पूर्व मुख्य कार्यपालन अधिकारियों गगन वाजपेई, राजीव मिश्रा, कंप्यूटर ऑपरेटर शैलेंद्र परमार और दो क्लर्क साधना चौहान और लता दुबे के लिए खिलाफ मामला दर्ज कराया था। शर्मा की ओर से दिए गए आवेदन में कहा गया है कि भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार मंडल में पंजीकृत मजदूरों की अनुग्रह राशि में गबन हुआ है।
पूर्व सीईओ भी लपेटे में
आरोपी शैलेंद्र परमार ने बिहार, मुंबई, हैदराबाद, बेंगलुरू से लेकर दिल्ली तक के खातों में रकम ट्रांसफर की थीं। इस पूरे मामले में जनपद पंचायत के पूर्व सीईओ भी शक के दायरे में हैं। कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि अगर इस घपले में पूर्व सीईओ शामिल नहीं थे, या उनको जानकारी नहीं तो सवाल यह उठता है कि क्या एक कंप्यूटर ऑपरेटर इतने साल तक इस प्रकार जनपद पंचायत कैसे चलाता रहा?
जो कागजों में मरे, उन्हें नहीं होगी परेशानी
इस पूरे गबन में वे 26 लोग दहशत में हैं कि उनके साथ अब क्या होगा? इस पर कलेक्टर ने ऐसे मजदूरों को भरोसा दिलाया है कि जिन्हें फर्जी तरीके से मृत घोषित कर दिया गया, उन्हें योजनाओं का लाभ मिलता रहेगा। उन्हें किसी प्रकार की परेशानी नहीं होने दी जाएगी।