सौर ऊर्जा जनरेट कर बेचने वालों को झटका, अब नहीं बेच सकेंगे पूरी बिजली, जानें क्या है पूरा मामला

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Pooja Kumari
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सौर ऊर्जा जनरेट कर बेचने वालों को झटका, अब नहीं बेच सकेंगे पूरी बिजली, जानें क्या है पूरा मामला

BHOPAL. सोलर एनर्जी जनरेट कर बिजली कंपनियों को बिजली बेचने का सपना देख रहे कैप्टिव पावर जनरेशन यूजर्स को विद्युत नियामक आयोग ने झटका दिया है। बता दें कि आयोग ने इससे संबंधित अधिनियम में संशोधन कर कहा है कि सोलर एनर्जी या किसी अन्य तरह के एनर्जी प्लांट लगाकर बिजली जनरेट करने वालों को कुल उत्पादित बिजली का 51 प्रतिशत खुद ही उपयोग करना पड़ेगा। इसका शेष बचा 49 प्रतिशत वह बिजली कम्पनी को बेच सकेगा। इसके पीछे तर्क है कि अगर ऐसा नहीं किया, तो जनरेट होने वाली सोलर एनर्जी खपत ठीक से न हो पाने पर विद्युत स्टोरेज सिस्टम की व्यवस्था को बिगाड़ देगा।

मप्र इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमिशन

बता दें कि सोलर एनर्जी के जरिए कैप्टिव पावर प्लांट लगाने वालों के लिए मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने नियमों में बदलाव किया है। आयोग द्वारा मध्यप्रदेश इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमिशन (वेरिफिकेशन आफ कैप्टिव जनरेटिंग प्लांट्स एंड कैप्टिव यूजर्स) रेगुलेशंस 2023 में पहला संशोधन कर ये बदलाव किया गया है। इसे जी-45 वर्ष 2024 कहा जाएगा। सोलर एनर्जी प्लांट लगाकर बिजली खपत दुरुस्त रखने के लिए प्रोत्साहित कर रही केंद्र व राज्य सरकार की नीतियों को मप्र विद्युत नियामक आयोग के इस फैसले से झटका लगेगा। जानकारी के मुताबिक अब तक सरकारें ये कहती रही है कि कैप्टिव एनर्जी प्लांट घर पर या ओपन स्पेस में लगाकर लोग न सिर्फ अपने लिए बिजली का पर्याप्त इंतजाम कर सकते हैं बल्कि सरकार के बिजली संकट में भी सहभागी बन सकते हैं। सरकार खुद कैप्टिव जनरेशन से मिलने वाली पूरी बिजली खरीदने की बात कहती रही है लेकिन विद्युत नियामक आयोग ने अब साफ कर दिया है कि कोई भी व्यक्ति, कंपनी या समूह सिर्फ बेचने के लिए सोलर प्लांट नहीं लगा सकता है।

एसोसिएशन ऑफ पर्संस के जरिए भी इस तरह का काम किया जा सकेगा

सिंगल कैप्टिव यूजर की खपत उसके विद्युत उत्पादन संयंत्र द्वारा वार्षिक आधार पर जनरेट की गई सोलर बिजली की खपत के 51 प्रतिशत से कम नहीं होगी। इस बिजली की खपत सिंगल कैप्टिव यूजर को या तो प्रत्यक्ष रूप से या फिर एनर्जी स्टोरेज सिस्टम से करनी होगी। इसके लिए वह किसी सहायक कंपनी या नियंत्रक कंपनी को साथ ले सकेगा। आयोग का कहना है कि पार्टनरशिप फर्म (लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप) के अंतर्गत कैप्टिव यूजर के मामले में भी यूजर की खपत लिमिट 51 प्रतिशत से कम नहीं होगी। आयोग ने कहा है कि व्यक्तियों का संघ यानी एसोसिएशन ऑफ पर्संस के जरिए भी इस तरह का काम किया जा सकेगा, लेकिन इस मामले में भी शर्तें सिंगल कैप्टिव यूजर और पार्टनरशिप फर्म की तरह ही होगा।

51 प्रतिशत बिजली की खपत खुद करना होगा

आयोग ने इसी तरह की स्थिति सहकारिता समिति, कंपनी, साझेदारी, फर्म, समिति दायित्व भागीदारी, लोगों को समूह द्वारा गठित स्पेशल पर्पज व्हीकल द्वारा किए जाने वाले कैप्टिव जनरेशन ऑफ पावर के मामले में लागू होगी। आयोग ने साफ कर दिया है कि किसी भी स्थिति में कैप्टिव जनरेशन ऑफ पावर का काम करने वाले को 51 प्रतिशत बिजली की खपत खुद करना होगा।

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