संजय गुप्ता, INDORE, मप्र की शराब कंपनी सोम डिस्टिलरीज और आबकारी अधिकारियों के बीच मिलीभगत पर कोर्ट की मुहर लग गई है। कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए कंपनी के संचालक, सुपरवाइजर और मैनेजरों ने आबकारी अधिकारियों से मिलकर फर्जी परमिट बनाए। देपालपुर में बने 12 साल पुराने केस में कंपनी के मैनेजर, संचालकों के साथ विभागीय अधिकारियों को सजा सुनाई गई है।
विभाग के अधिकारियों और सोम डिस्टिलरीज के संचालक, मैनेजर व सुपरवाइजरों को 420, 467, 468, 471 व 120 बी धाराओं में आरोपी सिद्ध पाया गया है और इसके तहत सजाएं सुनाई गई है। वहीं आरोपी जगदीश पिता मोहनलाल अरोरा और अजय पिता मोहन लाल अरोरा के खिलाफ कार्रवाई हाईकोर्ट से पूर्व में ही समाप्त हो चुकी है। केस चलने के दौरान दो आरोपियों की मौत हो चुकी थी। अपर सत्र न्यायाधीश, निलेश यादव, देपालपुर जिला इंदौर ने यह सजा सुनाई।
कोर्ट ने इन आबकारी अधिकारियों को सुनाई सजा
1. रामप्रसाद मिश्रा- आबकारी उपनिरीक्षक- तीन साल की सजा, एक हजार का अर्थदंड
2. कैलाश चंद बंगाली- रिटायर जिला आबकारी अधिकारी, तीन साल की सजा, एक हजार का अर्थदंड
3. मदनसिंह पंवार- रिटायर सहायक जिला आबकारी अधिकारी, 6 माह सजा, सौ रुपए अर्थदंड
4. प्रीति गायकवाड़- आबकारी निरीक्षक, तीन साल की सजा, एक हजार अर्थदंड
सोम डिस्टिलरीज के इन संचालक, मैनेजर, सुपरवाइजर को सजा
1. उमाशंकर शर्मा- सुपरवाइजर सोम डिस्टिलरीज- तीन साल की सजा और एक हजार का अर्थदंड
2. दिनकर सिंह- सुपरवाइजर सोम डिस्टिलरीज- तीन साल की सजा और एक हजार का अर्थदंड
3. मोहन सिंह तोमर- सुपरवाइजर सोम डिस्टिलरीज- तीन साल की सजा और एक हजार का अर्थदंड
4. दीनानाथ सिंह- संचालक सोम डिस्टिलरीज, तीन साल की सजा और एक हजार अर्थदंड
5. शैलेंद्र सिंह राजपूत- मैनेजर सोम डिस्टिलरीज, तीन साल की सजा और एक हजार अर्थदंड
6. गुरुदर्शन अरोरा- मैनेजर सोम डिस्टलरीज, तीन साल की सजा और एक हजार अर्थदंड
7. सुरजीत- तीन साल की सजा और एक हजार अर्थदंड
अवैध शराब परिवहन पर 34(2) धारा में इन पर यह सजा
संतोष और ओमप्रकाश- ट्रक ड्राइवर व हेल्पर- एक साल की सजा व 25 हजार अर्थदंड
यह है मामला
देपालपुर में 14 दिसंबर 2011 को ट्रक में ड्राइवर संतोष व हेल्पर ओमप्रकाश को अवैध शराब का परिवहन करते पाया जिसमें 1200 शराब पेटी परिवहन की जा रही थी। जब परमिट की जांच की तो यह फर्जी पाया गया। इसके बाद जांच में पाया गया कि आबकार विभाग के अधिकारियों मदनसिंह ने पांच फर्जी परमिट बुक, वीरेंद्र भारद्वाज ने 272, रामप्रसाद मिश्रा ने 25, प्रीति गायकवाड़ ने 279, संजय गोहे ने 282, कैलाश बंगाली ने 29, मोहन सिंह तोमर ने 676, उमाशंकर ने 75 और दिनकर सिंह ने 65 फर्जी परमिट की कूटरचना छल से बनाया। यह काम सोम डिस्टिलरीज को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया।