BHOPAL. मुंबई के आईपीएस मनोज शर्मा के जीवन पर आधारित सबसे चर्चित फिल्म 12th फेल उनके जीवन संघर्षों को तो बतातती ही है, लेकिन आज हम आपको उस पहलूओं से रूबरू कराएं, जो अब तक लोगों को पता नहीं है........मनोज आवारा था, उसका पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता था। वह 12वीं फेल हुए। लेकिन, यहीं से उन्हें ये भी पता चला कि कोई तो अफसर है, जो प्रिंसिपल से भी बड़ा होता है। बस यहीं से उन्होंने ठान लिया कि लोक सेवा आयोग की परीक्षा देकर एसडीएम बनेंगे। बता दें, अनुराग पाठक ने मनोज शर्मी की पूरी कहानी एक किताब ‘ट्वेल्थ फेल’ में लिखी है। इसी कहानी पर विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म बनी है।
इसी लड़के ने क्रेक किया यूपीएससी
दरअसल आईपीएस मनोज शर्मा की बॉयोग्राफी 12th फेल इस दिनों काफी चर्चा में है। मनोज मुरैना जिले के लिए बिलगवां के रहने वाले हैं। 12वीं फेल फिल्म के रियल हीरो आईपीएस मनोज शर्मा की कहानी काफी दिलचस्प है। मनोज शर्मा ने 12वीं में फेल होने के बाद भी हार नहीं मानी। 12Th फेल फिल्म में भी यही दिखाया है कि कैसे 12वीं में फेल होने के बाद भी एक लड़का हार नहीं मानता है और अपनी मेहनत से आगे चलकर यूपीएससी क्रेक करता है।
गांव से नहीं निकलता तो रह जाता निठल्ला
मनोज बचपन से ही बहुत सीधा लड़का था। वो शांत बैठा रहता था। उसका पढ़ाई में मन नहीं लगता था, वह दिनभर सिर्फ गांव की गलियों में भटकता रहता था। गांव के लोग उसे निठल्ला कहते थे। किसे पता था कि एक दिन वही लड़का बड़ा अफसर बन जाएगा। मनोज के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। घर से बाहर जाकर पढ़ाई करने के उसके पास पैसे नहीं थे। वह घर पर बैठकर ही ख्वाब बुनता रहता था। समय ऐसा आया कि उसे अपने घर का खर्चा चलाने के लिए आस-पास के लोगों का आटा पीसना पड़ा। साथ में वह लोगों के घरों में सफाई का काम भी करता था। कुछ समय तक उसने टेंपो भी चलाया।
भिखारियों के साथ फुटपाथ पर भी सोए
इस वजह से मनोज 12वीं में फेल हो गया। फेल होने के बाद वो घर छोड़कर ग्वालियर चला गया। ग्वालियर में रहकर उसने 12वीं पास की और फिर बीए किया। वहां पर मनोज को पता चला कि तहसील के एसडीएम से भी बड़ा अफसर डीएम होता है और उसके लिए संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा होती है। इस परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली का मुखर्जी नगर चर्चा में था इसलिए मनोज दिल्ली पहुंच गए। दिल्ली में उन्होंने नौकरी तलाशना शुरू की, लेकिन उन्हें काम नहीं मिला। काफी दिनों तक वह भिखारियों के साथ फुटपाथ पर भी सोए। फिर उन्हें एक लाइब्रेरी में काम मिला। यहां यूपीएससी की कोचिंग शुरू की और इसी दौरान मनोज को उत्तराखंड के अल्मोड़ा की श्रद्धा जोशी से प्यार हो गया।
...और यहां पलट गई मनोट की दुनिया
दोनों साथ में पढ़ाई करने लगे। फिर भी मनोज का सेलेक्शन नहीं हो सका, लेकिन श्रद्धा जोशी ने पीसीएस क्वालिफाई कर लिया। श्रद्धा ने मनोज का हौसला बढ़ाते हुए उसे काफी सपोर्ट किया। प्रीलिम्स और मेन क्लीयर कर लिया। किसी ने भी नहीं सोचा था कि एक 12वीं फेल लड़का एक अच्छा अफसर बन पाएगा। इस समय मुंबई में सहायक पुलिस आयुक्त के पद पर मनोज कुमार शर्मा को लोग पुलिस विभाग का ‘सिंघम’ कहकर भी बुलाते हैं। उनकी पत्नी बन चुकी श्रद्धा जोशी इन दिनों महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग की सचिव हैं।
गांव में ज्यादा लोगों ने नहीं देखी फिल्म
मुरैना में मनोज को बिलगवां चौधरी पुलिया के नाम से जानते हैं। गांव में आज भी उनका पुराना मकान है। मनोज को उनके गांव में छोटा-बड़ा हर आदमी जानता है। बताया जाता है कि मनोज के गांव में दो-चार लोग ही ऐसे हैं, जिन्होंने 12th फेल फिल्म देखी है। बाकी उनके गांव में किसी ने भी ये फिल्म नहीं देखी है। गांव वालों का कहना है कि वह सभी मनोज के संघर्षो को जानते है।