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संजय गुप्ता @ INDORE
इंदौर के चर्चित सुगनीदेवी जमीन घोटाले में सुप्रीम कोर्ट से इंदौर- दो के विधायक रमेश मेंदोला को बड़ी राहत मिल गई है। इस मामले में लोकायुक्त की लगी अपील को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। मेंदोल को इंदौर हाईकोर्ट ने चार साल पहले चालान से मुक्त करने का आदेश दे दिया था। इस आदेश के खिलाफ लोकायुक्त सुप्रीम कोर्ट गया था, जहां सुनवाई के बाद यह आदेश आ गया है। जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस राजेश बिंदल की बेंच ने यह फैसला सुनाया।
यह है लंबा विवाद
- परदेशीपुरा स्थित सुगनीदेवी कॉलेज की तीन एकड़ जमीन है। 13 अक्टूबर 1980 को यह जमीन 30 साल की लीज पर धनलक्ष्मी केमिकल वर्क्स को औद्योगिक उपयोग के लिए दी गई थी।
- बगैर डायवर्शन कराए 1990-91 में आवास एवं पर्यावरण विभाग ने इस जमीन पर आवास निर्माण की अनुमति दे दी। इससे शासन को लीज रेंट के रूप में मिलने वाले करीब 7 लाख 71 हजार रुपए का नुकसान हुआ।
- धनलक्ष्मी केमिकल वर्क्स ने यह जमीन नंदानगर सहकारी संस्था को बेच दी। इससे कंपनी को करीब एक करोड़ 38 लाख रुपए का अवैध फायदा हुआ। रजिस्ट्री के वक्त रमेश मेंदोला नंदानगर सहकारी संस्था के अध्यक्ष थे।
- 3 जून 2002 को जमीन का लैंड यूज बदलने का प्रस्ताव भी पास हो गया।
- 28 फरवरी 2004 को धनलक्ष्मी केमिकल वर्क्स ने नगर निगम में आवेदन दिया कि वह जमीन बेचना चाहते हैं।
- 25 मार्च 2004 को सिटी इंजीनियर डंगावकर ने जमीन बेचने को लेकर अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी कर दिया।
- 1 सिंतबर 2004 को कंपनी ने जमीन की रजिस्ट्री नंदा नगर सहकारी संस्था के अध्यक्ष रमेश मेंदोला के नाम कर दी।
- 22 सितंबर 2004 को नगर निगम ने जमीन की लीज पुरानी दर पर 30 साल के लिए बढ़ा दी।
- 2010 में सुरेश सेठ ने इस मामले को लेकर कोर्ट में परिवाद पेश किया।
- मार्च 2010 में लोकायुक्त ने इस मामले में केस दर्ज कर 20 मई 2013 को 18 आरोपियों के खिलाफ विशेष न्यायालय में चालान पेश किया। बाद में हाईकोर्ट ने इस चालान से मेंदोला को मुक्त कर दिया। इसी के खिलाफ लोकायुक्त सुप्रीम कोर्ट गया था।
लोकायुक्त ने इन्हें बनया था आरोपी
रमेश मेंदोला, मनीष संघवी, नगीन कोठारी, विजय कोठारी, नगर निगम के जगदीश डंगावकर, एनके सुराना, नित्यानंद जोशी, एसके बायस, विमलकुमार जैन, अशोक बैजल, सुरेशकुमार जैन, राकेश शर्मा, हंसाबेन पारीक, अशोककुमार पारीक, मोहनलाल पारीक, सोहनलाल पारीक, सीमा बड़जात्या।