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New Delhi. सुप्रीम कोर्ट से राजस्थान सरकार को काफी अहम राहत मिल गई है। राजस्थान हाईकोर्ट ने अब तक प्रदेश की खदानों की नीलामी के फैसले पर रोक लगा रखी थी। इस रोक को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। शीर्ष अदालत के इस फैसले से सरकार अब प्रदेश में बंद पड़ी 50 हजार से ज्यादा खदानों की नीलामी कर सकेगी। जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की डबल बेंच ने यह आदेश दिया है। इस मामले में राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष संघवी ने पक्ष रखा था।
यह था मामला
दरअसल गहलोत सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान खनन नीलामी का नया नियम लाकर पुरानी आवंटन नीति को रद्द कर दिया था। इस कारण प्रदेश की 50 हजार से ज्यादा छोटी बड़ी खदानों के आवंटन के लिए जो आवेदन आए थे वे स्वतः रद्द हो गए थे। सरकार के इस कदम के खिलाफ आवेदनकर्ताओं ने राजस्थान हाई कोर्ट की शरण ली थी। अदालत ने इस मामले में सुनवाई के बाद मार्च 2013 में गहलोत सरकार के फैसले को रद्द करते हुए खदानों का आवंटन पुरानी नीति के तहत ही करने के निर्देश दिए थे।
10 साल बाद शीर्ष कोर्ट से आया फैसला
राजस्थान सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था। सुप्रीम कोर्ट में मामले पर सुनवाई के दौरान उभयपक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला हो गया। अदालत ने मार्च 2013 के हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए गहलोत सरकार के नीलामी वाले फैसले को बहाल किया है।
10 साल से बंद पड़ी थीं माइन्स
शीर्ष अदालत के इस फैसले से राजस्थान के रेवेन्यू में काफी इजाफा होगा। दरअसल 10 साल से प्रदेश की 50 हजार छोटी बड़ी खदानें बंद पड़ी थीं। इनकी नीलामी के जरिए सरकार को काफी रेवेन्यू मिलेगा। 2013 से पहले सरकार पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर खदानों का आवंटन करती थी, जिसे गहलोत सरकार ने बदल दिया था। जिसके कारण 50 हजार से ज्यादा आवेदन लंबित थे।