BHOPAL. राजधानी भोपाल से गुजरी कलियासोत नदी पर जबरदस्त अतिक्रमण है और नदी के दोनों ओर बड़े स्तर पर अवैध अतिक्रमण हैं। जिसे हटाने को लेकर एनजीटी ने जिला प्रशासन को आदेश दिए हैं। आदेश के मुताबिक प्रशासन को 31 दिसंबर तक अतिक्रमण हटाना है और 14 जनवरी तक रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सामने पेश करना है। बताते हैं राजस्व विभाग ने सर्वे पुरा कर लिया है। अतिक्रमणों को चिन्हित किया। हालांकि, राजस्व विभाग के अफसरों की इस कवायद के बावजूद अवैध कब्जे नहीं हटाए जाने को लेकर पर्यावरणविद डॉ. सुभाष सी पांडेय ने नाराजगी जताई है और कहा कि विभाग आधी-अधूरी रिपोर्ट पेश करने की तैयारी कर रहा है। इसके खिलाफ मैं एनजीटी के आदेश के उल्लंघन की याचिका दायर करूंगा।
यहां बता दें कि भोपाल से गुजरने वाली कलियासोत नदी के 36 किलोमीटर दायरे का सर्वे पुरा कर लिया गया है। इसके लिए प्रशासन ने 10 अफसरों को जिम्मेदारी सौंपी है।
सर्व धर्म बी सेक्टर समेत कई इलाकों में पिलर पर मार्किंग
राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि कुछ दिन पहले पहले ड्रोन से सर्वे कराया गया था, लेकिन इससे राजस्व रिकॉर्ड और उसमें अंतर आ रहा था। इसके बाद राजस्व विभाग ने अपने नक्शे के आधार पर सीमाएं तय कीं। फिर उसी आधार पर सीमांकन किया गया। सर्व-धर्म बी सेक्टर समेत कई इलाकों में मकान-दुकानों के पिलर पर मार्किंग की गई है। इस लेकर लोगों परेशान हैं। लोगों ने कॉलोनाइजर्स से मकान खरीदे हैं, लेकिन अब मार्किंग ने उनकी चिंताएं बढ़ा दी हैं।
पर्यावरणविद डॉ. पांडेय ने कहा- दिखावे की कार्रवाई
पूरे मामले में नदी के संरक्षण और उसे प्रदूषण मुक्त करने लंबी लड़ाई लड़ने वाले पर्यावरणविद डॉ. सुभाष पांडेय ने बताया कि अभी तक चिह्नांकन किया गया, लेकिन उस पर लगे अतिक्रमण को हटाया नहीं गया है, जबकि 31 दिसंबर तक यह पूरी कार्रवाई करना है। वहीं, 14 जनवरी तक रिपोर्ट पेश करना है, लेकिन अब तक कार्रवाई काफी धीमी है। या यूं कहें कि दिखावे की कार्रवाई की जा रही है। ताकि आधी-अधूरी रिपोर्ट पेश की जाए। इसलिए जिम्मेदारों के विरुद्ध एनजीटी के आदेश का उल्लंघन करने की याचिका लगाऊंगा।
शहर में 36 किमी है नदी की लंबाई
भोपाल शहरी हिस्से से नदी कुल 36 किमी होकर भोजपुर में बेतवा नदी में मिल जाती है। शुरुआती 9 किमी यानी सर्व-धर्म कॉलोनी से सलैया के बीच करीब 3 हजार बड़े कंस्ट्रक्शन नदी के किनारे बने हैं। इनमें ज्यादातर बहुमंजिला इमारतें हैं। इन पर भी मार्किंग की गई है।
एनजीटी ने क्या दिया था फैसला?
अगस्त में एनजीटी ने नदी के सीमांकन और अतिक्रमण चिह्नित करने के लिए 2 महीने और इन्हें हटाने के लिए 31 दिसंबर 2023 की समय सीमा तय की है। सुनवाई के दौरान एनजीटी ने राज्य शासन की आंतरिक कमेटी की उस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि नदी ने अपना रास्ता बदला है, इसके चलते नदी रहवासी क्षेत्रों के करीब आ गई है। इस रिपोर्ट में नदी में बन चुके मकान और मल्टी स्टोरी बिल्डिंग्स को तोड़ने को अव्यावहारिक और मलबा निकलने से पर्यावरण विरोधी बताया गया था। एनजीटी ने ये रिपोर्ट तथ्यों से परे मानी थी।