मनीष गोधा, JAIPUR. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पक्ष में कांग्रेस आलाकमान से बगावत करने वाले 81 विधायकों के वेतन भत्तों पर भी तलवार लटक गई है। राजस्थान उच्च न्यायालय में पूर्व नेता प्रतिपक्ष की ओर से दायर संशोधित याचिका में इस्तीफा देने के बावजूद इन 81 विधायकों द्वारा लिए गए करीब 18 करोड़ के वेतन भत्ते वापस वसूल किए जाने की मांग की गई है। याचिका पर सुनवाई सोमवार (8 जनवरी) को होनी थी, लेकिन टल गई। अब 16 फरवरी को होगी।
कांग्रेस आलाकमान से बगावत करना पड़ा भारी
पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की ओर से राजस्थान हाई कोर्ट में कांग्रेस विधायकों की ओर से दिए गए इस्तीफों को लेकर एक याचिका चल रहीं है। इस याचिका में इस्तीफे पर फैसला करने में देरी को लेकर पूर्व स्पीकर सीपी जोशी और विधानसभा सचिव को पक्षकार बनाया हुआ है। पिछले दिनों उन्होंने याचिका में संशोधन करते हुए छह विधायकों शांति धारीवाल, महेश जोशी, रफीक खान, महेन्द्र चौधरी, रामलाल जाट और संयम लोढ़ा को भी पक्षकार बनाने का प्रार्थना पत्र पेश किया था। प्रार्थना पत्र में कहा गया था कि इन विधायकों ने अन्य विधायकों के इस्तीफे स्पीकर को दिए थे इसलिए इन्हें पक्षकार बनाया जाए, जिससे यह पता चल सके कि 81 एमएलए ने किसके दबाव में विधानसभा स्पीकर को इस्तीफे सौंपे थे।
राजेंद्र राठौड़ ने HC में ये भी कहा
इसके साथ ही राजेंद्र राठौड़ ने हाई कोर्ट से यह प्रार्थना भी की है कि जिन 81 विधायकों ने 25 सितंबर 2022 को इस्तीफे दिए, उनके इस्तीफे भी उसी दिन से स्वीकार माने जाने चाहिए क्योंकि उनपर उनके हस्ताक्षर हैं। यह कहीं भी साबित नहीं हुआ है कि उनसे दबाव में इस्तीफे लिए गए। ऐसे में इन विधायकों ने 25 सितंबर 2022 की अवधि के बाद जो भी वेतन भत्ते लिए हैं, उनकी वसूली की जानी चाहिए। याचिका में कहा गया है कि यह राशि लगभग 18 करोड़ रुपए बनती है और इसके संबंध में भी हाईकोर्ट को निर्णय करना चाहिए।
यह था मामला ?
25 सितंबर 2022 को कांग्रेस के 81 विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पक्ष में अपने इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को दे दिए थे। उसे दिन कांग्रेस आलाकमान की निर्देश पर केंद्रीय पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे, अजय माकन जयपुर आए थे। उन्हें कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाने के निर्देश दिए गए थे। माना जा रहा था कि इस बैठक में सचिन पायलट को विधायक दल का नेता बनाने के लिए आलाकमान को अधिकृत करने का प्रस्ताव पारित किया जा सकता है। इस बारे में भनक लगते ही अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों ने तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के निवास पर एक समानांतर विधायक दल की बैठक कर ली। बैठक के बाद अपने इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को सौंप दिए। विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष 6 विधायकों ने खुद सहित 75 अन्य विधायकों के इस्तीफे दिए थे। विधानसभा अध्यक्ष ने लगभग 3 महीने तक इस्तीफे पर कोई फैसला नहीं किया। इसी को चुनौती देते हुए नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।