JAIPUR. आजादी के बाद सन 1954 में मुख्यमंत्री बनने के लिए पूरे भारत में पहला रोचक मुकाबला राजस्थान में हुआ था। 6 नवंबर सन 1954 में यह मुकाबला कांग्रेस के दिग्गज नेता और लोक नायक जय नारायण व्यास और मोहनलाल सुखाड़िया जैसे युवा नेता के बीच हुआ था। उस दौर में पूरे देश की निगाहें इस मुकाबले का परिणाम जानने के लिए टिकी हुई थी। लोकतंत्र के इतिहास में राजस्थान पहला राज्य था जहां पर मुख्यमंत्री के लिए प्रदेश की राजनीति गरमा गई थी। जयपुर में हुई विधायक दल की बैठक में कांग्रेस के विधायकों ने आठ मतों के अंतर से सुखाड़िया को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया। प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और मुख्यमंत्री जय नारायण व्यास को पराजित होना पड़ा।
30 मार्च 1949 में पहली बार हीरालाल शास्त्री ने ली थी सीएम की शपथ
वरिष्ठ पत्रकार जितेन्द्र सिंह शेखावत के अनुसार स्वतंत्रता के बाद राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के लिए विवाद की नींव पहले दिन ही पड़ गई थी। 30 मार्च 1949 को सरदार पटेल की मौजूदगी में हीरालाल शास्त्री को मुख्यमंत्री की शपथ राजप्रमुख सवाई मानसिंह ने दिलवाई। उसी दिन से कांग्रेस के दिग्गजों का आपसी विवाद सामने आ गया था। सिटी पैलेस में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस के दिग्गज नेता उठ कर चले गए और यह विवाद बढ़ता ही चला गया। 9 जून 1949 को प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने हीरालाल शास्त्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर शास्त्री को मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया और जय नारायण व्यास को मुख्यमंत्री का चार्ज सौंपा गया।
1964 में लगाया गया था राष्ट्रपति शासन
सन 1952 के पहले चुनाव में टीकाराम पालीवाल को शपथ दिलाई गई। इसका कारण यह रहा कि जयनारायण व्यास जैसे दिग्गज नेता दो-दो जगह से चुनाव हार गए। सन 1957 में दूसरी विधानसभा चुनाव के बाद विधायक दल में नेता के लिए 4 अप्रैल 1957 को सुखाड़िया और टीकाराम पालीवाल में मुकाबला हुआ जिसमें सुखाड़िया जीते। सन 1967 में भी विपक्ष और कांग्रेस में जमकर मुकाबला हुआ। जौहरी बाजार में गोलियां तक चली और इसके बाद देश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की स्थिति पैदा हो गई थी। जिसके बाद राष्ट्रपति शासन लगाया गया।
22 जून 1977 में सीएम पद के लिए चुने गए थे शेखावत
सन 1972 में पांचवीं विधानसभा के चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बरकतुल्ला खान का निधन होने के बाद नेता पद के लिए हरिदेव जोशी और गृह राज्य मंत्री रामनिवास मिर्धा में मुकाबला हुआ। इस मुकाबले में विधायकों ने हरिदेव जोशी को नेता बनाया। सन 1977 में राजस्थान के इतिहास में पहली बार कांग्रेस विरोधी जनता पार्टी की सरकार बनीं। उस छठी विधानसभा के चुनाव में जनसंघ के भैरोंसिंह शेखावत और जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मास्टर आदित्येंद्र के बीच 22 जून 1977 को मुख्यमंत्री पद के लिए हुए मुकाबले में विधायकों ने शेखावत को विधायक दल का नेता चुना। विजय होने के बाद शेखावत ने उनके सामने खड़े मास्टर आदित्येंद्र के चरण छू कर आशीर्वाद लिया और अपनी सरकार में आदित्येंद्र को वित मंत्री बनाया। 1990 के दौर में भैरोंसिंह शेखावत को विधायक दल का नेता चुनने के लिए विजयराजे सिंधिया और केदारनाथ साहनी दिल्ली से जयपुर आए थे।