मप्र की बिजली कंपनियों का खेल, सरप्लस स्टेट के बावजूद भी प्रदेश के उपभोक्ताओं को लूटने में लगी बिजली कंपनियां

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Pooja Kumari
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मप्र की बिजली कंपनियों का खेल, सरप्लस स्टेट के बावजूद भी प्रदेश के उपभोक्ताओं को लूटने में लगी बिजली कंपनियां

वेंकटेश कोरी, JABALPUR. मध्य प्रदेश की गिनती भले ही सरप्लस बिजली उत्पादन करने वाले राज्यों में होती है लेकिन सबसे हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि मध्यप्रदेश की बिजली कंपनियां अपने ही उपभोक्ताओं के हितों से खिलवाड़ कर रही हैं, यहां तक की अपने बिजली उपभोक्ताओं से ये कंपनियां ज्यादा कीमत वसूल रही है जबकि प्रदेश के बाहर कम कीमत पर बिजली की बिक्री की जा रही है। हाल ही में बिजली की नई दरों के निर्धारण के लिए कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग को प्रस्ताव भेजे हैं इन्हीं प्रस्तावों से जुड़े दस्तावेजों से इस बात का खुलासा हुआ है कि बिजली कंपनियों ने पिछले साल भी प्रदेश के बाहर सस्ती दरों पर बिजली बेची हैं और आने वाले वित्तीय वर्ष में भी कंपनियां इसी खेल को जारी रखना चाहती है।

दस्तावेजों से हुआ खेल का खुलासा

सस्ते रेट पर सरप्लस बिजली का प्रदेश के बाहर हो रही इस बिक्री पर जानकारों ने हैरानी जताई है। हाल ही में बिजली कंपनियों द्वारा विद्युत नियामक आयोग को भेजे गए प्रस्ताव में इस बात का जिक्र किया गया है कि वर्ष 2023 -24 के टैरिफ आदेश के मुताबिक बिजली कंपनियों ने सरप्लस बिजली बेचने के लिए 470.40 पैसे प्रति यूनिट रेट प्रस्तावित किया था लेकिन आयोग ने 450 पैसे प्रति यूनिट रेट को हरी झंडी दी थी इसी टैरिफ आदेश में प्रदेश के 151 से 300 यूनिट खपत वाले सर्वसाधारण उपभोक्ताओं के लिए 597 पैसे प्रति यूनिट रेट तय किया गया है जो सरप्लस बिजली बेचने के रेट से 1 रुपये 47 पैसे प्रति यूनिट महंगा है यानी वित्तीय वर्ष 2023 24 में भी बिजली कंपनियों ने अपने उपभोक्ताओं को ज्यादा तो प्रदेश के बाहर के ग्राहकों को कम कीमत पर बिजली की बिक्री की है।

नए वित्तीय वर्ष में भी प्रदेश के उपभोक्ताओं का होगा शोषण!

बिजली कंपनियों के द्वारा मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग को भेजे गए प्रस्ताव में इस बात का खुलासा हुआ है कि नए वित्तीय वर्ष में भी पिछले साल जैसा खेल जारी रहेगा, इस पूरे मामले में नागरिक हितों की आवाज उठाने वाले संगठन नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉक्टर पीजी नाजपांडे ने अपना ऐतराज जाहिर किया है। मंच के अध्यक्ष डॉ पीजी नाजपांडे ने बताया कि बिजली कंपनियों के द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए प्रस्तुत टैरिफ प्रस्ताव के पेज नम्बर 87 में सरप्लस बिजली बेचने के लिए 489.90 पैसे प्रति यूनिट रेट रखा है जबकि इस टैरिफ प्रस्ताव में प्रदेश के सर्वसाधारण उपभोक्ताओं के लिए 687 पैसे प्रति यूनिट के रेट की अनुमति मांगी गई है। यह रेट सरप्लस बिजली के रेट से 1 रुपये 98 पैसे प्रति यूनिट महंगा है यानी मध्य प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग की बिजली कंपनियों के प्रस्तावों पर मुहर लगती है तो आने वाले वित्तीय वर्ष में भी प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी हुई दरों का झटका लग सकता है। बिजली मामलों के जानकार इसे बिजली कंपनियां के द्वारा उपभोक्ताओं का शोषण बता रहे हैं।

ये है टैरिफ

प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं ने साल 2023 -24 में 151 से 300 यूनिट बिजली की खपत करने के बदले 597 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली का बिल चुकाया जबकि कंपनियों ने सरप्लस बिजली की बिक्री 450 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से की, इस लिहाज से आम उपभोक्ताओं ने 1 रुपये 47 पैसे प्रति यूनिट की दर से ज्यादा दाम चुकाए हैं, इसी तरह आने वाले साल यानी साल 2024 -25 के लिए 687 पैसे प्रति यूनिट आम उपभोक्ताओं के लिए प्रस्ताव दिए गए हैं जबकि प्रदेश के बाहर बेची जाने वाली सरप्लस बिजली की दर 489 पैसे प्रति यूनिट रखी गई है, ऐसे में आयोग की हरी झंडी मिली तो प्रदेश के उपभोक्ता 1 रुपए 98 पैसे प्रति यूनिट ज्यादा चुकाएंगे।



आयोग से कार्यवाही की मांग

सरप्लस स्टेट होने के बावजूद भी प्रदेश के उपभोक्ताओं को ज्यादा और प्रदेश के बाहर कम कीमत पर बिजली बेचने के मामले में नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने मध्य प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग से कार्यवाही की मांग की है। मंच के अध्यक्ष डॉ पीजी नाजपांडे ने आयोग को पत्र लिखकर पूरे मामले की जांच कर दोषियों पर न केवल कार्यवाही करने की मांग की है बल्कि नए वित्तीय वर्ष में बिजली के दाम भी कम किए जाने की अपील की है।

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