मनीष गोधा, Jaipur. राजस्थान में चुनाव से पहले लोकलुभावन घोषणाओं से राज्य की कांग्रेस सरकार वाहवाही तो लूट रही है, लेकिन प्रदेश की आर्थिक स्थिति की बात की जाए तो पिछले चार साल में राजस्थान पर कर्जा करीब दो लाख करोड़ रूपए बढ़ गया है। राजस्थान सरकार पर कर्ज इसकी कुल राजस्व आय के दोगुने से अधिक है और खुद के संसाधनो से होने वाली आय से चार गुना अधिक है। यानी सरकार कमाई के मुकाबले चार गुना ज्यादा कर्ज लेकर बैठी है।
विधानसभा में हाल में पेश की गई नियंत्रक व महालेखाकार परीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017-18 में राजस्थान पर 2 लाख 81 हजार 182 करोड़ का कर्ज था जो वर्ष 2021-22 यानी चार साल में बढ़ कर 4 लाख 62 हजार 845 करोड़ हो गया है। यानी कांग्रेस सरकार के मौजूदा कार्यकाल के चार साल में कर्ज करीब दो लाख करोड़ रूपए बढ़ गया है। रिपोर्ट बताती है कि यह आंकड़ा राज्य की कुल राजस्व आय 1 लाख 83 हजार 920 करोड़ के दोगुने से अधिक और स्व संसाधन यानी सरकार के खुद के संसाधनों से प्राप्त आय 93 हजार 563 करोड़ से चार गुना अधिक है।
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ऐसे बढ़ता कर्ज का मर्ज
2017-18 |
कर्ज लेकर कर्ज ही चुका रही सरकार
माना यह जाता है कि जो कर्ज लिया जाए उसका उपयोग नई परिसम्पत्तियां बनाने और पूंजीगत व्यय पर किया जाना चाहिए, लेकिन सीएजी की रिपोर्ट बताती है कि जो कर्ज लिया जा रहा है, उसका करीब 85 प्रतिशत पुराना कर्ज चुकाने के लिए किया जा रहा है। वर्ष 2017-18 से लेकर 2021-22 तक सरकार ने लिए गए कर्ज का औसतन 85 प्रतिशत पुराने कर्ज और ब्याज को चुकाने पर खर्च किया। सीएजी ने इस प्रवृत्ति को सही नहीं माना है और आपत्ति की है। सरकार लिए गए कर्ज का सिर्फ पांच से आठ प्रतिशत पूंजीगत व्यय कर रही है।
सरकार चला रही है कई लोकलुभावन योजनाएं
गौरतलब है कि चुनावी वर्ष के कारण इस बार सरकार ने करीब 19 हजार करोड का महंगाई राहत पैकेज घोषित किया है। इसके तहत लोगों को सौ युनिट तक बिजली फ्री दी जा रही है, उज्ज्वला के सिलेंडर 500 रूपए में दिए जा रहे हैं और एक करोड से ज्यादा परिवारो को निशुल्क अन्नपूर्णा राशन किट दिए जा रहे है। इसके अलावा भी कई रियायतें दी गई हैं। ऐसे में माना जा रह है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में भी कर्ज और बढ़ेगा और यह कर्ज का अंाकड़ा पांच लाख करोड़ को पार कर जाएगा