जयपुर। इसे कोई संयोग मानिए कुछ और लेकिन जयपुर के दोनों नगर निगमों की मेयर के लिए उनके पति ही विपत्ति बन कर सामने आए हैं। इसके अलावा कुछ और भी समानताएं हैं जो दोनों मेयर के मामले में देखी जा रही हैं। जैसे कि दोनो ही मेयर गुर्जर समुदाय से आती हैं और दोनों ही अपनी पार्टी की अंदरूनी राजनीति से भी परेशान रही हैं।
जयपुर में अब से पहले एक ही नगर निगम हुआ करता था, लेकिन मौजूदा सरकार ने इसे नगर निगम हैरिटेज और नगर निगम ग्रेटर में बांट दिया। हेरिटेज में पुराने शहर के सौ वार्ड हैं, जबकि ग्रेटर में परकोटे से बाहर के शहर के 150 वार्ड हैं। आरक्षण लाॅटरी में दोनों सीटें ओबीसी महिला के नाम से निकलीं और हेरिटेज निगम में जहां कांग्रेस को बहुमत मिला, वहीं ग्रेटर में भाजपा का बोर्ड बना। हेरिटेज निगम में मुनेश गुर्जर को मेयर बनाया गया, वहीं ग्रेटर में सौम्या गुर्जर मेयर चुनी गईं।
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पति ऐसे बने विपत्ति
नगरीय निकायों और पंचायतीराज संस्थाओं में आरक्षण के चलते महिलाओं को बड़े पद और मौके भले ही मिल जाते हैं, लेकिन ज्यादातर महिला जनप्रतिनिधियों पर उनके पति या पुरूष रिश्तेदार ही हावी रहते हैं। इन दोनों मेयरों के मामले में भी ऐसा ही कुछ होता दिखा है।
हेरिटेज नगर निगम की मेयर मुनेश गुर्जर के पति सुशील गुर्जर को एसीबी ने दो लाख की रिश्वत लेते पकड़ा और जिस तरह की बातें सामने आ रही है, वह बता रही है कि हेरिटेज निगम क्षेत्र में पट्टों को लेकर मेयर पति, उनके दलालों और अधिकारियों ने भ्रष्टाचार की सीमाएं लांघ दी थी। इस बात की तस्दीक इससे भी होती है कि मेयर मुनेश गुर्जर के घर से सर्च में 41 लाख रुपए नकद मिले हैं। जिन्हें गिनने के लिए नोट गिनने की मशीन मंगाई है। इसके साथ ही एक दलाल के घर भी 8 लाख नकद बरामद हुए हैं। मामले में सर्च जारी है और मेयर की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
उधर ग्रेटर की बात करें तो यहां मेयर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम गुर्जर को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो जून 2021 में गिरफ्तार किया था। ग्रेटर निगम क्षेत्र में सफाई का काम सम्भाल रही बीवीजी कंपनी रिश्वत मांगने के आरोप में राजाराम गुर्जर को गिरफ्तार किया गया था। रिश्वत की भारी रकम का ऑफर करने के आरोप में बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि ओमप्रकाश सप्रे को भी गिरफ्तार किया गया है। दरअसल इस पूरी बातचीत का एक वीडियो जारी हुआ था। इसमें बीवीजी कंपनी को 276 करोड़ का भुगतान करने की एवज में 20 करोड़ रुपए का कथित कमीशन देने की डील की बातचीत थी। वायरल वीडियो पर एसीबी ने ने स्वतः संज्ञान लिया था। बाद में राजाराम जमानत पर रिहा हो गए थे।
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पार्टी की अंदरूनी राजनीति भी बनी कारण
दोनों ही मेयर के मामलों में पार्टी की अंदरूनी राजनीति भी एक कारण बनी है। हेरिटेज निगम क्षेत्र में कांगे्रेस के चार विधायक हैं। इनमें जलदाय मंत्री महेश जोशी, खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और विधायक रफीक खान व अमीन कागजी शामिल हैं। इनमें से विशेष तौर पर प्रताप सिंह मुनेश गुर्जर के कामकाज से खुश नहीं थे। उन्होंने कहा कि भी कि वे इस बारे में पार्टी के नेताओं से भी शिकायत कर चुके थे। माना जा रहा है कि इसी के चलते यह कार्रवाई हुई है। वहीं सौम्या गुर्जर के मामले में भी ग्रेटर निगम के क्षेत्र में आने वाले कुछ भाजपा विधायकों और पार्टी के तत्कालीन प्रदेश नेतृत्व के बीच खींचतान को एक बड़ा कारण माना गया था।
ज्योति खण्डेलवाल के पति भी रहते थे चर्चा में
वैसे मेयर पति के रूप में जयपुर नगर निगम की पूर्व मेयर ज्योति खण्डेलवाल के पति शरद खण्डेलवाल भी खासे चर्चा में रहते थे। ज्योति खण्डेलवाल जयपुर की पहली और आखिरी ऐसी मेयर रही हैं जिनका सीधा निर्वाचन हुआ था। उस समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और सरकार ने मेयर के पद पर सीधा चुनाव कराया था। यानी जयपुर के लोगों ने मेयर के लिए अलग वोट डाला था। उस समय स्थिति यह बनी थी कि जयपुर में नगर निगम में बहुमत भाजपा का था, लेकिन मेयर कांग्रेस की ज्योति खण्डेलवाल थीं। उस समय निगम से जुडे कामों के मामले में ज्योति खण्डेलवाल के पति शरद खण्डेलवाल चर्चा में बने रहते थे।
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