BHOPAL. मध्यप्रदेश में बीजेपी धर्म से जुड़ा एक और मास्टर स्ट्रोक लगाने जा रही है, लेकिन ये मास्टर स्ट्रोक किसी मंदिर या कोई और धार्मिक स्थल के शिलान्यास या निर्माण से जुड़ा नहीं होगा। बल्कि धर्म को अब बिजनेस से जोड़कर प्रदेश के विकास की एक अलग योजना पर आगे बढ़ने की तैयारी है। जाहिर है सीजन चुनावी है तो, ये काम भी चुनाव से पहले ही होगा।
तैयार हो रही इन्वेस्टर समित की रूपरेखा
इन दिनों मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव मैराथन बैठकों में व्यस्त हैं। अब आप कहेंगे ये तो आम बात है, सीएम हैं तो बैठकें तो होंगी ही। लेकिन ये बैठकें सिर्फ अधिकारियों के ट्रांसफर, नए कर्ज या किसी पुरानी योजना से जुड़ी नहीं हैं। इन बैठकों के जरिए एक नई इन्वेस्टर समिट की रूपरेखा तैयार हो रही है। ये समिट बहुत जल्द होगी, लेकिन इस बार का फोकस बहुत व्यापक होने वाला नहीं है। अलग-अलग शहरों के लिहाज से इन्वेस्टर्स को अलग-अलग प्लान ऑफर करना या उनका बिजनेस प्लान सुनने से ज्यादा बीजेपी सरकार का फोकस है धार्मिक नगरियों का बिजनेस की दृष्टि से विकास करना। यही वजह है कि गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान के साथ-साथ साउथ के निवेशकों को बुलाने पर जोर दिया जा रहा है।
मध्यप्रदेश में बढ़ी पर्यटकों की आवाजाही
महाकाल का मंदिर और महाकाल लोक बनने के बाद गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान तीनों प्रदेश के पर्यटकों की आवाजाही मध्यप्रदेश में बढ़ी है। महाकाल लोक की इसी कामयाबी को देखते हुए अब धर्म के जरिए पर्यटन को बढ़ाने और पर्यटन के जरिए प्रदेश में निवेश बढ़ाने की कोशिश की जा रही है, जिसका एक मोटा-मोटा ब्लू प्रिंट भी तैयार कर लिया गया है। सीएम मोहन यादव ने इन्वेस्टर्स से लगातार मुलाकात करना शुरू कर दी है। उद्योगपतियों से लगातार हो रही मीटिंग के बाद बड़ी इन्वेस्टर्स समिट का पूरा खाका तैयार होगा। ये इन्वेस्टर समिट 1 और 2 मार्च को होगी, बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में ही।
ग्लोबल ब्रांडिंग का प्लान करेगी सरकार
ओंकारेश्वर में आदि शंकाराचार्य की विशाल प्रतिमा लगाने के बाद अब तैयारी है कि इंदौर, महाकाल और ओंकारेश्वर को एक टूरिस्ट हब में बदल दिया जाए। एक मोटा आंकलन ये कहता है कि महाकाल लोक आने वाले भक्त और सैलानियों की संख्या करीब 60 हजार रोजाना है। अब इसी संख्याबल को देखते हुए आगे बढ़ने की तैयारी है। एक मोटा अनुमान ये भी है कि जो लोग महाकाल लोक देखने आते हैं उनमें से 50 प्रतिशत सैलानी ओंकारेश्वर और फिर मांडू की सैर पर भी जाते हैं। इस बहाने वो नर्मदा नदी के किनारों और सौंदर्य का भी खूब लुत्फ उठाते हैं। तो अब इस पूरी जगह को एक कॉरिडोर में बनाने के लिए रोप वे, केबल कार से जोड़ने की प्लानिंग है। बीचे में पड़ने वाले चोरल, सिमरोल और कजलीगढ़ को पिकनिक और टूरिस्ट स्पॉट के रूप में डेवलेप करने का प्लान है। इसके अलावा इस रास्ते पर होटल चेन भी तैयार करने का प्लान है। इसके बाद सरकार इन जगहों की ग्लोबल ब्रांडिंग का प्लान तैयार करेगी।
पिछली सरकार में हुआ था 3 हजार करोड़ का इन्वेस्टमेंट
धर्म के जरिए इन्वेस्टमेंट लाना और टूरिज्म को बढ़ाने का प्लान पिछली सरकार के दौर से ही शुरू हो चुका था। शिवराज सरकार में 3 हजार करोड़ रुपए से प्रदेश के 5 धार्मिक स्थलों को संवारने का प्लान था।
किस प्रोजेक्ट में कितना खर्च ?
उज्जैन में महाकाल परिसर के अगले चरण के लिए 850 करोड़ खर्च अनुमानित है। इसमें महाराज परिसर, रुद्रसागर, पार्किंग, पर्यटन सूचना केंद्र, महाकाल द्वार और प्राचीन मार्ग का विकास होगा। सलनकपुर में 45 करोड़ रुपए के काम शुरू हो गए हैं। धार्मिक स्थल का पूरा स्वरूप बदलने की तैयारी है। मैहर में 30 करोड़ रुपए के काम शुरू हो गए हैं। माता के स्थान तक पहुंचने में भक्तों को सहूलियत देने की कोशिश की जा रही है। दतिया के सिद्धपीठ पीतांबरा माई में बाकी सुविधाओं और कामों के लिए 25 करोड़ का प्रोजेक्ट है। केंद्र की प्रसाद योजना के तहत सैद्धांतिक सहमति मिली है। रास्तों की मरम्मत पर जोर दिया जा रहा है। ग्वालियर से 18 किलोमीटर दूर शनिश्चरा धाम को प्रदेश का सबसे बड़ा शनि धाम बनाने की तैयारी है। करीब 30 करोड़ का बजट है। अयोध्या की तरह चित्रकूट का भी श्रीराम के जीवन में अहम स्थान रहा। यहां राम वन गमन पथ के लिए 100 करोड़ रुपए का निवेश करने की तैयारी है। सतना में काम शुरू हो चुका है।
जनता को मिलेगा टूरिज्म बढ़ने का फायदा
मध्यप्रदेश में जितने स्थानों पर बाहर से टूरिस्ट आते हैं और जिन मंदिरों की महिमा दूर-दूर तक फैली है। उनके विकास के लिए बीजेपी ने ये पुख्ता प्लान तैयार किया है। टूरिज्म बढ़ेगा तो प्रदेश की जनता को उसका लाभ जरूर मिलेगा। इसमें कोई दो राय नहीं, लेकिन इसका पॉलिटिकल या यूं कहें कि चुनावी इम्पैक्ट भी तगड़ा होने वाला है और इसका फायदा बीजेपी को ही मिलना तय है। श्री राम के नाम की अलख बीजेपी की सियासी किस्मत को रोशन कर ही रही है। अब धर्म के जरिए बीजेपी अबकी बार 400 पार के लक्ष्य को हासिल होता देखना चाहती है। धर्म की राह पर चलने का ये भी एक बड़ा कारण है। देशभर में बन चुके धार्मिक माहौल को बनाए रखने के लिए प्रदेश में होने वाली ये इन्वेस्टर समिट बड़ी भूमिका अदा करेगी।
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एक तीर से कई निशाने लगाने की तैयारी में बीजेपी सरकार
आम नागरिक या मतदाता होने के नाते आप ये सोच सकते हैं कि प्रदेश के धार्मिक स्थलों का विकास हो रहा है, लेकिन इसके इम्पैक्ट का दायरा सिर्फ मध्यप्रदेश नहीं है। इस इन्वेस्टर समिट और धार्मिक स्थलों के विकास का असर मध्यप्रदेश के अलावा राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात भी खास पड़ेगा। महाकाल लोक के भक्त सिर्फ मध्यप्रदेश में ही नहीं हैं। गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान पर भी इसकी बड़ी छाप है। अगर आप ठीक से याद करेंगे तो जान जाएंगे कि महाकाल लोक के पहले चरण का उद्घाटन पीएम मोदी ने एक भव्य समारोह में किया था और वो समय गुजरात चुनाव के आसपास का था। ये टाइमिंग बेमानी नहीं थी। बीजेपी ये खूब जानती थी कि महाकाल लोक का जो असर मध्यप्रदेश पर पड़ेगा, उससे कहीं ज्यादा असर गुजरात और उससे सटे राज्यों पर होगा। कमोबेश यही बात हर धार्मिक स्थल पर लागू होती है। चित्रकूट सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं है, ये रामभक्तों का एक इमोशन और आस्था है। मैहर और दतिया पीतांबरा माई के दर्शन के लिए देश ही नहीं विदेशों तक से भक्त आते हैं। इन स्थानों की महिमा को कम नहीं आंका जा सकता। यही वजह है कि इन धार्मिक स्थलों पर दर्शन को आसान बनाने के साथ-साथ अप्रोच रोड पर भी जोर दिया जा रहा है ताकि हर भक्त आसानी से दर्शन कर सके। इस पूरे काम के जरिए धर्म की नींव मजबूत करना है। इन्वेस्टमेंट आएगा और सैलानी बढ़ेंगे तो जाहिर है रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे ही। यानी बीजेपी को दोहरा फायदा होना तय है। धर्म के नाम पर आने वाले मतदाता का नाता भी बीजेपी के साथ मजबूत होगा और रोजगार मिलने से दूसरे तबके भी अपनी निष्ठा जाहिर कर ही देंगे। ये भी तय है कि राम मंदिर की तरह कांग्रेस इसकी भी काट आसानी से नहीं ढूंढ सकेगी। यानी बीजेपी की सरकार एक तीर से दो नहीं कई निशाने लगाने की तैयारी में है।