BHOPAL.लव जिहाद और लैंड जिहाद फिर से चर्चा में इसका कराण भोपाल के कलियासोत डैम के पास मजार के नाम पर जमीन को कब्जा करने की कोशिश है। इस जगह पर कई साल से लगातार जमीन को कब्जे में लेने की कोशिश होती रही है, लेकिन इस बार वहां कलेक्टर के आदेश पर खुदाई की गई तो जमीन के नीचे मजार जैसा कुछ भी नहीं मिला। हालांकि यहां सीमेंट से जमीन को पक्का कर लिया गया था और कब्जा कर पक्की की गई जमीन पर मजार जैसा स्ट्रक्चर बना दिया गया था। फर्जी मजार के खुलासे के बाद भाजपा के कुछ नेताओं ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया पर दी और मामले ने और तूल पकड़ लिया।
वैसे लैंड जेहाद का मामला सिर्फ मप्र का नहीं है। इससे पहले उत्तराखंड चुनाव और असम चुनाव में भी यह बड़ा मुद्दा बना। इतना ही नहीं इन राज्यों की सरकारों ने इस मुद्दे पर चुनाव के बाद भी अपनी कार्रवाई जार रखी है।
चुनावी साल का बड़ा मुद्दा
चुनावी साल में बहुत सारे मुद्दे उठते रहते हैं लेकिन लव जिहाद और लैंड जिहाद दो ऐसे मुद्दे हैं जो लगातार चर्चा में रहे हैं। इसका कारण इन मुद्दों से आसानी से वोटों का ध्रुवीकरण होना है। बात की जाए मप्र में इस मुद्दे को उठाने की तो इससे पहले यह मुद्दा उत्तराखंड और असम में जोरशोर से चुनाव के दौरान उठाया जा चुका है। इस मुद्दे को महाराष्ट्र में भी उठाया गया है।
करणी सेना के मुख्य मुद्दों मे शामिल है लैंड जिहाद
प्रदेश में 100 सीटों पर बिगुल बजाने की घोषणा कर रही करणी सेना ने भी लैंड जिहाद के खिलाफ आवाज उठाई है। भोपाल में अगस्त में होने वाले महापड़ाव के से पहले क्षत्रिय करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राज शेखावत ने कहा कि क्षत्रियों की सत्ता में भागीदारी, क्षत्रिय कल्याण बोर्ड, लव जिहाद ,लैंड जिहाद वो प्रमुख मुद्दे हैं जिनको समाज मप्र में उठाएगा।
सांसद प्रज्ञा ने मस्जिदों पर भी सवाल उठाए
भोपाल में अवैध मजारों को तोड़े जाने पर भोपाल सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि मजारें जितनी भी बनी हैं सब अवैध ही बनी हैं, मजार ही नहीं इन्होंने मस्जिदों को भी अवैध रूप से खड़ा किया है। इनकी गिनती की जाए तो मुझे लगता है कि हजारों में नहीं लाखों में आएगी। प्रज्ञा ने कहा कि उन्होंने भी कई मजारें देखी हैं इसके लिए जनजागरण शुरू करने जा रही हैं क्योंकि यह गलत है
उत्तराखंड के सीएम काफी मुखर
देश भर के भाजपा के मुख्यमंत्रियों में लैंड जिहाद के खिलाफ सबसे मुखर रूप से सामने आए हैं उत्तराखंड के पुष्कर सिंह धामी। राज्य में ‘धाम रक्षक धामी’ के नाम से प्रसिद्ध मुख्यमंत्री ने इस संबंध में ट्वीट भी किए और लैंड जेहाद को खत्म करने की अपनी इच्छा को साफ कर दिया। इसी साल अप्रैल में अपनी ऋषिकेश यात्रा के दौरान उन्होंने गंगा किनारे 1000 लैंड जिहाद के केसों का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था - आस-पास और गंगा जी के तटों पर जो अनेक प्रकार का अतिक्रमण हुआ है। हमने तय किया है कि उत्तराखंड के अंदर जो लैंड जिहाद के नाम पर, जो मजार जिहाद के नाम पर हुआ है, उसको हम किसी भी कीमत पर नहीं होने देंगे। हमने उन अतिक्रमण को हटाने का अभियान प्रारंभ कर दिया है। धामी सरकार ने दिसंबर 2022 और मार्च 2023 में 41 अवैध मजारों को ध्वस्त कर दिया था। इसके बाद सरकार ने 1000 अवैध मजारों की लिस्ट बनाई है कार्रवाई करने के लिए। वहीं इसके विरोध में उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा था कि ‘लव जिहाद’ और ‘लैंड जिहाद’ शब्द को भाजपा की फैक्ट्री में बने हैं, ये शब्द भाजपा को मुबारक हों।
#WATCH आज गंगा के आस-पास, गंगा के तटों और अनेकों जगहों पर अतिक्रमण हुआ है। हमने तय किया है कि उत्तराखंड में हम 'लैंड जिहाद' और 'मजार जिहाद' बिल्कुल नहीं होने देंगे। हमने ऐसे 1 हजार स्थान चिह्नित किए हैं जहां पर इस प्रकार का अतिक्रमण हुआ है। उसको हटाने का काम हमने प्रारंभ कर दिया… pic.twitter.com/qgcMNuCHKK
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 16, 2023
असम में भी उठा मुद्दा
अन्य भाजपा शासित राज्यों की तरह असम में भी लैंड जिहाद का मामला उठा। यहां मार्च 2021 में चुनावी रैली करने पहुंचे केंद्रीय गृहमंत्री ने ही इस मुद्दे को उठाया था। उन्होंने कहा था कि सरकार बनने पर भाजपा लैंड जिहाद के खिलाफ कानून लाएगी। राज्य में भाजपा चुनाव जीती और पद संभालते ही पार्टी के नव नियुक्त मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि उनकी सरकार लैंड जिहाद पर किए अपने वादे को पूरा करेगी।
महाराष्ट्र में भाजपा ने खुद को अलग रखा
महाराष्ट्र में भी लैंड जिहाद का मुद्दा लगातार चल रहा है, लेकिन संघ के संगठनों के तले अनेक रैलियां निकाल कर लैंड जिहाद का विरोध किया गया। इसको लेकर राज्य के 36 जिलों में 50 रैलियां निकाली गईं। तब से यह मुद्दा लगातार चर्चा में बना हुआ है।