कोटा में कोचिंग छात्रों की आत्महत्याओं का रिकॉर्ड टूटा, सरकार ने समिति तो बना दी, लेकिन बिल को ठंडे बस्ते में डाल दिया

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Chandresh Sharma
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कोटा में कोचिंग छात्रों की आत्महत्याओं का रिकॉर्ड टूटा, सरकार ने समिति तो बना दी, लेकिन बिल को ठंडे बस्ते में डाल दिया

मनीष गोधा, JAIPUR. देश भर में मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षाओं की कोचिंग का सबसे बड़ा केन्द्र कोटा इन दिनों यहां पढ़ने आए बच्चों की आत्महत्याओं की घटनाओं से सदमे में है। इस बार पिछले पांच वर्ष में सर्वााधिक आत्महत्याएं दर्ज हुई हैं। अभी सिर्फ अगस्त का महीना चल रहा है और अब तक कोचिंग छात्रो के 23 सुसाइड केस दर्ज हो चुके हैं। अगस्त का महीना ही इस बार सबसे जानलेवा साबित हुआ है, जिसमें अब तक छह केस सामने आ चुके हैं।



लगातार सामने आ रही घटनाओं को देखते हुए सरकार में मीटिंग्स का दौर जारी है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक हाईलेवल कमेटी भी बना दी है जो 15 दिन में रिपोर्ट देगी, लेकिन सरकार उस बिल को ठंडे बस्ते में डाले बैठी है जो कोचिंग संस्थानों की मनमानी पर नियंत्रण के लिए लाया जाने वाला था।



 राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट्स (कंट्रोल एंड रेगुलेशन) बिल-2023



राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट्स (कंट्रोल एंड रेगुलेशन) बिल-2023 नाम के इस बिल का मसौदा जनवरी में तैयार हो गया था और इस पर आपत्तियां मांगी गई थी, लेकिन बताया जा रहा है कि बिल के प्रावधानों पर कोचिंग संचालकों और अन्य स्टेकहोल्डर्स की ओर से कुछ आपत्तियां दर्ज की गई और इसके बाद इस बिल को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। जनवरी के बाद विधानसभा के दो सत्र हो चुके हैं और अभी अगस्त में हुए विधानसभा के सत्र में तो सरकार 22 बिल ले कर आई थी, लेकिन कोचिंग संस्थानों पर नियंत्रण का बिल पेश नहीं किया गया।



हालांकि सांगोद के विधायक भरत सिंह के एक सवाल के जवाब में सरकार ने यह जरूर कहा कि बिल लाया जाना प्रक्रियाधीन है, लेकिन अब यह बिल आएगा इसकी ज्यादा सम्भावना नहीं है, क्योंकि विधानसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की जा चुकी है। हालांकि सरकार के मंत्री कोचिंग संस्थानों को बंद करने या डंडे की भाषा में समझाने जैसे बड़बोले बयान जरूर दे रहे हैं।



पिछले पांच वर्ष में आत्महत्याओं के आंकडे









2018


20





2019


8





2020


4





2021


शून्य, कोविड के कारण खाली था कोटा





2022


15





2023


अब तक 23






यह थे बिल के प्रमुख प्रावधान



राजस्थान सरकार ने वर्ष 2021 में शिक्षाविदों की एक समिति गठित कर यह बिल तैयार कराया था। इस बिल का मसौदा जनवरी 2023 में सार्वजनिक किया गया था। 

- कोई भी कोचिंग शुरू करना चाहेगा तो पहले उसे सरकार से अनुमति लेनी पड़ेगी।



- अगर घर पर भी ट्यूशन सेंटर है और 50 से ज्यादा स्टूडेंट्स हैं, तो सरकार के पास रजिस्ट्रेशन कराकर अनुमति लेनी होगी।



- कोचिंग को बताना होगा कि क्या सिलेबस पढ़ाएंगे, कितने टाइम में सिलेबस कवर हो जाएगा और प्रत्येक बैच में अधिकतम कितने स्टूडेंट्स होंगे।



- सरकारी टीचर कोचिंग में नहीं पढ़ा सकेंगे।



- प्रोस्पेक्टस में कोचिंग को हर कोर्स की फीस बतानी होगी।



- पहली बार नियम तोड़ने पर 25 हजार रुपए जुर्माना, दूसरी गलती पर 1 लाख का जुर्माना और तीसरी गलती पर कोचिंग का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा।



- सभी जिलों में डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी का गठन होगा। जो भी व्यक्ति, सोसायटी या कंपनी कोचिंग संस्थान चलाना चाहता है, उसे निर्धारित फार्मेट में दस हजार रुपए रजिस्ट्रेशन फीस के साथ डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी के यहां आवेदन करना होगा।



- यदि कोचिंग सेंटर सभी शर्तों को पूरा करेगा तो आवेदन के 30 दिन के अंदर डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी उसे सर्टिफिकेट जारी कर देगी।



- किसी भी कोचिंग संस्थान के लिए रजिस्ट्रेशन की अवधि तीन वर्ष की रहेगी।



- डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी की ओर से समय-समय पर कोचिंग संस्थान का निरीक्षण करके यह सुनिश्चित किया जाएगा कि निर्धारित शर्तों का पालन हो रहा है या नहीं।



- प्रोस्पेक्टस में किस सिलेबस की कितनी अवधि होगी और कितनी फीस होगी, यह भी सार्वजनिक करना होगा।



- प्रत्येक सिलेबस के बारे में यह बताना होगा कि उसके लिए कितने टीचर हैं और उस सिलेबस के लिए कितने ग्रुप डिस्कशन होंगे।



- कोचिंग संस्थानों का इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐसा हो ताकि प्रत्येक छात्र के लिए न्यूनतम एक वर्ग मीटर क्षेत्र अनिवार्य रूप से उपलब्ध हो सके।



- छात्रों के लिए प्रत्येक कोचिंग संस्थान द्वारा पर्याप्त फर्नीचर (बेंच-डेस्क), पर्याप्त रोशनी, पीने का पानी, टॉयलेट, साफ-सफाई की सुविधा,अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था करनी होगी।



तनाव प्रबंधन, परामर्शदाताओं की व्यवस्था जरूरी होगी।



- एक बार कोचिंग में एडमिशन लेने के बाद अगर कोई स्टूडेंट वहां से निकलना चाहे तो फीस वापसी की स्पष्ट नीति जरूरी होगी।



- कोचिंग में चिकित्सा सहायता और उपचार की सुविधा भी उपलब्ध करानी होगी।



- डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोचिंग सेंटर्स पर बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा रही या नहीं।



- अथॉरिटी जिला स्तर और ब्लॉक स्तर पर स्टूडेंट्स और पेरेंट्स की समस्याओं के निदान के लिए सेल गठित करेगी।



- कोचिंग सेंटर्स की तरफ से किए जाने वाले फर्जी विज्ञापन और एग्जाम में सलेक्टेड स्टूडेंट्स के बारे में झूठे दावों पर अथॉरिटी कार्रवाई करेगी।



- अथॉरिटी स्वयं के स्तर पर या कोई शिकायत मिलने पर किसी भी कोचिंग संस्थान के किसी भी रिकॉर्ड की जांच कर सकेगी।



- कोचिंग संस्थान के प्रभारी या मालिक के लिए यह आवश्यक होगा कि वह निरीक्षण के दौरान सक्षम अधिकारी को मांगा गया रिकॉर्ड उपलब्ध कराएं।



- अथॉरिटी यह भी तय करेगी कि कोचिंग संस्थानों में ऐसी कोई गतिविधि न हो, जिसकी वजह से स्टूडेंट्स में किसी भी तरह का मानसिक तनाव हो।



- कोई भी स्टूडेंट या पेरेंट्स अगर कोचिंग संस्थान के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी के पास शिकायत करेेंगे तो उसका 30 दिन के अंदर निस्तारण करना होगा।



- शिकायतों की जांच या तो खुद डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी करेगी या इसके लिए वह जांच कमेटी भी बना सकेगी।



- डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी का चेयरमैन कलेक्टर होगा। पुलिस अधीक्षक और स्थानीय निकाय के मुखिया इसके सदस्य होंगे।



- यह अथॉरिटी जिले के सभी कोचिंग सेंटर्स पर नियंत्रण रखेगी।



- अथॉरिटी को अपने ऑफिस में एक हेल्पलाइन भी संचालित करनी होगी ताकि कोई भी कोचिंग स्टूडेंट और पेरेंट्स अपनी शिकायत या पूछताछ के लिए संपर्क कर सकें।



कोचिंग संस्थानों की लॉबी दमदार



सरकार ने यह बिल तो बनाया, लेकिन विधानसभा में पेश नहीं किया। बिल पर आपत्ति मांगी गई। विधि विभाग के सूत्रों का कहना है कि बिल के प्रावधानों पर कुछ आपत्तियां आई, जिनमें यह भी थी कि यह बिल पारित होगा तो बड़े कोचिंग संस्थान कोटा से बाहर चले जाएंगे और कोटा व राज्य को बड़ा नुकसान होगा।



दो से चार हजार करोड़ की है कोटा की कोचिंग इंडस्ट्री



कोटा मेे कोचिंग इंडस्ट्री का आकार बहुत बड़ा हो गया है। हर वर्ष करीब डेढ़ से दो लाख बच्चे देश भर से कोटा में पढ़ने आते हैं। यहां एलेन और आकाश जैसे बड़े कोचिंग संस्थानो के साथ ही ढेरों छोटे और मध्यम कोचिंग संस्थान भी चलते हैं। दरअसल कोटा की लगभग पूरी अर्थव्यवस्था इन कोचिंग संस्थानों के भरोसे चलती है, क्योंकि इन डेढ से दो लाख बच्चों के लिए यहां करीब 25 हजार होस्टल और पीजी, करीब दो हजार टिफिन सेंटर और सैंकड़ो की संख्या में चाय-नाश्ते की दुकानें और छात्रों के लिए जरूरी अन्य तरह का सामान की दुकानें चलती हैं। कोटा से जुड़े लोग मानते हैं कि यदि यहां से कोचिंग संस्थान बंद हो जाएं या बाहर चले जाएं तो कोटा वैसे ही बर्बाद हो जाएगा। माना जा रहा है कि इस बिल पर पीछे हटने का एक बड़ा कारण यह सारे पहलू भी थे।



बिल तो भूले, अब समिति के जरिए समाधान खोजने की कोशिश



सरकार इस बिल को तो ठंडे बस्ते में डाल चुकी है, लेकिन इस बार जिस तरह से मामले सामने आ रहे हैं, उन्हें देखते हुए सरकार को कोई कड़ा कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इसी के तहत एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाई गई हैं, जिससे 15 दिन में रिपोर्ट देने को कहा गया है। इसके बारे में सीएम अशोक गहलोत ने भी सोमवार को जोधपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि घटनाएं दुखद है और 15 दिन बाद समिति जो रिपोर्ट देगी उसके बाद निर्णय करेंगे कि क्या करना है।



समिति की पहली बैठक हुई और ये निर्णय हुए



समिति की पहली बैठक सोमवार शाम वीसी के जरिए हुई। इस बैठक में हर बुधवार को कोचिंग संस्थानों मंें आधे दिन ही पढ़ाई कराए जाने, सिलेबस कम करने और एक अलग स्टूडेंट थाना खोले जाने जैसे निर्णय किए गए। दो माह तक कोई टेस्ट नहीं कराए जाने का निर्णय पहले ही किया जा चुका है। अब दो सितम्बर को समिति की अगली बैठक कोटा मे ही होगी।


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