JAIPUR. राजस्थान में गुजारा भत्ते का मामला कई दिनों से सुर्खियों में है। इस मामले में कोर्ट में पत्नी द्वारा गुजारा भत्ते के रूप में 55 हजार रुपए के सिक्के लेने से मना कर दिया गया है। साथ ही प्रार्थना पत्र में नियमों का हवाला देकर तर्क दिया है कि 1000 से ज्यादा मूल्य के सिक्कों का लेनदेन वैध नहीं है। ऐसे में कोर्ट कागजी नोट दिलवाएं। इस मामले में अगली सुनवाई 5 जुलाई को होगी।
पत्नी ने कोर्ट से यह कहा
पत्नी सीमा कुमावत के वकील रामप्रकाश कुमावत ने बताया कि हमने कोर्ट में सिक्का निर्माण अधिनियम-2011 के तहत एक प्रार्थना पत्र लगाकर कहा है कि 1 हजार रुपए से ज्यादा मूल्य के सिक्कों का लेनदेन वैध नहीं हैं। वहीं, एक्ट यह भी कहता है कि सिक्कों का आकार, उनकी छपाई और उनका वजन भी आरबीआई द्वारा निर्धारित होना चाहिए। ऐसे में जो सिक्के महिला के पति ने पेश किए हैं। उनमें यह पता लगाना संभव ही नहीं है। ऐसे में हमें कागजी नोट दिलवाए जाएं। अगर महिला का पति दशरथ कुमावत राशि का भुगतान नहीं करता हैं तो उसे जेल भेजा जाए।
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17 जून को सुनवाई पर पति ने पेश किए थे 55 हजार के सिक्के
इस मामले में 17 जून को पिछली सुनवाई पर पति दशरथ कुमावत की ओर से पत्नी के गुजारे भत्ते के लिए 55 हजार के सिक्के कोर्ट में पेश किए थे। जिसे देखकर एक बार सभी चौंक गए थे। दशरथ की ओर से कहा गया था कि सिक्के वैध भारतीय मुद्रा हैं। इसे स्वीकार किया जाए। इस पर कोर्ट ने सिक्कों को कस्टडी में लेकर आज की तारीख तय की थी। आज दशरथ को इन सिक्कों की एक-एक हजार की थैलियां बनानी थी। दशरथ 17 जून को कोर्ट में समय से थैलियां लेकर पहुंचा था। दशरथ के वकील रमन गुप्ता ने कहा कि हम एप्लीकेशन का जवाब देंगे।
करीब 12 साल पहले हुई थी दोनों की शादी
दरअसल, यह पूरा मामला पारिवारिक विवाद से जुड़ा हुआ है। दशरथ कुमावत की शादी करीब 12 साल पहले सीमा कुमावत से हुई थी। शादी के 3 से 4 साल बाद ही दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया। इसके बाद पति ने कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दायर कर दी। मामले की सुनवाई के दौरान फैमली कोर्ट ने पति को हर महीने पत्नी को भरण पोषण के 5 हजार रुपए देने के निर्देश दिए। पति पिछले 11 माह से यह राशि पत्नी को नहीं दे रहा था। इसके बाद कोर्ट ने पति के खिलाफ वसूली वारंट जारी कर दिया। इसके बाद भी राशि नहीं चुकाने पर यह गिरफ्तारी वारंट में तब्दील हो गया। इस पर हरमाड़ा थाना पुलिस ने पति को गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश किया था। उसी दौरान पति 55 हजार के सिक्के लेकर कोर्ट में पहुंचा था।
भाड़े की गाड़ी में लादकर पहुंचा कोर्ट
दशरथ ने बताया कि प्लास्टिक के डिब्बे और घरेलू सामान की दुकान पर ग्राहक सिक्के तो दे जाते हैं लेकिन वापस नहीं लेते हैं। उसके पास काफी समय से सिक्के घर पर ही जमा हो रखे थे। कई बार व्यापारियों को भी सिक्के देने की कोशिश की लेकिन कोई राजी नहीं हुआ। कोई दूसरा बंदोबस्त नहीं हुआ तो घर पहुंच कर 12 घंटे में सारे सिक्के गिने। कुछ सिक्के पहले कई रातों में गिन कर हिसाब लगा चुका था। कोर्ट में पेशी की सुबह उसने सारे सिक्के 7 अलग कट्टों में भर लिए। फिर भाड़े पर गाड़ी लेकर पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में कोर्ट पहुंचा था।