भोपाल के सतपुड़ा भवन में 2018 के चुनाव के बाद भी लगी थी आग,तब नई सरकार के गठन के पहले और 2012 में भी इसी फ्लोर पर लगी थी आग

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Puneet Pandey
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 भोपाल के सतपुड़ा भवन में 2018 के चुनाव के बाद भी लगी थी आग,तब नई सरकार के गठन के पहले और 2012 में भी इसी फ्लोर पर लगी थी आग

BHOPAL. सतपुड़ा भवन में सोमवार को लगी आग को लेकर कई कारण बताए जा रहे हैं। जहां इसको लेकर जांच टीम की घोषणा कर दी गई है, वहीं कांग्रेस और आप नेताओं ने इस साल के अंत में होने वाल चुनाव से पहले आग लगने पर सवाल उठाए हैं। 





दो बार पहले भी लग चुकी है आग





इससे पहले 2018 में चुनाव के नतीजों के बाद भी आग लगी थी। 14 दिसंबर 2018 को भी चौथे फ्लोर पर स्थित स्वास्थ्य संचालनालय के इसी दफ्तर में आग लगी थी। तब आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया गया था। तब भी आग लगने पर सवाल उठाए गए थे, क्योंकि नई सरकार के गठन के पहले आग लगी थी।





2012 में भी लगी थी आग





इसी बिल्डिंग की चौथी मंजिल पर 25 जून 2012 को भी आग लगी थी। तब भी आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया गया था। तब इस फ्लोर पर तकनीकी शिक्षा विभाग का दफ्तर संचालित होता था।





जरूरत पड़ने पर शोपीस बन गई हाईराइज हाइड्रोलिक फायर ब्रिगेड 





नगर निगम ने हाईराइज बिल्डिंगों में आग को काबू करने के लिए पांच करोड़ रुपए लगा कर हाईराइज हाइड्रोलिक फायर ब्रिगेड खरीदी थी। सतपुड़ा भवन में लगी आग को काबू करने में इसका उपयोग नहीं हो सका। कारण हाईराइज फायर ब्रिगेड को ऑपरेट करने के लिए नगर निगम के पास जरूरी टेक्नीशियन की कमी बताई जा रही है। वहीं फायर ब्रिगेड के सूत्रों का कहना है कि उसका उपयोग सतपुड़ा भवन में घूमने के लिए जगह की कमी के कारण नहीं हो सका।





ईओडब्ल्यू में हुई शिकायतों की फाइलें जलीं





ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त में हुई शिकायतों की जांच की फाइलें चौथी मंजिल की अलमारियों में भरी थीं। इसी फ्लोर से आग शुरू हुई थी। आग से पुराना रिकॉर्ड और शिकायतों की फाइलें सबकुछ जल गईं। कोरोना के समय के जरूरी दस्तावेज भी यहां रखे थे। इनके साथ आदिम जाति कल्याण विभाग के जरूरी दस्तावेज भी जले हैं।





क्यों फैली आग 





-बिल्डिंग में फायर सेफ्टी के लिए लगाए गए फायर एक्सटिंग्विशर आग लगने के बाद काम नहीं कर सके। आग लगने के बाद पाइप की कमी के कारण वॉटर डिस्टीब्यूशन सिस्टम काम नहीं कर पाया।



-जब आग लगी तब हवा तेज थी इस कारण आग तेजी से फैलती चली गई।



-बिल्डिंग की चारों मंजिलों पर लकड़ी और कागज का सामान ज्यादा था। यहां प्लास्टिक और फोम का उपयोग भी किया गया था। इससे आग भड़क उठी। 



- आग से यहां लगे 40  से ज्यादा एसी भी फट गए, जिसके कारण आग और भीषण हो गई।





भोपाल के शासकीय दफ्तरों में आग की घटनाएं





-11 मार्च 2005 शुक्रवार को सतपुड़ा भवन स्थित वन विभाग के कार्यालय में आग लगी दस्तावेज जलकर खाक हो गए। 



- 21 जून 2012 गुरूवार को सतपुड़ा भवन के तकनीकी शिक्षा विभाग में भीषण आग लगी। 



-01 नवंबर 2012 गुरूवार को वल्लभ भवन में तकनीकी विभाग में आग लगी। 



-25 नवंबर 2013 सोमवार को मंत्रालय के भीमनगर स्थित गोदाम में आग लग गई जिससे मंत्रालय का दस्तावेज जलकर खाक हो गए। 



-28 नवंबर 2013 गुरूवार को विंध्याचल भवन में पंचायत एवं ग्रामीण विकास के स्थापना व बजट सेक्शन में आग लग गई, जिससे मनरेगा संबंधी फाइलें जलकर खाक हो गईं। 



-23 नवंबर 2014 रविवार को भोपाल कलेक्टोरेट कार्यालय के रिकार्ड रूम में आग लगी जिससे 10 गांवों का रिकार्ड जलकर खाक हो गये। 



-04 अक्टूबर 2015 रविवार को विध्यांचल भवन स्थित पांचवी मंजिल पर कृषि विभाग में आग लग गई जिससे विधानसभा संबंधी एवं बीज घोटाले संबंधित फाइलें जलकर खाक हो गईं। 



-07 नवंबर 2015 को खाद्य विभाग के दफ्तर में भीषण आग। 



-10 जनवरी 2016 को पीएचई व पीडब्ल्यूडी की पांच हजार फाइलें जलकर खाक हो गई। 



-23 मार्च 2016 को वल्लभ भवन की पांचवी मंजिल पर मुख्यमंत्री सचिवालय के एक कक्ष में आग लगी। 



-24 मार्च 2016 को सीएम ऑफिस के रिकार्ड रूम में आग 5 साल पुरानी फाइलें जलीं। 



-24 मार्च 2016 को सचिवालय में आग लगने से खाक हो गये रिकॉर्ड। 



-27 मार्च 2016 को सीएम आफिस में जली फाइलों का ऑडिट भी जलकर खाक हो गई। 



-14 दिसंबर 2018 को सतपुड़ा भवन में आग लगी थी। 



-12 जून 2023 को सतपुड़ा भवन 03:30 बजे आग लगी और 6वीं मंजिल तक आग फैल गई। उसमें नरसिंह घोटाले सहित महत्वपूर्ण दस्तावेज खाक हो गये। फायर बिग्रेड के अधिकतर वाहन अन्य व्यवस्थाओं में लगा दिये गये थे। इनके घटना स्थल पर समय पर नहीं पहुंच पाने पर आग ने विकराल रूप धारण कर लिया।



 







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