BHOPAL. आप न्यूज स्ट्राइक लगातार देखते हैं तो प्रदेश के दूसरे लोगों से दो ही दिन पहले ये जान चुके होंगे कि बीजेपी में नरेंद्र सिंह तोमर का कद बढ़ने वाला है। जिस तरह से क्लोज डोर मीटिंग में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने नरेंद्र सिंह तोमर पर भरोसा जताया था, उन्हें अहम जिम्मेदारी मिलना तो तय था। तोमर को बड़ी जिम्मेदारी मिली है। वो प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक बना दिए गए हैं, लेकिन अब आगे क्या। क्या इस जिम्मेदारी के साथ नरेंद्र सिंह तोमर को कांटो का ताज नहीं मिला है। या, खुद उनकी ही पार्टी ने उन्हें ये चैलेंज दे दिया है कि जो करिश्मा पहले दिखा चुके हो वो प्रदेश के ताजा हालातों में करके दिखाओ>
तोमर को प्रदेश संगठन को मजबूत करने जिम्मेदारी सौंपी गई है
विधानसभा चुनाव 2023 से पहले बीजेपी प्रदेश में बुरी तरह संकट में है। संकट में तो 2018 में भी थी, लेकिन उस वक्त हालात इस कदर नुमाया नहीं थे। इस बार साफ नजर आ रहा है कि बीजेपी में और बीजेपी के लिए प्रदेश में सबकुछ ठीक नहीं है। इन हालातों में पार्टी को एक बार फिर नरेंद्र सिंह तोमर की याद आई है। वैसे तो तोमर का कद अब भी कुछ कम नहीं है। वो मोदी कैबिनेट में अहम मंत्रालयों को संभालने वाले मंत्री हैं। अब प्रदेश में चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक बनकर अहम भूमिका संभालेंगे। इससे पहले भी तोमर अपनी मौजूदगी से प्रदेश में सरकार बनवा चुके हैं। 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव के समय वही प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष से। इसलिए ये माना जा रहा है कि इस बार भी प्रदेश के संगठन को मजबूत करने उन्हें ये जिम्मेदारी सौंपी गई है। सीएम शिवराज सिंह चैहान के साथ भी वो अच्छी बॉन्ड शेयर करते हैं। इसलिए ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि ये जोड़ी एक बार फिर प्रदेश में कुछ बेहतर करके दिखा सकती है, लेकिन जिस तरह से बीजेपी आगे कदम बढ़ा रही है उसे देखते हुए लगता है कि पार्टी एक अलग ट्रेक पर चल पड़ी है।
न्यूज स्ट्राइक अभी के घटनाक्रम पहले ही बता चुका है
बीजेपी ने पत्ते अब खोलना शुरू कर दिए हैं। शिवराज-विष्णु के चेहरे तो नहीं बदले, लेकिन तोमर को जिम्मेदारी देकर साफ कर दिया कि अब ये दोनों अकेले कोई फैसला नहीं ले सकेंगे। इस नए फैसले के साथ प्रदेश में एक चुनावी थीम सॉन्ग सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। अगर आपने अब तक नहीं देखा तो जरूर देख लीजिए। क्योंकि उसे देखकर एक बार फिर आप मान जाएंगे कि न्यूज स्ट्राइक जो पहले बता चुका है वही बीजेपी में अब घट रहा है। इस सॉन्ग की थीम मध्यप्रदेश है और प्रदेश के मुखिया का चेहरा ही इससे गायब है। पूरा थीम सॉन्ग मोदीमय है। इससे न्यूज स्ट्राइक की इस बात पर भी मुहर लग गई कि अब शिवराज का वन मैन शो खत्म। अब चुनावी रथ पर सवार रथी हैं खुद पीएम नरेंद्र मोदी, सारथी हैं नरेंद्र सिंह तोमर। इस रथ के अगल-बगल कुछ और रथी चलते नजर आए तो ताज्जुब नहीं होगा। पर ये भी जान लीजिए कि ये रथ विधानसभा फतह करने के मकसद से नहीं निकले हैं।
बीजेपी के थीम सॉन्ग में शिवराज का नाम है न झलक
सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहे बीजेपी के थीम सॉन्ग की पंच लाइन है मोदी के मन में बसे एमपी, एमपी के मन में मोदी अफसोस जिस प्रदेश को बीस साल से सीएम शिवराज सिंह चैहान सींच रहे हैं। उसके दिल से उन्हें गायब कर दिया गया है। थीम सॉन्ग में न शिवराज का नाम है न शिवराज की झलक है। मोदी ही एमपी हैं और एमपी ही मोदी हैं। ये दिल जो मिले हैं तो अब इनकी बात विधानसभा चुनाव पर रुकेगी नहीं बल्कि, दूर तलक जाएगी। प्रदेश बीजेपी की जो शिकायतें आलाकमान तक पहुंच रही थीं उसे दूर करने के लिए नरेंद्र सिंह तोमर अब प्रदेश में ही डेरा जमाएंगे। इस नए फैसले से बीजेपी उत्साहित है।
तोमर के आने से बहुत से सवाल हैं जो नए सिरे से खड़े हो रहे हैं...
- सवाल नंबर एकः क्या तोमर के आने से शिवराज सिंह चौहान और मजबूत होंगे?
बड़े नेताओं को भी नई जिम्मेदारी मिल सकती है
ये नई चुनावी जमावट जरूरी नहीं कि विधानसभा चुनावों के लिए हों। शिवराज के फेस को पीछे कर मोदी के चेहरे को हाइलाइट करना लोकसभा चुनाव की तैयारियों का भी आगाज है। ये तो साफ हो गया कि चुनाव में मोदी ही चेहरा होंगे और लोकसभा चुनाव तक उन्हीं के चेहरे पर हर कार्यकर्ता को एकजुट रहना है। एकजुटता की मुहिम इतने पर ही नहीं रुकती। फिलहाल नरेंद्र सिंह तोमर को जिम्मेदारी सौंपी गई है। अब बहुत जल्द कुछ और दिग्गज मैदान में नजर आ सकते हैं। कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने और हर अंचल को संभालने की जिम्मेदारी बड़े बड़े नेताओं को सौंपने की भी तैयारी हो सकती है। इस तैयारी के तहत ज्योतिरादित्य सिंधिया, कैलाश विजयवर्गीय और प्रहलाद पटेल जैसे बड़े नेताओं को भी नई जिम्मेदारी मिल सकती है।
लंबे समय से बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं को बड़े फैसलों का इंतजार था। अब वो इंतजार खत्म होता दिखाई देने लगा है।
बीजेपी में नए बदलाव तय करेंगे किसका कद बढ़ेगा और किसके लिए खतरा
फैसलों का दौर शुरू हो चुका है। इन फैसलों के जरिए आलाकमान के इशारे भी साफ होते जा रहे हैं। चुनाव पीएम मोदी के फेस पर ही लड़ा जाएगा ये तय समझा जा रहा है। कुछ फैसले हो चुके हैं, कुछ और फैसले भी होंगे और जल्द ही होंगे। नए चुनाव प्रभारी, चुनाव सह प्रभारी और अब चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक के साथ मध्यप्रदेश की नई रणनीति तैयार होगी। उसी के आधार पर टिकट बंटेंगे। हर गुजरता दिन अब ये तय करेगा कि इन बदलावों के साथ किसका कद बढ़ रहा है और किसके लिए खतरे की घंटी बज रही है।