पक्की खबर है कि 'वो' को फॉर्म हाउस पर ले गए कलेक्टर साहब और मंत्री जी की इनकमिंग चालू, आउट गोइंग बंद

author-image
Harish Divekar
एडिट
New Update
पक्की खबर है कि 'वो' को फॉर्म हाउस पर ले गए कलेक्टर साहब और मंत्री जी की इनकमिंग चालू, आउट गोइंग बंद

हरीश दिवेकर @ भोपाल

ये मौसम का जादू है मितवा… यहां गुलाबी ठंड ने दस्तक दे दी, उधर, सियासत का पारा चढ़ा हुआ है। अफसरशाही के चर्चे भी कम नहीं हैं साहब। बातें राजधानी तक आ रही हैं।खैर, इस समय दोनों प्रमुख दल भाजपा- कांग्रेस पूरी ताकत झोंके हुए हैं। सभाएं और रोड शो करने में भाजपा ने बाजी मारी है। 30 से ज्यादा स्टार प्रचारक रोज 100 से अधिक स्थानों पर पहुंच रहे हैं। कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और कमलनाथ की अगले चार दिन में 31 सभाएं लाइनअप हैं। ये तो हुई नेतानगरी। अब बात अफसरशाही की करते हैं। इन दिनों विंध्य में रंगीन मिजाज वाले कलेक्टर साहब सुर्खियों में हैं। वहीं, बुंदेलखंड के एक जिले में दो पंडिताइन अफसरों से कलेक्टर साहब मुश्किल में पड़े हुए हैं। पक्की खबर यह भी है कि चुनाव अब ठेके पर हो रहे हैं। बूथ जिताने का जिम्मा बांटा जा रहा है और इन सबके बीच एक मंत्री जी माल की इनकमिंग चालू करने और आउट गोइंग बंद करने को लेकर चर्चा में हैं। देश- प्रदेश में खबरें तो और भी हैं। आप तो सीधे नीचे उतर आइए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए।

बड़े साहब से लाड़ली अफसर की अनबन

चुनाव से पूर्व लाड़ली बहना योजना की किश्त महिलाओं के खाते में डालने पर विभाग की महिला आईएएस और बड़े साहब में तकरार हो गई। मैडम का कहना था कि चुनाव आयोग से अनुमति लेने के बाद ही लाड़ली बहना की किश्त डाली जाए, इस पर बड़े साहब नहीं माने। लाड़ली आईएएस भी ठहरी जिद्दी। छुट्टी लेकर घर बैठ गईं। फिर क्या था, अब साहब तो साहब हैं, आखिर 7 नवम्बर को बहनों के खाते में राशि डल गई। इसके बाद मैडम दफ्तर पहुंचीं।

अपने मामा रॉक स्टार

राजनीति में पल में तोला, पल में माशा होता है। अब देखिए तो जरा पहले तो पंत प्रधान सूबे की चर्चित लाड़ली बहना योजना का जिक्र नहीं कर रहे थे। मामा से भी कटे- कटे से थे। अब पंत प्रधान ने कहा कि हमारे मध्‍यप्रदेश में जब भी बहनों को याद करो तो, मामा तो याद आ ही जाता है। यह कहना भर था कि मामा की टीम ने इसे भुनाना शुरू कर दिया। सोशल मीडिया पर खूब ब्रांडिंग की जा रही है।

मौका- मौका, माल मलाई का मौका

माल कमाना भी कला है। इसमें माहिर कलाकार माल कूटने का मौका नहीं छोड़ते। ये सारी बातें प्रदेश के कुछ मंत्रियों पर सटीक बैठती हैं। इन्होंने ठेकेदार और बिल्डरों से जिस दम से चंदा लिया है, उसके एवज में खर्चा न के बराबर किया। अब तो मंत्रियों के समर्थक भी आपस में बोलने लगे कि भैय्या की इन कमिंग चालू रहती है, आउट गोइंग पर स्टॉप लगा हुआ है।

 रंगीले कलेक्टर चर्चा में

विंध्य क्षेत्र के एक कलेक्टर महिला मित्रों को लेकर चर्चा में बने रहते हैं। इस बार मामला भोपाल तक पहुंच गया है। कलेक्टर और विंध्य के पूर्व मंत्री का अच्छा दोस्ताना है, तो ये साहब अपनी महिला साथी को लेकर उनके फॉर्म हाउस पर पहुंच गए। जिला छोटा है तो चर्चा आम हो गई कि कलेक्टर साहब महिला मित्र के साथ रंगरेलियां मनाने फॉर्म हाउस पर गए थे। स्थानीय इंटेलिजेंस ने भी भोपाल में बैठे साहब लोगों को सूचना देकर मामले की स्पीड बढ़ा दी।

दो पंडिताईन और कलेक्टर साहब

बुंदेलखंड के एक जिले में दो पंडिताईन अफसरों की आपसी खींचतान से कलेक्टर साहब खासे परेशान हैं। इसमें एक डिप्टी कलेक्टर हैं, जिनके पास उप जिला निर्वाचन अधिकारी का जिम्मा है तो दूसरी एडीएम हैं। दोनों के कैबिन आस-पास हैं, लेकिन दोनों में शीत युद्ध चल रहा है। पंडिताईन अफसरों की संवादहीनता के चलते कलेक्टर भारी परेशान हैं। उन्होंने अपने स्तर पर दोनों महिला अफसरों को समझाने का प्रयास भी किया, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा। उन्होंने वरिष्ठ अफसरों को भी बताया है कि आखिर दोनों महिला अफसरों की आपसी लड़ाई के बीच जिले का चुनाव कैसे कराएं।

चुनाव जीतने का नया पैटर्न...

कई नेता इस बार चुनाव जीतने के लिए नए पैटर्न पर काम कर रहे हैं। हर पोलिंग के प्रभावशाली को पोलिंग जिताने का ठेका इस शर्त पर दिया जा रहा है कि यदि पोलिंग जीते तो उन्हें दी गई मोटी रकम उनकी हो जाएगी, पोलिंग हारे तो पैसों की पोटली वापस करना होगी। दरअसल, अब तक पोलिंग के ठेकेदार दोनों दलों से पैसा मांग लेते थे जो जीतता था, उस पर अपनी मुहर लगाते थे।

भाजपा के अंदर खुसर- पुसर

राजनीति की बातें कहां किसी से छिपती हैं। देर सबेर बाहर आ ही जाती हैं। अब एक दिन पहले भाजपा के संकल्प पत्र को लेकर खबर है। यहां संकल्प पत्र समिति के अध्यक्ष जयंत मलैया अपनी व्यस्तता के चलते नहीं पहुंचे, लेकिन चर्चा प्रभात झा के न पहुंचने की है। वे समिति में दूसरे नंबर पर थे, भोपाल में होने के बाद भी नहीं गए। दूसरा वक्तव्य को लेकर भी खुसर- पुसर है। मंचीय अतिथियों में से दो केंद्रीय मंत्रियों को उद्बोधन के लिए नहीं बुलाया गया। हर कोई कह रहा है कि आखिर वजह क्या है?

कुछ के लिए ये दिवाली काली वाली

इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम में ये दिवाली काली हो गई है। जी हां, काली इसलिए क्योंकि यहां परम्परा है कि हर दिवाली पर कर्मचारियों को दो- दो हजार रुपए दिए जाते रहे हैं, लेकिन इस बार निगम के मुखिया ने आचार संहिता का हवाला देकर रुपए जारी नहीं कराए। अब कर्मचारी कह रहे हैं कि साहब और संहिता ने दिवाली काली कर दी।

MP News एमपी न्यूज कमलनाथ Kamal Nath Mallikarjun Kharge मल्लिकार्जुन खड़गे BOL HARI BOL बोल हरि बोल Harish Diwekar Special Column हरीश दिवेकर स्पेशल कॉलम