Mandla. बाघों में मेटिंग के लिए आपसी संघर्ष होना उनके स्वभाव का हिस्सा है, लेकिन इस संघर्ष में बाघ बुरी तरह से घायल हो जाते हैं, एक रिपोर्ट के मुताबिक बाघों की मौत के पीछे की दो बड़ी वजह शिकार और आपसी संघर्ष ही हैं। हम बात कर रहे हैं कान्हा नेशनल पार्क की जहां नीलम नाम की बाघिन 5 माह में दूसरी बार बुरी तरह से घायल हो गई है। इस बार उसके जबड़े में एक लंबा और गहरा घाव दिखाई दे रहा है। पार्क के सुरक्षा गार्ड्स और सैलानियों के साथ जाने वाले गाइड्स ने जब प्रबंधन को इस बात की जानकारी दी तो प्रबंधन ने डॉर्ट के माध्यम से बाघिन को एंटीबायोटिक्स इंजेक्ट किए हैं, घायल बाघिन पर सतत रूप से निगरानी रखी जा रही है।
घाव पकने पर फैल सकता है जहर
आम तौर पर वन्यप्राणी ऐसी चोटों, जिन्हें वह चाट सकते हैं, उसे चाटकर ठीक कर लेते हैं, दरअसल चाटने के कारण घाव पर बैठने वाली मक्खियों का इंफेक्शन साफ हो जाता है और घाव पकता नहीं है, लेकिन जब घाव ऐसी जगह हो जहां जानवर उसे चाट नहीं सकता, उसके पकने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। फिलहाल डॉर्ट के माध्यम से दिए गए एंटीबायोटिक्स का असर होने पर घाव जल्द भरने की उम्मीद है।
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शावक भी हैं साथ
पार्क में अक्सर अपने शावकों के साथ नजर आने वाली नीलम को घायल देख प्रबंधन चिंता में है। माना जा रहा है कि मेटिंग के लिए उसका नर बाघ से संघर्ष हुआ होगा। नीलम अभी अपने शावकों को नहीं छोड़ सकती, लिहाजा उसने इसका विरोध किया होगा और उसकी यह हालत हो गई। पार्क के विटरनरी विशेषज्ञ डॉ संदीप अग्रवाल ने बताया कि नीलम को डॉर्ट के जरिए एंटीबायोटिक्स दिए गए हैं। आवश्यकता पड़ने पर फिर इलाज किया जाएगा।
जनवरी में हो चुकी है चोटिल
जनवरी के महीने में भी बाघिन नीलम ओर मोहनी के बीच संघर्ष हुआ था, जिसमें नीलम बुरी तरह घायल हो गई थी। उस दौरान भी पार्क के पशु चिकित्सकों ने उसका इलाज किया था। गनीमत यह है कि इस बार की चोट पिछल बार के मुकाबले काफी छोटी है। इसलिए उम्मीद की जा रही है कि नीलम जल्द स्वस्थ हो जाएगी।