एमपी में बीजेपी को 10 लोकसभा सीटों पर कड़ी चुनौती, विधानसभा जैसी वोर्टिंग रही तो 5 सीटों का घाटा और 5 पर बड़ा खतरा

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BP Shrivastava
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एमपी में बीजेपी को 10 लोकसभा सीटों पर कड़ी चुनौती, विधानसभा जैसी वोर्टिंग रही तो 5 सीटों का घाटा और 5 पर बड़ा खतरा

BHOPAL. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बंपर जीत हासिल कर पांचवीं बार प्रदेश में सरकार बनाई है और अब पार्टी ने लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। पार्टी विधानसभा चुनाव में हारे हुए बूथ पर फोकस कर रही है। जिससे लोकसभा चुनाव में पार्टी उम्मीद के मुताबिक परिणाम हासिल कर सके। हालांकि, विधानसभा चुनाव परिणामों ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है। आकलन के मुताबिक प्रदेश की कुल 29 लोकसभा सीटों में से पांच पर बीजेपी पिछड़ गई है। आज की स्थिति में 4 सीटों का नुकसान हो रहा है। इनमें तीन पर बीजेपी के मौजूदा सांसद हैं। एक (छिंदवाड़ा) कांग्रेस के पास है और एक पर बीजेपी के नरेंद्र सिंह तोमर इस्तीफा दे चुके हैं। इसके साथ ही पांच और सीटों पर बीजेपी की बढ़त लोकसभा की तुलना में कम हुई है। ये सीटें हैं ग्वालियर, मुरैना, भिंड, महाकौशल और मालवा की एक-एक सीट। कुल मिलाकर प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों पर चुनौती मिल सकती है।

यहां यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि लोकसभा सीटों के हिसाब से कौन सी सीटें फिलहाल बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बनने वाली हैं।

सबसे पहले उन 5 सीटों की हाल जानें जहां बीजेपी पिछड़ गई-

छिंदवाड़ा में कांग्रेस ने बढ़त बनाई

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी तीन विधानसभा क्षेत्र चौरई, सौंसर, परासिया में बढ़त बनाने में कामयाब हुई थी। कांग्रेस ये सीट महज 37,536 वोटों जीती थी। विधानसभा चुनाव में छिंदवाड़ा लोकसभा की सभी सातों विधानसभा सीटें कांग्रेस ने जीती हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले अपने वोटों में 91 हजार से ज्यादा की बढ़ोतरी की है।

मुरैना लोकसभा में आने वाली 7 में से 5 विधानसभा सीटों पर बीजेपी हार गई

लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी के नरेंद्र सिंह तोमर ने यहां की सात विधानसभाओं में बढ़त ली थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में बीजेपी श्योपुर, विजयपुर, सबलगढ़, मुरैना और अम्बाह में हार गई। अब नरेंद्र सिंह तोमर दिमनी से विधायक एवं विधानसभा अध्यक्ष बन चुके हैं। पार्टी यहां किसी नए और दमदार चेहरे की तलाश में जुटी है।

भिंड लोकसभा में पार्टी ने 8 में से 4 विधानसभा सीटें जीती

चंबल संभाग में आने वाले इस लोकसभा क्षेत्र की सभी 8 विधानसभा सीटों में बीजेपी को 2019 में बढ़त मिली थी। इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी सिर्फ 4 सीट पर ही सिमट गई। विधानसभा पैटर्न पर लोकसभा में भी वोटर्स का रुझान रहा तो यह सीट बीजेपी हार सकती है। इस सीट पर बीजेपी को 10 फीसदी वोट शेयर बढ़ाने की भी चुनौती होगी।

ग्वालियर में लोकसभा के मुकाबले 2 सीटें और गंवाई

लोकसभा में पार्टी यहां की 6 विधानसभाओं में बढ़त लेने में सफल रही थी। पिछले चुनाव में 2 विधानसभा सीटों पर हार मिली थी पर इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 4 सीट ही जीत सकी। लोकसभा में यदि विधानसभा के पैटर्न पर वोटिंग हुई तो पार्टी को हार का सामना करना पड़ सकता है।

टीकमगढ़ लोकसभा में बीजेपी का वोट शेयर 17 फीसदी घटा

टीकमगढ़ लोकसभा से केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार खटीक सांसद हैं। इस सीट पर बीजेपी विधानसभा की 8 में से 3 सीटें हार गई। यहां पार्टी का वोट शेयर भी 17 फीसदी घट गया। जबकि लोकसभा चुनाव में पार्टी ने सभी 8 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाई थी।

बालाघाट लोकसभा के पूर्व सांसद गौरीशंकर बिसेन भी चुनाव हारे

महाराष्ट्र की सीमा से सटे बालाघाट में भी मराठी, ओबीसी और आदिवासी वोटर निर्णायक हैं। बीजेपी ने लोकसभा में यहां 50 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल किए थे। बालाघाट के गौरीशंकर बिसेन पार्टी के बड़े नेता माने जाते हैं। इस बार विधानसभा चुनाव में वे अपनी सीट भी हार गए। पार्टी यहां की 8 सीटों में 4 पर ही जीत पाई है। जबकि लोकसभा में 7 सीटों पर पार्टी को बढ़त मिली थी।

धार में बीजेपी का वोट शेयर 9 फीसदी घटकर 44 फीसदी हुआ

धार लोकसभा में बीजेपी 53 प्रतिशत से अधिक वोट पाने में सफल रही थी। तब 6 विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी को बढ़त मिली थी। इस बार हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी 5 विधानसभाओं में कांग्रेस से पिछड़ गई। हालांकि सभी 8 क्षेत्रों में मिले कुल वोट कांग्रेस से अधिक हैं, लेकिन पार्टी के लिए यही चिंता की बात है। लोकसभा चुनाव में पार्टी यहां से भी नए चेहरे की तलाश में है।

खरगोन आदिवासी बाहुल्य विधानसभा सीट, जहां हारी बीजेपी

खरगोन लोकसभा में बीजेपी को 54 प्रतिशत से अधिक वोट मिले थे और सभी 8 क्षेत्रों में पार्टी को बढ़त मिली थी। इस बार बीजेपी कसरावद, भगवानपुरा, सेंधवा, बड़वानी और राजपुर में हार गई है। महज तीन सीटें महेश्वर, खरगोन, पानसेमल ही बीजेपी के खाते में आई हैं। यदि लोकसभा में भी यही पैटर्न रहा, तो ये सीट बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है।

रतलाम लोकसभा भी बीजेपी की चिंता बढ़ाने वाली सीटों में

बीजेपी को रतलाम लोकसभा में 49 प्रतिशत से कुछ अधिक वोट मिले थे। तब पार्टी को 5 विधानसभा सीटों में कांग्रेस के खिलाफ बढ़त मिली थी। इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी एक सीट ही जीत पाई है। एक सीट भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के खाते में तो 3 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। पार्टी की चिंता बढ़ाने वाली सीटों में रतलाम भी शामिल है।

...कमजोर सीटों की तुलना में बीजेपी की मजबूत लोकसभा सीटें ज्यादा

  • इस बार विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत में बीजेपी के लिए कई अच्छे संकेत भी मिले हैं। मसलन प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के खजुराहो लोकसभा की सभी 8 सीटों पर बीजेपी का कब्जा हो गया है। होशंगाबाद के सांसद उदय प्रताप सिंह अब गाडरवारा से विधायक बनकर प्रदेश सरकार में मंत्री बन चुके हैं।
  • होशंगाबाद लोकसभा की सभी 8 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है। इसी तरह देवास, इंदौर और खंडवा लोकसभा के अंतर्गत आने वाली सभी विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा है यानी यहां के सांसदों को फिलहाल कोई खतरा है।
  • 8 लोकसभा जहां बीजेपी एक-एक सीट हारी: सागर, दमोह, रीवा, सीधी, जबलपुर, शहडोल, विदिशा और मंदसौर ऐसे संसदीय क्षेत्र हैं जहां विधानसभा चुनाव में बीजेपी एक-एक सीट ही हारी है। जबलपुर सांसद अब पश्चिम क्षेत्र से विधायक चुने गए हैं। वे प्रदेश सरकार में मंत्री हैं।
  • दमोह और सीधी में नए चेहरे दिखाई देंगे: इसी तरह दमोह सांसद प्रहलाद सिंह पटेल भी अब विधायक एवं मंत्री बन चुके हैं। इसी तरह सीधी की सांसद रीति पाठक भी विधायक बन चुकी हैं। संभावना है कि इन सीटों पर लोकसभा चुनाव में नए चेहरे आएंगे।
  • 6 लोकसभा की 2-2 क्षेत्रों में ही बीजेपी हारी: प्रदेश की गुना, सतना, भोपाल, राजगढ़, उज्जैन, बैतूल ऐसी लोकसभा सीटें हैं, जहां पार्टी को दो-दो विधानसभाओं में हार का सामना करना पड़ा, हालांकि यहां बीजेपी को कांग्रेस की तुलना में बड़ी बढ़त मिली है। हालांकि चार बार के सतना सांसद गणेश सिंह इस बार सतना विधानसभा से प्रत्याशी थे। पर, वे खुद का चुनाव हार गए।
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