मोदी का शहडोल दौरा रद्द लेकिन लगे रहेंगे पंडाल, क्योंकि… अंचल से निकलनी है सरकार की राह

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Puneet Pandey
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मोदी का शहडोल दौरा रद्द लेकिन लगे रहेंगे पंडाल, क्योंकि… अंचल से निकलनी है सरकार की राह

BHOPAL.भारी बारिश की चेतावनी के कारण पीएम नरेंद्र मोदी का 27 जून का शहडोल दौरा रद्द हो गया है। इसकी जानकारी सीएम शिवराज सिंह चौहान ने दी है,साथ ही उन्होंने कहा कि दौर रद्द हुआ है,लेकिन पंडाल यथावत लगे रहेंगे। अब पीएम का शहडोल दौरा 1 जुलाई को होगा।



क्या करना था पीएम को शहडोल में… और क्यों



पीएम नरेंद्र मोदी शहडोल पहुंच रहे थे। उस दिन वीरांगना दुर्गावती का बलिदान दिवस यहां मनना है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री को दोपहर का भोजन आदिवासी समाज के लोगों के साथ आम के पेड़ों के नीचे ‘अमराई’ में बैठकर करना था। प्रधानमंत्री 100 सेल्फ हेल्प ग्रुप की 100 लखपती दीदियों से भी संवाद करने वाले थे। 



आदिवासियों और महिलाओं को केंद्र में रख कर बना प्लान



रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस का जो कार्यक्रम शहडोल में होने वाला है, उसके राजनीतिक बैकग्राउंड की पठकथा नवंबर 2021 में ही लिख दी गई थी। तब मोदी ने भोपाल का दौरा किया था और देश के पहले रेलवे प्राइवेट स्टेशन को देश को सौंपा था। इस स्टेशन का नाम भोपाल की आखिरी गोंड रानी कमलापति के नाम पर रखा गया था। इसी दिन को तब जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई थी। इस घोषणा के पीछे मंशा भाजपा से छूटते आदिवासी वोट को फिर से जोड़ने की मुहिम शुरू करने था। वहीं लाड़ली लक्ष्मी जैसी योजना को चुनाव से कुछ महीने पहले लॉन्च करना यह दिखाता है कि आधी आबादी का वोट कितना महत्वपूर्ण है। महिलाएं सत्ता के केंद्र में आ गई हैं।



आदिवासी कर सकते हैं हार-जीत का फैसला



 साल के अंत में आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और बीजेपी दोनों का फोकस आदिवासियों पर है। इसका कारण यहां की 68 सीटें हैं। आदिवासी वोटर कांग्रेस का पारंपरिक वोटर माना जाता रहा है। लेकिन बीजेपी ने इसमें सेंध लगा कर 2003 में बहुत बड़े बहुमत से अपनी सरकार बनाई थी। तब आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 41 सीटों में से 37 बीजेपी ने जीती थीं। आदिवासी वोटर पर खासा प्रभाव रखने वाली कांग्रेस 2 सीटें और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी 2 सीटें जीत सकी थी। 



2008 के विधानसभा चुनाव में आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या बढ़ कर 47 पहुंच गई। इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 29 सीटें जीती थीं। वहीं कांग्रेस ने 2003 से काफी अच्छा प्रदर्शन करते हुए 17 सीटों पर कब्जा किया था।  2013 के विधानसभा चुनाव में सीटें तो उतनी ही रहीं, लेकिन बीजेपी ने 31 सीटें जीतीं और कांग्रेस 15 ही जीत सकी थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सफलता के पीछे आदिवासियों का बड़ा हाथ रहा। 47 आरक्षित सीटों में से कांग्रेस ने 30 जीतीं और बीजेपी 16 पर ही रह गई। 



परफॉर्मेंस रिपीट करना आसान नहीं



बीजेपी इस चुनाव में विंध्य प्रदेश की अपनी परफॉर्मेंस को रिपीट करना चाहेगी। लेकिन पार्टी को जो फीडबैक मिला है उससे लगता है कि इसके लिए पूरा जोर लगाना पड़ेगा। यहां साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 30 में से 24 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2013 में बीजेपी को राज्य में बंपर जीत मिली थी, लेकिन पार्टी यहां 17 सीटों पर रह गई थी। 2008 के चुनाव में बीजेपी ने यहां से 24 सीटें जीती थीं।



फीडबैक के आधार पर बड़े नेताओं की रैलियां 



क्षेत्र से बीजेपी को मिले फीडबैक के बाद बीजेपी के बड़े नेताओं की रैलियां इस क्षेत्र में शुरू की गईं। कुछ समय पहले ही गृहमंत्री अमित शाह सतना आए। 24 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा रीवा में की गई। 27 जून को पीएम मोदी की सभा शहडोल में आयोजित की जानी थी। लेकिन मौसम के कारण यह रद्द कर दी गई पर विंध्य क्षेत्र की अहमियत को देखते हुए पंडाल लगा रहेगा…


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