RATLAM. रतलाम के बाजना में पुलिस की पिटाई से दुखी होकर जान देने वाले युवक का मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। गुस्साए लोगों ने रविवार, 28 जनवरी को फिर थाने में प्रदर्शन और शव को थाने में ही टेबल पर रख दिया। घंटों चले इस घटनाक्रम में समाज के लोगों की मांग है कि पूरे थाने के स्टाफ को बदला जाए। नहीं तो शव को थाने में की जलाएंगे।
एक दिन पहले हुआ थाने पर प्रदर्शन
शनिवार को प्रशासन ने मृतक के परिजनों को 2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता का चेक दिया। जिसके बाद धरना खत्म हुआ। विधायक कमलेश्वर डोडियार भी वहां पहुंचे और परिजनों को शव के अंतिम संस्कार के लिए राजी किया। जिसके बाद परिजन शव लेकर रवाना हो गए। बता दें कि रविवार को शव का पोस्टमार्टम किया गया। इसके बाद परिजन फिर से शव लेकर थाने पहुंच गए थे।
शनिवार को थाने पर किया था प्रदर्शन
बता दें कि छावनी झोड़िया गांव में गणेश नाम के युवक ने शनिवार को फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उसके साथ बेवजह मारपीट की थी, जिससे दुखी होकर उसने जान दे दी। इसके बाद शनिवार को भी गुस्साए लोगों ने कार्रवाई की मांग को लेकर बाजना थाने पर करीब 8 घंटे से ज्यादा समय तक प्रदर्शन किया था। जिसके बाद आरोपी पुलिसकर्मी को पहले निलंबित और फिर उसके खिलाफ केस दर्ज किया गया था।
क्या है मामला ?
मामला रतलाम जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर बाजना थाना क्षेत्र के छावनी झोड़िया गांव का है। 25 जनवरी की रात 1.10 बजे गणेश मईडा (23) अपने दोस्तों के साथ खड़ा था। इस दौरान बाजना थाने से डायल 100 की टीम पेट्रोलिंग पर गांव आई थी। पुलिस की पेट्रोलिंग टीम ने पूछताछ की। ड्यूटी पर तैनात आरक्षक शफीउल्ला खान ने पूछताछ के दौरान युवक को चांटे मार दिए।
दूसरे दिन 26 जनवरी को युवक थाने पहुंचा। उसने पुलिसकर्मियों से उसे पीटने का कारण पूछा। किसी ने कुछ नहीं बताया। परिजन का कहना है कि इसे लेकर वह परेशान था। उसने 27 जनवरी की दोपहर डेढ़ बजे अपने घर पर फांसी लगा ली। उस समय घर पर विकलांग बहन थी। उसे कुछ भी पता नहीं चला। पिता बाजार गए थे। मां भी घर पर नहीं थी।
पिता बोले- बेटा ने कहा था, इज्जत खराब हो गई
मृतक गणेश के पिता छगनलाल मई़डा ने बताया कि दो दिन पहले रात को घर के पास शादी थी। सड़क पर बेटा दोस्तों के साथ खड़ा था। तभी पुलिस की गाड़ी आई और रात में खड़े होने के बारे में पूछा। इसी दौरान पुलिस ने मारपीट की। जिससे मेरा बेटा दुखी हो गया। उसने दोस्तों को भी कहा था कि मैंने कुछ भी नहीं किया, फिर भी पुलिस ने मारा। मेरी इज्जत खराब हो गई। वह थाने पर मारपीट का कारण पूछने गया था कि मेरा गुनाह क्या था, लेकिन किसी ने नहीं सुना। बेटे ने कहा था इससे अच्छा तो मरना है।